White अल्फाज़ पुराने हैँ, ये कलम पुरानी है।
आँखों मे बचपम की, तस्वीर बनानी है।
वो दौर ए बचपन था, जिसका ये किस्सा।
मै राजा हूँ उसका, और वो मेरी रानी है।
कोई लाख मना कर ले, या लगा ले पहरा।
चाहे कुछ भी हो ज़ाकिर, सूरत तो दिखानी है।
उस दौर ए बचपन मे, मिलते तो थे खुलकर।
अब मिलते है छुपकर, क्या खाक जवानी है।
एक कलम पुरानी सी, रक्खी थी बर्षो से।
कोई पूछे तो कह दूँ , ये उसकी निसानी है।
हम ऐसे नहीं आशिक, हर एक को चाहे।
जिसपे भी दिल आया, उसपे उम्र बितानी है।
✍️ परवाना अंसारी हापुड़ी ✍️'
©Parwana ansari
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