उस दिन कुदरत का बिछाया एक जाल था,
एक छोटी सी बात का हमें भी मलाल था,
आये थे हम दोनों ही मिलने, पर....
हमें उनका और उन्हें किसी और का इंतज़ार था,
फिर से कुदरत ने किया हम पर एक नया वार था,
कि अब तक उलझा है जो,
दोस्ती कि आड़ में ये कैसा शुरूआती प्यार था..
bhagwan quotes उनका मिलना दिन के उजाले की तरह नहीं,
महज... अँधेरे कमरे में आती हुई उस रोशनी की तरह था......
जो खुद तो ठहरी हुई थी और मैं बेवजह ही उसमें ठहर गयी थी.....
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