सपने बहुत है पर अधूरे है अभी सब,
कुछ पल और चाहिए उन्हें पूरा करने को...
थोड़े कोरे-थोड़े धुंधले से है ,
पर सब मैंने ही संजोये है...
मन की सारी आशाओं को पिरो दिया है उनमें,
बस कुछ पल और चाहिए उन्हें पूरा करने को..
कुछ खुश है;कुछ नाराज़ है पर ,
महसूस किया है सब अपने साथ है...
सारी खुशियां -सब नाराजगी चूम लिया है मैंने,
बस कुछ पल और चाहिये उन्हें पूरा करने को....
मैं भी डरती हूँ थोड़ा सपनो की उस प्रायिकता से,
जो रोज रात को कहती है;मैं मुश्किल हूँ अब पाने को...
हर एक कदम पर लगता है,जो हार गयी तो क्या होगा?
नही सही कुछ तो कम से कम
कोशिश पर ऐतबार होगा....
जैसी भी किस्मत हो मेरी,
सपने है सब मेरे हिस्से के....
हूँ कहती फिरती वक़्त को मैं,
कुछ पल और चाहिए उन्हें पूरा करने को....❤️✨
©Vaishnavi
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