सफाई ,स्वास्थ्य और सुरक्षा कर्मचारियों को समर्पित
सफाई ,सेवा व सुरक्षा ,तीनो तीनो में हैं मीले हुए।
वर्दी है सबकी अलग ,पर भाव एक हैं लिए हुए॥
नाम नही, पहचान नही ,कोई निज स्वार्थ का स्वांग नहीं।
हो अस्पृश्यता उस अदृश्य से, और कोई दूजी मांग नहीं॥
कोई तो कारण रहा होगा, जो अर्थयुग में संसार बंद पड़ा।
ये एक नही दो चार नही ,समस्त नर के आगे यमराज खड़ा॥
हर्षित था जब भारत अपना ,एकजुटता और धैर्य साहस से उभरता रहा।
विस्मित, व्यथित हुआ देश,जब उन पर थूका,काटा, पत्थर बरसता रहा॥
जो स्वयं को नष्ट करने को उतारू,पर देश कैसे भी पिछड़ जाए।
लानत देता हूँ सोच को ऐसे,जो जन्मभूमि को कलंकित कर जाए॥
satyaprabha💕
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