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New ghazal e mohabbat Status, Photo, Video

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White phir se ek baar yaad ayi hai barson ki mohabbat, qata si ban gayi hai phir mohabbat, koi aisa na mila uske jane ke baad, bure waqt mai jab o hasati thi mohabbat. ©Syed Akmal

 White phir se ek baar yaad ayi hai barson ki mohabbat,
qata si ban gayi hai phir mohabbat,
koi aisa na mila uske jane ke baad,
bure waqt mai jab o hasati thi mohabbat.

©Syed Akmal

yaad-e-mohabbat

9 Love

White दिल में हाँ लबों पे ना इज़हार करूँ कैसे, बीच मझदार में नाव इश्क़ की पार करूँ कैसे..! वो छुपी है चाँद सी बादलों में इस कदर, इश्क़ में इज़हार यूँ आँखें चार करूँ कैसे..! एहसासों अल्फ़ाज़ों में बसी है वो पर, प्रफुल्लित मन से प्यार करूँ कैसे..! मिलेंगे कभी कहीं किसी मोड़ पे जब, ख़्वाबों में ही मिलने को तैयार करूँ कैसे..! क़लम ख़ामोशी ओढ़ लेती है देख उसे, काग़ज़ों को ख़ुश आख़िरकार करूँ कैसे..! वो रूठती है बातों से अक्सर बहुत यूँ, उसके दिल रुपी घर में ख़ुद को किरायेदार करूँ कैसे..! जीते हैं हमने भी चुनाव कई इश्क़ के पर, उसके योग्य ख़ुद को उम्मीदवार करूँ कैसे..! बस अब कुछ नहीं कहना और बाकी सनम, कब तक तन्हाई में उसका इंतज़ार करूँ कैसे..! ©SHIVA KANT(Shayar)

#Izhaar–e–mohabbat #sad_dp  White  दिल में हाँ लबों पे ना इज़हार करूँ कैसे,
बीच मझदार में नाव इश्क़ की पार करूँ कैसे..!
वो छुपी है चाँद सी बादलों में इस कदर,
इश्क़ में इज़हार यूँ आँखें चार करूँ कैसे..!

एहसासों अल्फ़ाज़ों में बसी है वो पर,
प्रफुल्लित मन से प्यार करूँ कैसे..!
मिलेंगे कभी कहीं किसी मोड़ पे जब,
ख़्वाबों में ही मिलने को तैयार करूँ कैसे..!

क़लम ख़ामोशी ओढ़ लेती है देख उसे,
काग़ज़ों को ख़ुश आख़िरकार करूँ कैसे..!
वो रूठती है बातों से अक्सर बहुत यूँ,
उसके दिल रुपी घर में ख़ुद को किरायेदार करूँ कैसे..!

जीते हैं हमने भी चुनाव कई इश्क़ के पर,
उसके योग्य ख़ुद को उम्मीदवार करूँ कैसे..!
बस अब कुछ नहीं कहना और बाकी सनम,
कब तक तन्हाई में उसका इंतज़ार करूँ कैसे..!

©SHIVA KANT(Shayar)
#Izhaar–e–mohabbat #लव

White ग़ज़ल: बनारस, प्रेम और मणिकर्णिका बनारस की गली में वो मिला था, नज़र में इक समुंदर सा खिला था। वो बातें कर रहा था ज़िन्दगी की, मगर मणिकर्णिका पे सब लिखा था। हवा में थी ख़ुशबू रूहानी उसकी, जहाँ मैं था, वहीं वो भी सिला था। गंगा के किनारे बैठते हम, वो दिल में और दिल में बनारस बसा था। मरण का भी वहाँ भय कैसा होता, जब उसकी आँखों में पूरा ब्रह्मांड था। ©"सीमा"अमन सिंह

#banarasi_Chhora #ghazal  White ग़ज़ल: बनारस, प्रेम और मणिकर्णिका

बनारस की गली में वो मिला था,
नज़र में इक समुंदर सा खिला था।

वो बातें कर रहा था ज़िन्दगी की,
मगर मणिकर्णिका पे सब लिखा था।

हवा में थी ख़ुशबू रूहानी उसकी,
जहाँ मैं था, वहीं वो भी सिला था।

गंगा के किनारे बैठते हम,
वो दिल में और दिल में बनारस बसा था।

मरण का भी वहाँ भय कैसा होता,
जब उसकी आँखों में पूरा ब्रह्मांड था।

©"सीमा"अमन सिंह

White dil jalane wale kabhi pyar nahi karte pyar karne wale kabhi saq nahi karte ©Amit Kumar

#SAD  White dil jalane wale kabhi pyar nahi karte 
pyar karne wale kabhi saq nahi karte

©Amit Kumar

paigam e mohabbat

8 Love

#jeet  जो बिस्मिल बना दे वो क़ातिल तबस्सुम
जो क़ातिल बना दे वो दिलकश नज़ारा

मोहब्बत का भी खेल नाज़ुक है कितना
नज़र मिल गई आप जीते मैं हारा

©Sam

#jeet haar e mohabbat

126 View

White phir se ek baar yaad ayi hai barson ki mohabbat, qata si ban gayi hai phir mohabbat, koi aisa na mila uske jane ke baad, bure waqt mai jab o hasati thi mohabbat. ©Syed Akmal

 White phir se ek baar yaad ayi hai barson ki mohabbat,
qata si ban gayi hai phir mohabbat,
koi aisa na mila uske jane ke baad,
bure waqt mai jab o hasati thi mohabbat.

©Syed Akmal

yaad-e-mohabbat

9 Love

White दिल में हाँ लबों पे ना इज़हार करूँ कैसे, बीच मझदार में नाव इश्क़ की पार करूँ कैसे..! वो छुपी है चाँद सी बादलों में इस कदर, इश्क़ में इज़हार यूँ आँखें चार करूँ कैसे..! एहसासों अल्फ़ाज़ों में बसी है वो पर, प्रफुल्लित मन से प्यार करूँ कैसे..! मिलेंगे कभी कहीं किसी मोड़ पे जब, ख़्वाबों में ही मिलने को तैयार करूँ कैसे..! क़लम ख़ामोशी ओढ़ लेती है देख उसे, काग़ज़ों को ख़ुश आख़िरकार करूँ कैसे..! वो रूठती है बातों से अक्सर बहुत यूँ, उसके दिल रुपी घर में ख़ुद को किरायेदार करूँ कैसे..! जीते हैं हमने भी चुनाव कई इश्क़ के पर, उसके योग्य ख़ुद को उम्मीदवार करूँ कैसे..! बस अब कुछ नहीं कहना और बाकी सनम, कब तक तन्हाई में उसका इंतज़ार करूँ कैसे..! ©SHIVA KANT(Shayar)

#Izhaar–e–mohabbat #sad_dp  White  दिल में हाँ लबों पे ना इज़हार करूँ कैसे,
बीच मझदार में नाव इश्क़ की पार करूँ कैसे..!
वो छुपी है चाँद सी बादलों में इस कदर,
इश्क़ में इज़हार यूँ आँखें चार करूँ कैसे..!

एहसासों अल्फ़ाज़ों में बसी है वो पर,
प्रफुल्लित मन से प्यार करूँ कैसे..!
मिलेंगे कभी कहीं किसी मोड़ पे जब,
ख़्वाबों में ही मिलने को तैयार करूँ कैसे..!

क़लम ख़ामोशी ओढ़ लेती है देख उसे,
काग़ज़ों को ख़ुश आख़िरकार करूँ कैसे..!
वो रूठती है बातों से अक्सर बहुत यूँ,
उसके दिल रुपी घर में ख़ुद को किरायेदार करूँ कैसे..!

जीते हैं हमने भी चुनाव कई इश्क़ के पर,
उसके योग्य ख़ुद को उम्मीदवार करूँ कैसे..!
बस अब कुछ नहीं कहना और बाकी सनम,
कब तक तन्हाई में उसका इंतज़ार करूँ कैसे..!

©SHIVA KANT(Shayar)
#Izhaar–e–mohabbat #लव

White ग़ज़ल: बनारस, प्रेम और मणिकर्णिका बनारस की गली में वो मिला था, नज़र में इक समुंदर सा खिला था। वो बातें कर रहा था ज़िन्दगी की, मगर मणिकर्णिका पे सब लिखा था। हवा में थी ख़ुशबू रूहानी उसकी, जहाँ मैं था, वहीं वो भी सिला था। गंगा के किनारे बैठते हम, वो दिल में और दिल में बनारस बसा था। मरण का भी वहाँ भय कैसा होता, जब उसकी आँखों में पूरा ब्रह्मांड था। ©"सीमा"अमन सिंह

#banarasi_Chhora #ghazal  White ग़ज़ल: बनारस, प्रेम और मणिकर्णिका

बनारस की गली में वो मिला था,
नज़र में इक समुंदर सा खिला था।

वो बातें कर रहा था ज़िन्दगी की,
मगर मणिकर्णिका पे सब लिखा था।

हवा में थी ख़ुशबू रूहानी उसकी,
जहाँ मैं था, वहीं वो भी सिला था।

गंगा के किनारे बैठते हम,
वो दिल में और दिल में बनारस बसा था।

मरण का भी वहाँ भय कैसा होता,
जब उसकी आँखों में पूरा ब्रह्मांड था।

©"सीमा"अमन सिंह

White dil jalane wale kabhi pyar nahi karte pyar karne wale kabhi saq nahi karte ©Amit Kumar

#SAD  White dil jalane wale kabhi pyar nahi karte 
pyar karne wale kabhi saq nahi karte

©Amit Kumar

paigam e mohabbat

8 Love

#jeet  जो बिस्मिल बना दे वो क़ातिल तबस्सुम
जो क़ातिल बना दे वो दिलकश नज़ारा

मोहब्बत का भी खेल नाज़ुक है कितना
नज़र मिल गई आप जीते मैं हारा

©Sam

#jeet haar e mohabbat

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