एक बचपन का जमाना था, जहां कुछ खूबसूरत लम्हों से बड़ा ही प्यारा सा याराना था , मां करती थी हर wish को पूरा और पापा का हाथ थाम कर मिल जाता खुशियों का खज़ाना था,
ना थी चिन्ता, फिक्र पढ़ाई की ना ही किसी कंपटीशन से याराना था,
टीचर्स के लिए भी मासूम होते थे हमसब क्या खूबसूरत वो ज़माना था,
मासूमियत झलकती थी चेहरे पर और तितलियों से भी याराना था,
चांद भी हमारा मामा था क्या खूबसूरत वो ज़माना था,
सपने कम और खुशियों का घर में ठिकाना था,
पापा करते थे है खर्चे पूरे हमको तो सिर्फ फरमाइश बताना था ,परियों से तो मुलाकात नही हुई पर परियों की कहानी जैसा वो खजाना था ,कितना खूबसूरत वो ज़माना था ,कहा आकार फंस गए इन जिम्मेदारियों के दलदल में हम जब सिर्फ ज़रूरत पूरी होती हैं शौक नही , जिंदगी तो चल रही है पर अब इस जिंदगी में वो पहले जैसी मौज नही , काश लौट कर आ जाए वो बचपन वाले पल वो मासूम बचपन भी कितना प्यारा था ,
क्या खूबसूरत वो बचपन का जमाना था।
जहां कुछ खूबसूरत लम्हों से हमसब का याराना था
Happy Children's day to all
-Seema Chakarvarti...
©Shivanshi Seema Chakarvarti
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