लड़के और बहुएं चाहे घर को मंदिर बना सकते हैं
बस मां पिता रूपी भगवान की सेवा अर्चना करने का दृढ़ निश्चय करना पड़ता है
हवन में जजवान बनने पर खुद को तपाना पड़ता है
घर की सीमित सामग्री में पूजन हवन करने की ललक होनी चाहिए
दीदी जीजा, बूआ फूफा, मायके के मम्मी पापा , साली साला, साडू रूपी नवाग्रह को हवन सुरू होने से पहले स्थापित करें खत्म होने से पहले यथा स्थान पहुंचा देना चाहिए
चुगली छल कपट रूपी बलाओं की हवन में पहली और आखरी आहूति देने का संकल्प लेना पड़ता है
आखिरी में मायके के नाम का दीपक घर और मन से निकाल कर बाहर रखना पड़ता है
अंत में हवन का प्रसाद ननदों दीवारों और जेठों में बिना कपट के बांट दिया जाए घर के मंदिर के भगवान प्रसन्न हो जाते है
जान एक बार साहस करो जजवान बनने का घर के भगवान खुद ही प्रसन्न हो जाते है
©कवि- जीतू जान
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