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दोहा :- आज पढ़ाकर बेटियाँ  , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।। पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान । निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-

आज पढ़ाकर बेटियाँ  , बचा न पाये प्राण ।
पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।।

गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।।

पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान ।
निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।।


महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- आज पढ़ाकर बेटियाँ  , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता

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दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही  , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।। मूक बधिर हम सब बने , देख रहे हैं कृत्य । गली-गली शैतान वह , हमें दिखाता नृत्य ।। सरल यही अब राह है , जला सभी लो मोम । याद भला कब तक रहे , तुम्हें नाथ का ओम ।। याद किसी को है नही , सत्य सनातन ओम । बुझे पड़े है कुंड सब , कही न होता होम ।। जला-जला के मोम को , देते रहो प्रमाण । हम निर्बल असहाय हैं , हर लो मेरे प्राण ।। पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान । निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
बेटी पढ़ाकर भी नही  , बचा न पाये प्राण ।
पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।।

गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।।

मूक बधिर हम सब बने , देख रहे हैं कृत्य ।
गली-गली शैतान वह , हमें दिखाता नृत्य ।।

सरल यही अब राह है , जला सभी लो मोम ।
याद भला कब तक रहे , तुम्हें नाथ का ओम ।।

याद किसी को है नही , सत्य सनातन ओम ।
बुझे पड़े है कुंड सब , कही न होता होम ।।

जला-जला के मोम को , देते रहो प्रमाण ।
हम निर्बल असहाय हैं , हर लो मेरे प्राण ।।

पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान ।
निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही  , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।

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#मोटिवेशनल #sad_shayari  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
चाहे शगुन व निर्गुण रुप मे भगवान श्री कृष्ण जी की उपासना से गुणातीत ब्रह्म की प्राप्ति होती है। यों तो गुणातीत का वर्णन नित्य, ज्ञान, अनन्त आदि शब्दोंसे किया गया है पर वास्तव में उसका स्वरूप वाणीbद्वारा नहीं बताया जा सकता, वह तो अचिन्त्य और अनिर्वचनीय है। अन्तमें वेद भी 'नेति-नेति' कहकर ही बतलाता है। वह अनुमान प्रमाण से भी नहीं जाना जा सकता, केवल अनुभव रूप ही है। क्योंकि समस्त प्रमाण उस ब्रह्म के सकाश से ही सिद्ध होते हैं। श्रुति कहती है-

©N S Yadav GoldMine

#sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} चाहे शगुन व निर्गुण रुप मे भगवान श्री कृष्ण जी की उपासना से गुणातीत ब्रह्म की प्राप्ति होती है। यों तो

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#मोटिवेशनल #guru_purnima  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
भगवान श्रीकृष्ण शरणं मम 🙏
🌹श्री गुरू शरणं मम 🙏🌹
चिन्तामणि केवल लौकिक सुख 
दे सकती है, कल्पवृक्ष अधिक से 
अधिक स्वर्ग की सम्पत्ति दे सकता है,
 परन्तु गुरूदेव प्रसन्न होकर भगवान 
का योगिदुर्लभ नित्य वैकुण्ठ धाम दे देते हैं। 
कृपानाथ गुरूवर के चरणारविन्द में 
कोटिशः वन्दन 🙏🌹

©N S Yadav GoldMine

#guru_purnima {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान श्रीकृष्ण शरणं मम 🙏 🌹श्री गुरू शरणं मम 🙏🌹 चिन्तामणि केवल लौकिक सुख दे सकती है, कल्पवृक्ष अधिक स

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दोहा:- चरण रखें जब राधिके , रखे श्याम दो हाथ । बन परछाई नित्य ही , रहते उनके साथ ।। बैठे-बैठे जप रहे, राधा-राधा नाम । शूल चुभा पग राधिका , चीख उठे घनश्याम ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा:-
चरण रखें जब राधिके , रखे श्याम दो हाथ ।
बन परछाई नित्य ही , रहते उनके साथ ।।

बैठे-बैठे जप रहे, राधा-राधा नाम ।
शूल चुभा पग राधिका , चीख उठे घनश्याम ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा:- चरण रखें जब राधिके , रखे श्याम दो हाथ । बन परछाई नित्य ही , रहते उनके साथ ।। बैठे-बैठे जप रहे, राधा-राधा नाम । शूल चुभा पग राधिका ,

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रोला छन्द :- राम सिया का रूप , लगे बिल्कुल वनवासी । मुख पे दिखता तेज , दूर सब दिखे उदासी ।। कहे कोई न भूप , कहे सब ही संयासी । ऐसी लीला आज , दिखाये घट-घट वासी ।। जन्म-मृत्यु का देख , एक मैं ही हूँ कारण । हर जीवन अनमोल , नहीं कोई साधारण ।। सबमे मेरा वास , समझ ले यह ही प्राणी । तेरे मुख से नित्य , निकलती मेरी वाणी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  रोला छन्द :-


राम सिया का रूप , लगे बिल्कुल वनवासी ।
मुख पे दिखता तेज , दूर सब दिखे उदासी ।।
कहे कोई न भूप , कहे सब ही संयासी ।
ऐसी लीला आज , दिखाये घट-घट वासी ।।

                                                   जन्म-मृत्यु का देख , एक मैं ही हूँ कारण ।
                                                हर जीवन अनमोल , नहीं कोई साधारण ।।
                                             सबमे मेरा वास , समझ ले यह ही प्राणी ।
                                             तेरे मुख से नित्य , निकलती मेरी वाणी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

रोला छन्द :- राम सिया का रूप , लगे बिल्कुल वनवासी । मुख पे दिखता तेज , दूर सब दिखे उदासी ।। कहे कोई न भूप , कहे सब ही संयासी । ऐसी लीला आज

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दोहा :- आज पढ़ाकर बेटियाँ  , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।। पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान । निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-

आज पढ़ाकर बेटियाँ  , बचा न पाये प्राण ।
पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।।

गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।।

पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान ।
निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।।


महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- आज पढ़ाकर बेटियाँ  , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता

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दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही  , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।। मूक बधिर हम सब बने , देख रहे हैं कृत्य । गली-गली शैतान वह , हमें दिखाता नृत्य ।। सरल यही अब राह है , जला सभी लो मोम । याद भला कब तक रहे , तुम्हें नाथ का ओम ।। याद किसी को है नही , सत्य सनातन ओम । बुझे पड़े है कुंड सब , कही न होता होम ।। जला-जला के मोम को , देते रहो प्रमाण । हम निर्बल असहाय हैं , हर लो मेरे प्राण ।। पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान । निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
बेटी पढ़ाकर भी नही  , बचा न पाये प्राण ।
पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।।

गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।।

मूक बधिर हम सब बने , देख रहे हैं कृत्य ।
गली-गली शैतान वह , हमें दिखाता नृत्य ।।

सरल यही अब राह है , जला सभी लो मोम ।
याद भला कब तक रहे , तुम्हें नाथ का ओम ।।

याद किसी को है नही , सत्य सनातन ओम ।
बुझे पड़े है कुंड सब , कही न होता होम ।।

जला-जला के मोम को , देते रहो प्रमाण ।
हम निर्बल असहाय हैं , हर लो मेरे प्राण ।।

पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान ।
निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही  , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।

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#मोटिवेशनल #sad_shayari  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
चाहे शगुन व निर्गुण रुप मे भगवान श्री कृष्ण जी की उपासना से गुणातीत ब्रह्म की प्राप्ति होती है। यों तो गुणातीत का वर्णन नित्य, ज्ञान, अनन्त आदि शब्दोंसे किया गया है पर वास्तव में उसका स्वरूप वाणीbद्वारा नहीं बताया जा सकता, वह तो अचिन्त्य और अनिर्वचनीय है। अन्तमें वेद भी 'नेति-नेति' कहकर ही बतलाता है। वह अनुमान प्रमाण से भी नहीं जाना जा सकता, केवल अनुभव रूप ही है। क्योंकि समस्त प्रमाण उस ब्रह्म के सकाश से ही सिद्ध होते हैं। श्रुति कहती है-

©N S Yadav GoldMine

#sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} चाहे शगुन व निर्गुण रुप मे भगवान श्री कृष्ण जी की उपासना से गुणातीत ब्रह्म की प्राप्ति होती है। यों तो

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#मोटिवेशनल #guru_purnima  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
भगवान श्रीकृष्ण शरणं मम 🙏
🌹श्री गुरू शरणं मम 🙏🌹
चिन्तामणि केवल लौकिक सुख 
दे सकती है, कल्पवृक्ष अधिक से 
अधिक स्वर्ग की सम्पत्ति दे सकता है,
 परन्तु गुरूदेव प्रसन्न होकर भगवान 
का योगिदुर्लभ नित्य वैकुण्ठ धाम दे देते हैं। 
कृपानाथ गुरूवर के चरणारविन्द में 
कोटिशः वन्दन 🙏🌹

©N S Yadav GoldMine

#guru_purnima {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान श्रीकृष्ण शरणं मम 🙏 🌹श्री गुरू शरणं मम 🙏🌹 चिन्तामणि केवल लौकिक सुख दे सकती है, कल्पवृक्ष अधिक स

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दोहा:- चरण रखें जब राधिके , रखे श्याम दो हाथ । बन परछाई नित्य ही , रहते उनके साथ ।। बैठे-बैठे जप रहे, राधा-राधा नाम । शूल चुभा पग राधिका , चीख उठे घनश्याम ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा:-
चरण रखें जब राधिके , रखे श्याम दो हाथ ।
बन परछाई नित्य ही , रहते उनके साथ ।।

बैठे-बैठे जप रहे, राधा-राधा नाम ।
शूल चुभा पग राधिका , चीख उठे घनश्याम ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा:- चरण रखें जब राधिके , रखे श्याम दो हाथ । बन परछाई नित्य ही , रहते उनके साथ ।। बैठे-बैठे जप रहे, राधा-राधा नाम । शूल चुभा पग राधिका ,

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रोला छन्द :- राम सिया का रूप , लगे बिल्कुल वनवासी । मुख पे दिखता तेज , दूर सब दिखे उदासी ।। कहे कोई न भूप , कहे सब ही संयासी । ऐसी लीला आज , दिखाये घट-घट वासी ।। जन्म-मृत्यु का देख , एक मैं ही हूँ कारण । हर जीवन अनमोल , नहीं कोई साधारण ।। सबमे मेरा वास , समझ ले यह ही प्राणी । तेरे मुख से नित्य , निकलती मेरी वाणी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  रोला छन्द :-


राम सिया का रूप , लगे बिल्कुल वनवासी ।
मुख पे दिखता तेज , दूर सब दिखे उदासी ।।
कहे कोई न भूप , कहे सब ही संयासी ।
ऐसी लीला आज , दिखाये घट-घट वासी ।।

                                                   जन्म-मृत्यु का देख , एक मैं ही हूँ कारण ।
                                                हर जीवन अनमोल , नहीं कोई साधारण ।।
                                             सबमे मेरा वास , समझ ले यह ही प्राणी ।
                                             तेरे मुख से नित्य , निकलती मेरी वाणी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

रोला छन्द :- राम सिया का रूप , लगे बिल्कुल वनवासी । मुख पे दिखता तेज , दूर सब दिखे उदासी ।। कहे कोई न भूप , कहे सब ही संयासी । ऐसी लीला आज

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