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New नित पटना Status, Photo, Video

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#नवरात्रि_की_शुभकामनाएं #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #माता_के_दरबार_में #ज्योत्सना #कल्पना #अराधना

नव #कल्पना,नव #ज्योत्सना नव #शक्ति,नव #अराधना नित नए #बहार मिले #माता_के_दरबार_में आपको #नवरात्रि_की_शुभकामनाएं..🖊️ 🙏🪔🧘‍♀️🌺👣🌺🧘‍♀️🪔🙏

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जय जय श्री राधे 🙌🥰🌸 तेरी ममता और करुणा की है आस मेरी श्रीजी, गोदी उठा ले ना मां, हृदय से तेरे लग के आज भर लूं आखिरी सांस आज। 🙏🙇🏻‍♀️🥺 तेरे चर

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कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया :-

आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।
मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।।
अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।।
कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती ।
सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के

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कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया :-

आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।
मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।।
अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।।
कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती ।
सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।

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मुक्तक :- करूँ दोस्ती आपसे , आये जब  विश्वास । व्यर्थ लगाऊँ क्यूँ भला , आज आपसे आस । देख रहा हूँ नित जगत , करते सब ही घात- अभी तलक तुझमें नहीं , दिखा मुझे कुछ खास ।। हाथ मिले तो दिल मिले , कर तू ऐसा खास । आये जो विश्वास तो , मैं भी करू प्रयास । लेकर प्रभु की मैं शपथ , कहता तुमसे आज- हृदय जीत मेरा कभी , बन जाऊँ मैं दास ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
करूँ दोस्ती आपसे , आये जब  विश्वास ।
व्यर्थ लगाऊँ क्यूँ भला , आज आपसे आस ।
देख रहा हूँ नित जगत , करते सब ही घात-
अभी तलक तुझमें नहीं , दिखा मुझे कुछ खास ।।







हाथ मिले तो दिल मिले , कर तू ऐसा खास ।
आये जो विश्वास तो , मैं भी करू प्रयास ।
लेकर प्रभु की मैं शपथ , कहता तुमसे आज-
हृदय जीत मेरा कभी , बन जाऊँ मैं दास ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- करूँ दोस्ती आपसे , आये जब  विश्वास । व्यर्थ लगाऊँ क्यूँ भला , आज आपसे आस । देख रहा हूँ नित जगत , करते सब ही घात- अभी तलक तुझमें नह

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#शिक्षा #सिखाते #कविता #अधूरा #ज्ञान #महिमा  White 
,, हम गुरु चरणों में शीश झुकाएँ ,,
 

गुरु शरण नित शीश झुका कर,
अंतस सुख पा जाइए ।
मिलता अनुपम ज्ञान जहाँ से,
जीवन को सुखी यही बनाइए ।

भक्ति का सार सिखाते गुरु वर,
प्रभु मिलन की राह बनाइए।
नर देह धरी प्रभु ने जो धरा पर,
गुरु शरण में शीश झुकाया था ।

गुरु की महिमा का ज्ञान हमें,
गुरु शिक्षा से सिखलाया था।
भव सागर से तर जाने को,
जप नाम का मार्ग दिखाया था ।

गुरु बिन ज्ञान अधूरा होता,
यह गुर( तरीका)हमको सिखलाया था।
मात - पिता,गुरु,बंधु,सखा,
'गुरु ' सम ज्ञान की सीढ़ी हैं ।

गुरु मान इन्हें नित शीश झुका,
अंतस में इन्हें बिठाइए।
गुरु शरण नित शीश झुकाइए ।

©बेजुबान शायर shivkumar

#guru_purnima #Nojoto ,, हम #गुरु चरणों में शीश झुकाएँ ,,

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#नवरात्रि_की_शुभकामनाएं #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #माता_के_दरबार_में #ज्योत्सना #कल्पना #अराधना

नव #कल्पना,नव #ज्योत्सना नव #शक्ति,नव #अराधना नित नए #बहार मिले #माता_के_दरबार_में आपको #नवरात्रि_की_शुभकामनाएं..🖊️ 🙏🪔🧘‍♀️🌺👣🌺🧘‍♀️🪔🙏

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जय जय श्री राधे 🙌🥰🌸 तेरी ममता और करुणा की है आस मेरी श्रीजी, गोदी उठा ले ना मां, हृदय से तेरे लग के आज भर लूं आखिरी सांस आज। 🙏🙇🏻‍♀️🥺 तेरे चर

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कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया :-

आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।
मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।।
अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।।
कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती ।
सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के

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कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया :-

आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।
मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।।
अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।।
कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती ।
सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।

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मुक्तक :- करूँ दोस्ती आपसे , आये जब  विश्वास । व्यर्थ लगाऊँ क्यूँ भला , आज आपसे आस । देख रहा हूँ नित जगत , करते सब ही घात- अभी तलक तुझमें नहीं , दिखा मुझे कुछ खास ।। हाथ मिले तो दिल मिले , कर तू ऐसा खास । आये जो विश्वास तो , मैं भी करू प्रयास । लेकर प्रभु की मैं शपथ , कहता तुमसे आज- हृदय जीत मेरा कभी , बन जाऊँ मैं दास ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
करूँ दोस्ती आपसे , आये जब  विश्वास ।
व्यर्थ लगाऊँ क्यूँ भला , आज आपसे आस ।
देख रहा हूँ नित जगत , करते सब ही घात-
अभी तलक तुझमें नहीं , दिखा मुझे कुछ खास ।।







हाथ मिले तो दिल मिले , कर तू ऐसा खास ।
आये जो विश्वास तो , मैं भी करू प्रयास ।
लेकर प्रभु की मैं शपथ , कहता तुमसे आज-
हृदय जीत मेरा कभी , बन जाऊँ मैं दास ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- करूँ दोस्ती आपसे , आये जब  विश्वास । व्यर्थ लगाऊँ क्यूँ भला , आज आपसे आस । देख रहा हूँ नित जगत , करते सब ही घात- अभी तलक तुझमें नह

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#शिक्षा #सिखाते #कविता #अधूरा #ज्ञान #महिमा  White 
,, हम गुरु चरणों में शीश झुकाएँ ,,
 

गुरु शरण नित शीश झुका कर,
अंतस सुख पा जाइए ।
मिलता अनुपम ज्ञान जहाँ से,
जीवन को सुखी यही बनाइए ।

भक्ति का सार सिखाते गुरु वर,
प्रभु मिलन की राह बनाइए।
नर देह धरी प्रभु ने जो धरा पर,
गुरु शरण में शीश झुकाया था ।

गुरु की महिमा का ज्ञान हमें,
गुरु शिक्षा से सिखलाया था।
भव सागर से तर जाने को,
जप नाम का मार्ग दिखाया था ।

गुरु बिन ज्ञान अधूरा होता,
यह गुर( तरीका)हमको सिखलाया था।
मात - पिता,गुरु,बंधु,सखा,
'गुरु ' सम ज्ञान की सीढ़ी हैं ।

गुरु मान इन्हें नित शीश झुका,
अंतस में इन्हें बिठाइए।
गुरु शरण नित शीश झुकाइए ।

©बेजुबान शायर shivkumar

#guru_purnima #Nojoto ,, हम #गुरु चरणों में शीश झुकाएँ ,,

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