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#भक्ति

झूले वाली माता। हरसिद्धि। उज्जैन

126 View

White पल्लव की डायरी उतार चढ़ाव के झूले झुले नाटक दुनियाँ के खेले है लगाव और अपनापन में जिंदगी जोख दी आज अपन अकेले है निगाहे उन सब को खोजे जो कसमे साथ रहने की खाते थे सहारे उनके अब खलते है तन्हाइयो में हम छटपटाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #love_shayari #nojotohindi  White पल्लव की डायरी
उतार चढ़ाव के झूले झुले
नाटक दुनियाँ के खेले है
लगाव और अपनापन में जिंदगी जोख दी
आज अपन अकेले है
निगाहे उन सब को खोजे
जो कसमे साथ रहने की खाते थे
सहारे उनके अब खलते है
तन्हाइयो में हम छटपटाते है
                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#love_shayari उतार चढ़ाव के झूले झुले #nojotohindi

18 Love

#कविता #love_shayari

#love_shayari जहां सावन की कजली ना हो

207 View

#Videos

लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है

180 View

सावन डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द) सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर । लख कर जलधर , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर । परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर। सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर। ©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

#रक्षाबंधन #भक्ति #शिवजी #सावन  सावन
डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द)

सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर ।
लख कर जलधर  , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर ।
परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर।
सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
 कंहा गया
वो सावन। 
पेड़ की टहनी पर डाल कर झूला
अकेले ही झूला, झूला हमने
न डर, न खोफ़ था, बेफिक्री थी। 
आज डर है, 
मेरी पैदाईश, मेरे पालन का, 
क्या झूलूं, कंहा झूलू
अब, कौन से सावन मे, 
अब, हर नज़र ललचाई, 
हर मन, हवस समाई, 
मुझे सिर्फ 'सामान' जानता है
हवस मिटाने का मकान मानता है

©arvind bhanwra ambala. India

कंहा गया वो सावन

144 View

#भक्ति

झूले वाली माता। हरसिद्धि। उज्जैन

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White पल्लव की डायरी उतार चढ़ाव के झूले झुले नाटक दुनियाँ के खेले है लगाव और अपनापन में जिंदगी जोख दी आज अपन अकेले है निगाहे उन सब को खोजे जो कसमे साथ रहने की खाते थे सहारे उनके अब खलते है तन्हाइयो में हम छटपटाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #love_shayari #nojotohindi  White पल्लव की डायरी
उतार चढ़ाव के झूले झुले
नाटक दुनियाँ के खेले है
लगाव और अपनापन में जिंदगी जोख दी
आज अपन अकेले है
निगाहे उन सब को खोजे
जो कसमे साथ रहने की खाते थे
सहारे उनके अब खलते है
तन्हाइयो में हम छटपटाते है
                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#love_shayari उतार चढ़ाव के झूले झुले #nojotohindi

18 Love

#कविता #love_shayari

#love_shayari जहां सावन की कजली ना हो

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#Videos

लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है

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सावन डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द) सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर । लख कर जलधर , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर । परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर। सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर। ©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

#रक्षाबंधन #भक्ति #शिवजी #सावन  सावन
डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द)

सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर ।
लख कर जलधर  , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर ।
परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर।
सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
 कंहा गया
वो सावन। 
पेड़ की टहनी पर डाल कर झूला
अकेले ही झूला, झूला हमने
न डर, न खोफ़ था, बेफिक्री थी। 
आज डर है, 
मेरी पैदाईश, मेरे पालन का, 
क्या झूलूं, कंहा झूलू
अब, कौन से सावन मे, 
अब, हर नज़र ललचाई, 
हर मन, हवस समाई, 
मुझे सिर्फ 'सामान' जानता है
हवस मिटाने का मकान मानता है

©arvind bhanwra ambala. India

कंहा गया वो सावन

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