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White "हिन्दी हिन्द की प्यारी भाषा " :::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: हिन्दी हिन्द की बड़ी प्यारी भाषा हैं। मीठे बोल रस घोल न्यारी परिभाषा हैं।। विश्व धरोहर भारत माता की आशा हैं। जन गण मन दुलरी साहित्य तराशा है।। शब्द सृजन श्रृंगार बहु अर्थ अनंता है। ज्ञान गौरव गाथा अलंकृत छंदा है।। दोहा सलिल ग्रन्थ सनातन संस्कृति हैं। मातृभूमि मातृभाषा अपनी जागृति हैं।। सहज सरल अंतर्मन में ये बसती हैं। ऋषि मुनि कवियों के लेखन में सजती है।। जन मानस पटल के वाणी पे चहकती है। माटी की आवाज युगों युगों बरसती हैं।। उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम हर दिशा की शान हैं। सभ्य समाज निर्मात्री आर्यावर्त की पहचान है।। अक्षर शब्द वाक्य शुशोभित हिन्दी सबकी मान हैं। भाव विभूति संस्कार सुरो की भारती की जान हैं।। अनेकता में एकता का सूत्र बांधे ये हिन्दी। अखण्ड भारत को सुन्दर रूप साजे हिंदी।। फ़िजी मॉरीशस नेपाल सिंगापुर विराजे हिंदी। त्रिनिदाद टोबैगो पाकिस्तान में हैं आगे हिन्दी।। श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश, म्यांमार. । दुनिया भर का हैं चहेती मोहक श्रृंगार।। करीब 60 करोड़ लोगों का मिलता प्यार विद्यार्थी जय भारती जय जन्मभूमि बिहार।। स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी (अध्यापक/कवि/साहित्यकार/गीतकार सह गायक) मौलाबाग,भोजपुर (आरा) ,बिहार पिन कोड - 802301 ©Prakash Vidyarthi

#कवितायें #sad_quotes  White "हिन्दी हिन्द की प्यारी भाषा "

::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

हिन्दी हिन्द की बड़ी प्यारी भाषा हैं।
मीठे बोल रस घोल न्यारी परिभाषा हैं।।
विश्व धरोहर भारत माता की आशा हैं।
जन गण मन दुलरी साहित्य तराशा है।।

शब्द सृजन श्रृंगार बहु अर्थ अनंता है।
ज्ञान गौरव गाथा अलंकृत छंदा है।।
दोहा सलिल ग्रन्थ सनातन संस्कृति हैं।
मातृभूमि मातृभाषा अपनी जागृति हैं।।

सहज सरल अंतर्मन में ये बसती हैं।
ऋषि मुनि कवियों के लेखन में सजती है।।
जन मानस पटल के वाणी पे चहकती है।
माटी की आवाज युगों युगों बरसती हैं।।

उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम हर दिशा की शान हैं।
सभ्य समाज निर्मात्री आर्यावर्त की पहचान है।।
अक्षर शब्द वाक्य शुशोभित हिन्दी सबकी मान हैं।
भाव विभूति संस्कार सुरो की भारती की जान हैं।।

अनेकता में एकता का सूत्र बांधे ये हिन्दी।
अखण्ड भारत को सुन्दर रूप साजे हिंदी।।
फ़िजी मॉरीशस नेपाल सिंगापुर विराजे हिंदी।
त्रिनिदाद टोबैगो पाकिस्तान में हैं आगे हिन्दी।।

श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश, म्यांमार. ।
दुनिया भर का हैं चहेती मोहक श्रृंगार।।
करीब 60 करोड़ लोगों का मिलता प्यार 
विद्यार्थी जय भारती जय जन्मभूमि बिहार।।

स्वरचित:- 
प्रकाश विद्यार्थी 
(अध्यापक/कवि/साहित्यकार/गीतकार सह गायक)
मौलाबाग,भोजपुर (आरा) ,बिहार 
पिन कोड - 802301

©Prakash Vidyarthi

दिल में प्यार का तूफान लेकर बरसता बादल बन जाऊं हसरत मेरी है की आंखों का तेरी आंखों का काजल बन जाऊं ♥️ ©Dharamveer Kumar

 दिल में प्यार का तूफान लेकर बरसता बादल बन जाऊं हसरत मेरी है की आंखों का तेरी आंखों का काजल बन जाऊं ♥️

©Dharamveer Kumar

काजल पर शायरी

12 Love

#कविता

कविता बारिश पर कविता प्यार पर कविता कविता कोश

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#पर्यावरण #कविता

White ये सारे देवता,,, जंगल, नदियों, पेड़ों, जानवरों, पहाड़ों.... के पास क्यों मिले???? क्यों वो कंक्रीट के साम्राज्य में अध्यात्म नहीं खोज पाए???????? ऊर्ध्वमूलमधःशाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम् । छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदबित् ।। गीता : 15.1 ।। हरि ॐ ©Ram Yadav

#पर्यावरण #अध्यात्म #विचार #भारत #Krishna  White ये सारे देवता,,, 
जंगल, नदियों, पेड़ों, जानवरों, पहाड़ों....
के पास क्यों मिले????

क्यों वो कंक्रीट के साम्राज्य में अध्यात्म नहीं खोज पाए????????




ऊर्ध्वमूलमधःशाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम् । 
छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदबित् ।। गीता : 15.1 ।।


हरि ॐ

©Ram Yadav

पर्यावरण - नई हरयाणवी रागनी  तूं कितना ए जतन लगाले बन्दे वो पल में प्रलय करता है  तूं भाज भाज कै थक लेगा, वो एक पग में योजन भरता है  तनै पेड़ अर पौधे काट काट कै, जंगल नदी उजाड़ दिए  पर्वत घाटी काट काट कै, खनिज और पत्थर काढ़ लिए उनै बाढ़ के पंजे गाड़ दिए, इब क्यूं ज्यान बचाए फिरता है  तनै सारी ए धरती बंजर करदी, मार कै खाद दवाई  खान पान सब जहरी कर दिया, जहरी ए हवा बणाई  तनै अपनी शामत आप बुलाई, वो तौल तौल कै धरता है  धरती थोथी करकै नै तनै, सारा पाणी खींच लिया  पीवण नै भी छोड़या ना तनै, आंगण बाड़ी सींच लिया  उनै दया का पंजा भींच लिया इब, बूंद बूंद नै मरता है  कई कई मंजिल भवन बणा लिए, कितै बारा कितै ठारा  पहाड़ दरकगे नदी उफणगी, तेरा कुछ ना चाल्या चारा  कदे सुनामी कदे हल्लण आरहया, फिर कुदरत से क्यूं डरता है गुरु पालेराम नै पकड़ आंगली कथना रचना सिखा दिया  के आच्छा के बुरा जगत में शीशे की ज्यूं दिखा दिया  उनै कड़वा मीठा चखा दिया वो जीवन के दुख हरता है कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25 ©Anand Kumar Ashodhiya

#पर्यावरण #कविता  पर्यावरण - नई हरयाणवी रागनी 

तूं कितना ए जतन लगाले बन्दे वो पल में प्रलय करता है 
तूं भाज भाज कै थक लेगा, वो एक पग में योजन भरता है 

तनै पेड़ अर पौधे काट काट कै, जंगल नदी उजाड़ दिए 
पर्वत घाटी काट काट कै, खनिज और पत्थर काढ़ लिए
उनै बाढ़ के पंजे गाड़ दिए, इब क्यूं ज्यान बचाए फिरता है 

तनै सारी ए धरती बंजर करदी, मार कै खाद दवाई 
खान पान सब जहरी कर दिया, जहरी ए हवा बणाई 
तनै अपनी शामत आप बुलाई, वो तौल तौल कै धरता है 

धरती थोथी करकै नै तनै, सारा पाणी खींच लिया 
पीवण नै भी छोड़या ना तनै, आंगण बाड़ी सींच लिया 
उनै दया का पंजा भींच लिया इब, बूंद बूंद नै मरता है 

कई कई मंजिल भवन बणा लिए, कितै बारा कितै ठारा 
पहाड़ दरकगे नदी उफणगी, तेरा कुछ ना चाल्या चारा 
कदे सुनामी कदे हल्लण आरहया, फिर कुदरत से क्यूं डरता है

गुरु पालेराम नै पकड़ आंगली कथना रचना सिखा दिया 
के आच्छा के बुरा जगत में शीशे की ज्यूं दिखा दिया 
उनै कड़वा मीठा चखा दिया वो जीवन के दुख हरता है

कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25

©Anand Kumar Ashodhiya

#पर्यावरण नई हरयाणवी रागनी पर्यावरण कविता कोश कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता

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White "हिन्दी हिन्द की प्यारी भाषा " :::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: हिन्दी हिन्द की बड़ी प्यारी भाषा हैं। मीठे बोल रस घोल न्यारी परिभाषा हैं।। विश्व धरोहर भारत माता की आशा हैं। जन गण मन दुलरी साहित्य तराशा है।। शब्द सृजन श्रृंगार बहु अर्थ अनंता है। ज्ञान गौरव गाथा अलंकृत छंदा है।। दोहा सलिल ग्रन्थ सनातन संस्कृति हैं। मातृभूमि मातृभाषा अपनी जागृति हैं।। सहज सरल अंतर्मन में ये बसती हैं। ऋषि मुनि कवियों के लेखन में सजती है।। जन मानस पटल के वाणी पे चहकती है। माटी की आवाज युगों युगों बरसती हैं।। उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम हर दिशा की शान हैं। सभ्य समाज निर्मात्री आर्यावर्त की पहचान है।। अक्षर शब्द वाक्य शुशोभित हिन्दी सबकी मान हैं। भाव विभूति संस्कार सुरो की भारती की जान हैं।। अनेकता में एकता का सूत्र बांधे ये हिन्दी। अखण्ड भारत को सुन्दर रूप साजे हिंदी।। फ़िजी मॉरीशस नेपाल सिंगापुर विराजे हिंदी। त्रिनिदाद टोबैगो पाकिस्तान में हैं आगे हिन्दी।। श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश, म्यांमार. । दुनिया भर का हैं चहेती मोहक श्रृंगार।। करीब 60 करोड़ लोगों का मिलता प्यार विद्यार्थी जय भारती जय जन्मभूमि बिहार।। स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी (अध्यापक/कवि/साहित्यकार/गीतकार सह गायक) मौलाबाग,भोजपुर (आरा) ,बिहार पिन कोड - 802301 ©Prakash Vidyarthi

#कवितायें #sad_quotes  White "हिन्दी हिन्द की प्यारी भाषा "

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हिन्दी हिन्द की बड़ी प्यारी भाषा हैं।
मीठे बोल रस घोल न्यारी परिभाषा हैं।।
विश्व धरोहर भारत माता की आशा हैं।
जन गण मन दुलरी साहित्य तराशा है।।

शब्द सृजन श्रृंगार बहु अर्थ अनंता है।
ज्ञान गौरव गाथा अलंकृत छंदा है।।
दोहा सलिल ग्रन्थ सनातन संस्कृति हैं।
मातृभूमि मातृभाषा अपनी जागृति हैं।।

सहज सरल अंतर्मन में ये बसती हैं।
ऋषि मुनि कवियों के लेखन में सजती है।।
जन मानस पटल के वाणी पे चहकती है।
माटी की आवाज युगों युगों बरसती हैं।।

उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम हर दिशा की शान हैं।
सभ्य समाज निर्मात्री आर्यावर्त की पहचान है।।
अक्षर शब्द वाक्य शुशोभित हिन्दी सबकी मान हैं।
भाव विभूति संस्कार सुरो की भारती की जान हैं।।

अनेकता में एकता का सूत्र बांधे ये हिन्दी।
अखण्ड भारत को सुन्दर रूप साजे हिंदी।।
फ़िजी मॉरीशस नेपाल सिंगापुर विराजे हिंदी।
त्रिनिदाद टोबैगो पाकिस्तान में हैं आगे हिन्दी।।

श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश, म्यांमार. ।
दुनिया भर का हैं चहेती मोहक श्रृंगार।।
करीब 60 करोड़ लोगों का मिलता प्यार 
विद्यार्थी जय भारती जय जन्मभूमि बिहार।।

स्वरचित:- 
प्रकाश विद्यार्थी 
(अध्यापक/कवि/साहित्यकार/गीतकार सह गायक)
मौलाबाग,भोजपुर (आरा) ,बिहार 
पिन कोड - 802301

©Prakash Vidyarthi

दिल में प्यार का तूफान लेकर बरसता बादल बन जाऊं हसरत मेरी है की आंखों का तेरी आंखों का काजल बन जाऊं ♥️ ©Dharamveer Kumar

 दिल में प्यार का तूफान लेकर बरसता बादल बन जाऊं हसरत मेरी है की आंखों का तेरी आंखों का काजल बन जाऊं ♥️

©Dharamveer Kumar

काजल पर शायरी

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#कविता

कविता बारिश पर कविता प्यार पर कविता कविता कोश

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#पर्यावरण #कविता

White ये सारे देवता,,, जंगल, नदियों, पेड़ों, जानवरों, पहाड़ों.... के पास क्यों मिले???? क्यों वो कंक्रीट के साम्राज्य में अध्यात्म नहीं खोज पाए???????? ऊर्ध्वमूलमधःशाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम् । छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदबित् ।। गीता : 15.1 ।। हरि ॐ ©Ram Yadav

#पर्यावरण #अध्यात्म #विचार #भारत #Krishna  White ये सारे देवता,,, 
जंगल, नदियों, पेड़ों, जानवरों, पहाड़ों....
के पास क्यों मिले????

क्यों वो कंक्रीट के साम्राज्य में अध्यात्म नहीं खोज पाए????????




ऊर्ध्वमूलमधःशाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम् । 
छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदबित् ।। गीता : 15.1 ।।


हरि ॐ

©Ram Yadav

पर्यावरण - नई हरयाणवी रागनी  तूं कितना ए जतन लगाले बन्दे वो पल में प्रलय करता है  तूं भाज भाज कै थक लेगा, वो एक पग में योजन भरता है  तनै पेड़ अर पौधे काट काट कै, जंगल नदी उजाड़ दिए  पर्वत घाटी काट काट कै, खनिज और पत्थर काढ़ लिए उनै बाढ़ के पंजे गाड़ दिए, इब क्यूं ज्यान बचाए फिरता है  तनै सारी ए धरती बंजर करदी, मार कै खाद दवाई  खान पान सब जहरी कर दिया, जहरी ए हवा बणाई  तनै अपनी शामत आप बुलाई, वो तौल तौल कै धरता है  धरती थोथी करकै नै तनै, सारा पाणी खींच लिया  पीवण नै भी छोड़या ना तनै, आंगण बाड़ी सींच लिया  उनै दया का पंजा भींच लिया इब, बूंद बूंद नै मरता है  कई कई मंजिल भवन बणा लिए, कितै बारा कितै ठारा  पहाड़ दरकगे नदी उफणगी, तेरा कुछ ना चाल्या चारा  कदे सुनामी कदे हल्लण आरहया, फिर कुदरत से क्यूं डरता है गुरु पालेराम नै पकड़ आंगली कथना रचना सिखा दिया  के आच्छा के बुरा जगत में शीशे की ज्यूं दिखा दिया  उनै कड़वा मीठा चखा दिया वो जीवन के दुख हरता है कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25 ©Anand Kumar Ashodhiya

#पर्यावरण #कविता  पर्यावरण - नई हरयाणवी रागनी 

तूं कितना ए जतन लगाले बन्दे वो पल में प्रलय करता है 
तूं भाज भाज कै थक लेगा, वो एक पग में योजन भरता है 

तनै पेड़ अर पौधे काट काट कै, जंगल नदी उजाड़ दिए 
पर्वत घाटी काट काट कै, खनिज और पत्थर काढ़ लिए
उनै बाढ़ के पंजे गाड़ दिए, इब क्यूं ज्यान बचाए फिरता है 

तनै सारी ए धरती बंजर करदी, मार कै खाद दवाई 
खान पान सब जहरी कर दिया, जहरी ए हवा बणाई 
तनै अपनी शामत आप बुलाई, वो तौल तौल कै धरता है 

धरती थोथी करकै नै तनै, सारा पाणी खींच लिया 
पीवण नै भी छोड़या ना तनै, आंगण बाड़ी सींच लिया 
उनै दया का पंजा भींच लिया इब, बूंद बूंद नै मरता है 

कई कई मंजिल भवन बणा लिए, कितै बारा कितै ठारा 
पहाड़ दरकगे नदी उफणगी, तेरा कुछ ना चाल्या चारा 
कदे सुनामी कदे हल्लण आरहया, फिर कुदरत से क्यूं डरता है

गुरु पालेराम नै पकड़ आंगली कथना रचना सिखा दिया 
के आच्छा के बुरा जगत में शीशे की ज्यूं दिखा दिया 
उनै कड़वा मीठा चखा दिया वो जीवन के दुख हरता है

कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25

©Anand Kumar Ashodhiya

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