Anand Kumar Ashodhiya

Anand Kumar Ashodhiya Lives in Sonipat, Haryana, India

Author, Writer, Composer, Blogger, Publisher

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निर्भया - नई हरयाणवी रागणी  वासना के भूखे दरिन्दे, याहडै कदम कदम पै पावैं सैं  करकै इज्जत तार तार फेर, मौत के घाट पहुँचावैं सैं  मन्नै पता ना मेरी हस्ती नै, कौण मिटा कै चल्या गया  मैं तीन साल की बच्ची थी मनै, मौत की नींद सुल्या  गया  मैं दर्द के मारे रोवण लागी, वो गला घोंट कै चल्या गया  बेदम हाेकै मेरी आँख पाटगी, वो मनै फेंक कै चल्या गया  इब रक्त रंजित मेरी लाश पड़ी सब, नैना नीर बहावैं सैं  दस बारा आज बरस बीतगे, मनै स्कूल में जाती नै  लुंगाडा की फौज खड़ी रहै, मनै छेड़ें आती जाती नै  कोए नज़रां तै पाछा करता, कोए घूरै था मेरी छाती नै  घर वालों को बता सकी ना मैं तो खुद पै ही शरमाती नै  लूट कै इज्जत घाल कै फाँसी इब पेड्डां पै लटकावैं सैं बस का सफर हो या रेल यात्रा, सब मेरै ए सटणा चाहवैं थे सिरफिरे बदमाश अवारा, ना कुराह तै हटणा चाहवैं थे  हर हालत में मनै घेर कै, मेरै तन कै चिपटणा चाहवैं थे   पागल कुत्ते के माफ़िक, मेरा माँस नोंचणा चाहवैं थे   आज मैं भी निर्भया बणा देइ मेरी लाश पै कैंडल जळावैं सैं  हे पणमेशर तूँ हे बता तनै, यो कुणसा खेल रचाया सै  औरत होणा ही दुश्वर है तो क्यूं औरत रूप बणाया सै  सारी गलती नारी देह की, जो मानव मन भटकाया सै  तेरी माया नै समझ सके ना, ना यो भेद किसै नै पाया सै  गुरु पाले राम सुरग में जा लिए पर आनंद का ज्ञान बढावैं सैं कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25 ©Anand Kumar Ashodhiya

#निर्भया #कविता #Thinking #nirbhaya  निर्भया - नई हरयाणवी रागणी 

वासना के भूखे दरिन्दे, याहडै कदम कदम पै पावैं सैं 
करकै इज्जत तार तार फेर, मौत के घाट पहुँचावैं सैं 

मन्नै पता ना मेरी हस्ती नै, कौण मिटा कै चल्या गया 
मैं तीन साल की बच्ची थी मनै, मौत की नींद सुल्या  गया 
मैं दर्द के मारे रोवण लागी, वो गला घोंट कै चल्या गया 
बेदम हाेकै मेरी आँख पाटगी, वो मनै फेंक कै चल्या गया 
इब रक्त रंजित मेरी लाश पड़ी सब, नैना नीर बहावैं सैं 

दस बारा आज बरस बीतगे, मनै स्कूल में जाती नै 
लुंगाडा की फौज खड़ी रहै, मनै छेड़ें आती जाती नै 
कोए नज़रां तै पाछा करता, कोए घूरै था मेरी छाती नै 
घर वालों को बता सकी ना मैं तो खुद पै ही शरमाती नै 
लूट कै इज्जत घाल कै फाँसी इब पेड्डां पै लटकावैं सैं

बस का सफर हो या रेल यात्रा, सब मेरै ए सटणा चाहवैं थे
सिरफिरे बदमाश अवारा, ना कुराह तै हटणा चाहवैं थे 
हर हालत में मनै घेर कै, मेरै तन कै चिपटणा चाहवैं थे  
पागल कुत्ते के माफ़िक, मेरा माँस नोंचणा चाहवैं थे  
आज मैं भी निर्भया बणा देइ मेरी लाश पै कैंडल जळावैं सैं 

हे पणमेशर तूँ हे बता तनै, यो कुणसा खेल रचाया सै 
औरत होणा ही दुश्वर है तो क्यूं औरत रूप बणाया सै 
सारी गलती नारी देह की, जो मानव मन भटकाया सै 
तेरी माया नै समझ सके ना, ना यो भेद किसै नै पाया सै 
गुरु पाले राम सुरग में जा लिए पर आनंद का ज्ञान बढावैं सैं

कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25

©Anand Kumar Ashodhiya

#Thinking #निर्भया #nirbhaya निर्भया नई हरयाणवी रागनी हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कविताएं कविता कोश

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पर्यावरण - नई हरयाणवी रागनी  तूं कितना ए जतन लगाले बन्दे वो पल में प्रलय करता है  तूं भाज भाज कै थक लेगा, वो एक पग में योजन भरता है  तनै पेड़ अर पौधे काट काट कै, जंगल नदी उजाड़ दिए  पर्वत घाटी काट काट कै, खनिज और पत्थर काढ़ लिए उनै बाढ़ के पंजे गाड़ दिए, इब क्यूं ज्यान बचाए फिरता है  तनै सारी ए धरती बंजर करदी, मार कै खाद दवाई  खान पान सब जहरी कर दिया, जहरी ए हवा बणाई  तनै अपनी शामत आप बुलाई, वो तौल तौल कै धरता है  धरती थोथी करकै नै तनै, सारा पाणी खींच लिया  पीवण नै भी छोड़या ना तनै, आंगण बाड़ी सींच लिया  उनै दया का पंजा भींच लिया इब, बूंद बूंद नै मरता है  कई कई मंजिल भवन बणा लिए, कितै बारा कितै ठारा  पहाड़ दरकगे नदी उफणगी, तेरा कुछ ना चाल्या चारा  कदे सुनामी कदे हल्लण आरहया, फिर कुदरत से क्यूं डरता है गुरु पालेराम नै पकड़ आंगली कथना रचना सिखा दिया  के आच्छा के बुरा जगत में शीशे की ज्यूं दिखा दिया  उनै कड़वा मीठा चखा दिया वो जीवन के दुख हरता है कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25 ©Anand Kumar Ashodhiya

#पर्यावरण #कविता  पर्यावरण - नई हरयाणवी रागनी 

तूं कितना ए जतन लगाले बन्दे वो पल में प्रलय करता है 
तूं भाज भाज कै थक लेगा, वो एक पग में योजन भरता है 

तनै पेड़ अर पौधे काट काट कै, जंगल नदी उजाड़ दिए 
पर्वत घाटी काट काट कै, खनिज और पत्थर काढ़ लिए
उनै बाढ़ के पंजे गाड़ दिए, इब क्यूं ज्यान बचाए फिरता है 

तनै सारी ए धरती बंजर करदी, मार कै खाद दवाई 
खान पान सब जहरी कर दिया, जहरी ए हवा बणाई 
तनै अपनी शामत आप बुलाई, वो तौल तौल कै धरता है 

धरती थोथी करकै नै तनै, सारा पाणी खींच लिया 
पीवण नै भी छोड़या ना तनै, आंगण बाड़ी सींच लिया 
उनै दया का पंजा भींच लिया इब, बूंद बूंद नै मरता है 

कई कई मंजिल भवन बणा लिए, कितै बारा कितै ठारा 
पहाड़ दरकगे नदी उफणगी, तेरा कुछ ना चाल्या चारा 
कदे सुनामी कदे हल्लण आरहया, फिर कुदरत से क्यूं डरता है

गुरु पालेराम नै पकड़ आंगली कथना रचना सिखा दिया 
के आच्छा के बुरा जगत में शीशे की ज्यूं दिखा दिया 
उनै कड़वा मीठा चखा दिया वो जीवन के दुख हरता है

कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25

©Anand Kumar Ashodhiya

#पर्यावरण नई हरयाणवी रागनी पर्यावरण कविता कोश कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता

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#हरयाणवी #कविता #Haryanvi #ragni  2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी 


नेक कमाई करिए बन्दे, ना कार कमाइए खोटी ।
चोरी का धन मोरी में जा, खाणी सैं दो रोटी ।।


तूं भी माटी तेरे तन पै माटी, सब माटी बीच समावै सै ।
सब कुछ माटी हो ज्या सै क्यूं, पाप की गठड़ी ठावै सै ।।
किसके लिए कमावै सै या, रिश्वत ले ले मोटी ।।


मैं मैं, मैं मैं, मेरा मेरी, मैं नस नस के म्ह समा गई ।
बेईमानी और अहंकार नै, नस नस के म्ह रमा गई ।।
तेरी बुद्धि पै रू जमा गई, देइ खेल समय नै गोटी ।।


इस काया का के करले जब, आग के बीच धकेली जा ।
जीव आत्मा सौंपी जा सै, के करले महल हवेली का ।।
कुछ बनै ना पिसे धेली का, जब चलै काळ की सोटी ।।


तूं नई योजना त्यार करै, वो पहलमै लिखकै धर रहया सै ।
गुरू पालेराम कै आनन्द शाहपुर, रोज हाजरी भर रहया सै।।
गुरू घणी सहाई कर रहया सै तूं, रच बड्डी या छोटी ।।


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©Anand Kumar Ashodhiya

2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी #ragni #हरयाणवी #Haryanvi

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2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी  नेक कमाई करिए बन्दे, ना कार कमाइए खोटी । चोरी का धन मोरी में जा, खाणी सैं दो रोटी ।। तूं भी माटी तेरे तन पै माटी, सब माटी बीच समावै सै । सब कुछ माटी हो ज्या सै क्यूं, पाप की गठड़ी ठावै सै ।। किसके लिए कमावै सै या, रिश्वत ले ले मोटी ।। मैं मैं, मैं मैं, मेरा मेरी, मैं नस नस के म्ह समा गई । बेईमानी और अहंकार नै, नस नस के म्ह रमा गई ।। तेरी बुद्धि पै रू जमा गई, देइ खेल समय नै गोटी ।। इस काया का के करले जब, आग के बीच धकेली जा । जीव आत्मा सौंपी जा सै, के करले महल हवेली का ।। कुछ बनै ना पिसे धेली का, जब चलै काळ की सोटी ।। तूं नई योजना त्यार करै, वो पहलमै लिखकै धर रहया सै । गुरू पालेराम कै आनन्द शाहपुर, रोज हाजरी भर रहया सै।। गुरू घणी सहाई कर रहया सै तूं, रच बड्डी या छोटी ।। कॉपीराइ ©Anand Kumar Ashodhiya

#हरयाणवी #कविता #Haryanvi #ragni  2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी 


नेक कमाई करिए बन्दे, ना कार कमाइए खोटी ।
चोरी का धन मोरी में जा, खाणी सैं दो रोटी ।।


तूं भी माटी तेरे तन पै माटी, सब माटी बीच समावै सै ।
सब कुछ माटी हो ज्या सै क्यूं, पाप की गठड़ी ठावै सै ।।
किसके लिए कमावै सै या, रिश्वत ले ले मोटी ।।


मैं मैं, मैं मैं, मेरा मेरी, मैं नस नस के म्ह समा गई ।
बेईमानी और अहंकार नै, नस नस के म्ह रमा गई ।।
तेरी बुद्धि पै रू जमा गई, देइ खेल समय नै गोटी ।।


इस काया का के करले जब, आग के बीच धकेली जा ।
जीव आत्मा सौंपी जा सै, के करले महल हवेली का ।।
कुछ बनै ना पिसे धेली का, जब चलै काळ की सोटी ।।


तूं नई योजना त्यार करै, वो पहलमै लिखकै धर रहया सै ।
गुरू पालेराम कै आनन्द शाहपुर, रोज हाजरी भर रहया सै।।
गुरू घणी सहाई कर रहया सै तूं, रच बड्डी या छोटी ।।


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2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी #ragni #हरयाणवी #Haryanvi

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#हरयाणवी #चुनाव  चुनावी रागणी - शतुरमुर्ग*

विकास का मुद्दा ठावण आळी, वा पार्टी पड़कै सो ली 
जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली 

शाल दुशाले काम्बळ काळे, मनै धर लिए तह लगाकै
देशी इंग्लिश की पेटी भी, मनै धर ली गिणा गिणाकै
अरै वोट कितै और चोट कितै, मैं आग्या बटण दबाकै
नाच नाच कै ढोल बजाया, मनै पंगु सरकार बणाकै
इब शतुरमुर्ग की तरिया मनै, रेत में नाड़ गडो ली
जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली 

देख देख कै नोटां की तह, मनै मन की लौ बुझा दी 
अरै बेगैरत की ढाळ आत्मा, देकै लोभ सुवा दी 
ले ले कै नै नोट करारे, मनै बोगस वोट घला दी 
ज़मीर बेचकै सोदा पाड़या, बोटां की झड़ी लगा दी 
इब पछता कै के फायदा जब, पाप में टाँग डबो ली 
जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली 

कदे धर्म पै कदे जात पै, कदे माणस ऊपर हार गया 
कदे नामा कदे जड़ का सामा, वोट के ऊपर वार गया 
कदे इंग्लिश कदे घर की काढी, गळ के नीचै तार गया 
झूठ कपट बेईमानी का नश्तर, सबके भीतर पार गया 
सच की घीटी पै पांह धरकै, मनै पाप की गठड़ी ढो ली 
जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली 

सही समय पै सही माणस नै, चुणने में हम फेल रहे 
गुरु पालेराम की बोट की खातिर, बड़े बड़े पापड़ बेल रहे 
अपणी बात बणावण खातिर, झूठ बवण्डर पेल रहे 
पाप की लकड़ी, सच की गिंडु, टोरम टोरा खेल रहे 
"आनन्द शाहपुर" चेत खड़या हो, क्यूँ नाश की राही टोह ली 
जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली 

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©Anand Kumar Ashodhiya

#हरयाणवी हरयाणवी रागनी चुनावी शतुरमुर्ग कविता व्यंग

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अशोक तंवर : चुनावी रागनी दोचश्मी  औरत : श्री अशोक तंवर जी नै, पिया इब जितवावेंगे।  पुरुष  :  गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥ औरत :  36 जातों का प्यारा, यो सबके हक दिलवा रहया  पुरुष  :  सिरसा डिस्ट्रिक्ट तै, यो न्या का झण्डा ठा रहया  पुरुष  :  मनै कसम तेरी खाली, इबकै हँगा लावेंगे। पुरुष  :  गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥ औरत :  बे‌रोजगारी भत्ता, यो दस हजार मिलेगा  पुरुष  :  हो घर घर एक नौकरी, भाई कोशिश यो करेगा  पुरुष  :  बुर्जुग महिला पैंशन, पाच हजार दिवावेंगे। पुरुष  :  गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥ औरत : राशन, गैस कनेक्शन, बिजली पाणी दे रहया पुरुष  :  शिक्षा मुफ्त चिकित्सा, किसान मानधन दे रहया पुरुष  :  एन पी एस के जरिए सबकी, पेंशन बंधवावेंगे। पुरुष  :  गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥ औरत : कहै आनन्द शाहपुरिया, करो वोटा का जरिया  पुरुष  :  करे हाथ जोड़ विनति, जितवादो इस बरिया  पुरुष  :  गरीब किसान पिछड़ों की, आवाज उठावेंगे। पुरुष  :  गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥ Anand Kumar Ashodhiya©2024 ©Anand Kumar Ashodhiya

 अशोक तंवर : चुनावी रागनी दोचश्मी 


औरत : श्री अशोक तंवर जी नै, पिया इब जितवावेंगे। 

पुरुष  :  गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥


औरत :  36 जातों का प्यारा, यो सबके हक दिलवा रहया 

पुरुष  :  सिरसा डिस्ट्रिक्ट तै, यो न्या का झण्डा ठा रहया 

पुरुष  :  मनै कसम तेरी खाली, इबकै हँगा लावेंगे।

पुरुष  :  गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥


औरत :  बे‌रोजगारी भत्ता, यो दस हजार मिलेगा 

पुरुष  :  हो घर घर एक नौकरी, भाई कोशिश यो करेगा 

पुरुष  :  बुर्जुग महिला पैंशन, पाच हजार दिवावेंगे।

पुरुष  :  गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥


औरत : राशन, गैस कनेक्शन, बिजली पाणी दे रहया

पुरुष  :  शिक्षा मुफ्त चिकित्सा, किसान मानधन दे रहया

पुरुष  :  एन पी एस के जरिए सबकी, पेंशन बंधवावेंगे।

पुरुष  :  गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥


औरत : कहै आनन्द शाहपुरिया, करो वोटा का जरिया 

पुरुष  :  करे हाथ जोड़ विनति, जितवादो इस बरिया 

पुरुष  :  गरीब किसान पिछड़ों की, आवाज उठावेंगे।

पुरुष  :  गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥


Anand Kumar Ashodhiya©2024

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