मेरी कलम केे यहाँ दावेदार कौन है ।
पढ़ने वाले हज़ार,यहाँ समझदार कौन है ।।
ऊच नीच ये जात-पात पर लड़वाने वाले कौन हैं ।
खुद को उचा, दूसरों को नीचा दिखाना वाले कौन है ।।
मेरे आँसुओं का सौदा करते हैवान कौन हैं ।
ये भोली सी सूरत के पीछे शैतान कौन हैं ।।
इज़्ज़त लूटने वाले ये बेशरम कौन है ।
रोज़ मेरे जिस्म को नोचने वाले कौन हैं ।।
सुरत में नही सीरत में झाँकने वाले कौन हैं ।
ये तेज़ाब से सुरत बिगाड़ने वाले कौन हैं ।।
अपना यहाँ मुझ को बताने वाले कौन हैं ।
ये बताओ इस दिल केे हक़दार कौन हैं ।।
©Jayesh gulati
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