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#भक्ति

प्रयागराज में माँ गंगा का विह॑गम दर्शृय 🤔🤔🙏🙏 भक्ति सागर

252 View

 White *🩷🩷💃🏻फ्री गुरुवार स्पेशल बुक📘"ज्ञान गंगा" भक्ति मार्ग की अनमोल बुक पाने के लिए नीचे दिए गए लिंक से अपनी डिटेल्स बुक ऑर्डर फॉर्म पर भरें और फ्री🏡होम डिलीवरी की सर्विस भी पाएं। लेखक: जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज🙏🏻👩🏻‍💻👇🏻* https://bit.ly/3UzXtOa

©ARTI DEVI(Modern Mira Bai)

#love_shayari #लव #शायरी #कविता #viral #Love #भक्ति #वीडियो #कॉमेडी #प्यार *🩷🩷💃🏻फ्री गुरुवार स्पेशल बुक📘"ज्ञान गंगा" भक्ति मार्ग की अनमोल बु

126 View

#वीडियो

सशस्त्र सीमा बल, बहराइच में ब्रह्मा कुमारी समाज, द्वारा किया गया रक्षाबंधन 42वी वाहिनी के प्रांगण में रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया जिसम

144 View

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान ।
भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।।
धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान ।
देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान ।
जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।।
इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान ।
नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम ।
रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।।
अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान ।
ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब.....

नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव ।
गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।।
झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव ।
धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्

17 Love

#कविता #nojotohindi #lung_cancer  White पल्लव की डायरी
बिगड़ी सूरत नैतिकता की
सामान्यजन धोखा खा रहे है
विपरीत परिस्थिति घर कर गयी
चोट सब दिल खा रहे है
अराजक हो गये सत्ता के सब सोपान
डिप्रेशन में आम जन जा रहे है
घायल दिल आह भरे है
टूट कर मौत के मुँह में जा रहे है
दास्ताने दिल बहाते थे प्रेम प्यार की गंगा
आज वो व्यवस्थाओ से कराह रहे है
बन गये डॉक्टरों की प्रयोगशाला
चीर फार कर शोध पत्र 
अटैक के रूप में आ रहे है
                                               प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#lung_cancer दास्ताने दिल बहाते थे प्रेम प्यार की गंगा,आज वो अटैक के मुँह में समा रहे है #nojotohindi

270 View

#कैसे_बना_जगन्नाथजी_का_मंदिर #Bhakti

#कैसे_बना_जगन्नाथजी_का_मंदिर जगन्नाथ मंदिर जाने से पहले जानें यह रहस्य समुद्र बार बार जगन्नाथ मंदिर को तोड़ रहा था और विष्णु जी से प्रतिशोध ल

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#भक्ति

प्रयागराज में माँ गंगा का विह॑गम दर्शृय 🤔🤔🙏🙏 भक्ति सागर

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#वीडियो

सशस्त्र सीमा बल, बहराइच में ब्रह्मा कुमारी समाज, द्वारा किया गया रक्षाबंधन 42वी वाहिनी के प्रांगण में रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया जिसम

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गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

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17 Love

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बिगड़ी सूरत नैतिकता की
सामान्यजन धोखा खा रहे है
विपरीत परिस्थिति घर कर गयी
चोट सब दिल खा रहे है
अराजक हो गये सत्ता के सब सोपान
डिप्रेशन में आम जन जा रहे है
घायल दिल आह भरे है
टूट कर मौत के मुँह में जा रहे है
दास्ताने दिल बहाते थे प्रेम प्यार की गंगा
आज वो व्यवस्थाओ से कराह रहे है
बन गये डॉक्टरों की प्रयोगशाला
चीर फार कर शोध पत्र 
अटैक के रूप में आ रहे है
                                               प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

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#कैसे_बना_जगन्नाथजी_का_मंदिर #Bhakti

#कैसे_बना_जगन्नाथजी_का_मंदिर जगन्नाथ मंदिर जाने से पहले जानें यह रहस्य समुद्र बार बार जगन्नाथ मंदिर को तोड़ रहा था और विष्णु जी से प्रतिशोध ल

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