White चलता है वो अंधेरी गलियों में,
जहां सन्नाटा कहानियां बुनता है।
हर कदम पर छिपी है चुभन,
जैसे ज़िंदगी सवाल करती है।
आंखों में सपनों का शोर था कभी,
अब वहां सन्नाटे का बसेरा है।
दिल के कोने में कहीं,
अधूरी ख्वाहिशों का डेरा है।
वक्त जैसे थम गया हो,
पर घड़ी चलती है बेहिसाब।
उसकी हर सांस, हर धड़कन,
सिर्फ जवाब ढूंढती है बेहाल।
हर दर्द को पीछे छोड़ने की चाह,
पर दर्द उसके साथ चलता है।
हर खुशी से दूरी बनाने की राह,
पर अकेलापन उसके पास पलता है।
फिजाओं में भटकती उसकी सोचें,
खुद से खुद को छुपाने की कोशिश।
हंसी के पीछे छिपा सूनापन,
जैसे आईना भी उसका सच नहीं कहता।
राह कहां है, वो नहीं जानता,
बस चलता है, अपने साये के साथ।
जाने किस मंज़िल की तलाश में,
वो खुद से ही भागता जाता है।
©Avinash Jha
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