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New कांस्टेबल (कार्यकारी)-पुरुष) (exam)कमांडो Status, Photo, Video

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#Videos #world

#world's biggest exam centre in bihar

99 View

#विचार  White स्त्री का दर्जा समाज में भले ही कम हो पर पुरुष को बल और सहयोग स्त्री से ही मिलता है इस प्रकार दोनों को ही बराबर महत्व देना स्वीकार्य होना चाहिए।

©Satish Kumar Meena

स्त्री और पुरुष

117 View

#मोटिवेशनल

exam topper

81 View

White सुनो! पुरूष होने का ताना तो जग देता है तुम थोड़ा सा "प्यार_देना" ————————————————————— पिता हूँ,पति हूँ,बेटा हूँ,भाई हूँ,दोस्त हूँ। मन के किसी,कोने में,दबा कुचला,सहमा सा "प्रेमी_भी_हूँ।" पर दुनियाँ कहती है मुझसे।"मैं_पुरूष_हूँ।" जो थक नहीं सकता,जो झुक नहीं सकता सरेआम अपनी,तकलीफ पर,खुलकर रो नहीं सकता। क्यूँकि "मैं_पुरूष_हूँ।" मगर हटकर परे,दुनियां के,मापदंडों से थामकर,मेरी हथेलियों को,अपने हाथों में बिना कोई सवाल,कहना "मैं_हूँ_ना" अगर रो पडूँ तो,रो लेने देना,बेशक हूँ पुरुष पर हूँ तो मैं भी "इंसान_हीं_ना" बिना थके बिना रुके,झुझता हूँ दिन भर,तमाम परेशानियों से,जो चुप गुमसुम उदास देखना,तो बिना सवाल अपने गोद में सर रख,बालों में हाथ फेरते हुए कहना सब ठीक हो जाएगा क्यूँ फिक्र करते हो "मैं_हूँ_ना" ©पूर्वार्थ

#पुरुष  White सुनो! पुरूष होने का ताना तो जग देता है
तुम थोड़ा सा "प्यार_देना"
—————————————————————
पिता हूँ,पति हूँ,बेटा हूँ,भाई हूँ,दोस्त हूँ।
मन के किसी,कोने में,दबा कुचला,सहमा सा "प्रेमी_भी_हूँ।"
पर दुनियाँ कहती है मुझसे।"मैं_पुरूष_हूँ।"

जो थक नहीं सकता,जो झुक नहीं सकता
सरेआम अपनी,तकलीफ पर,खुलकर रो नहीं सकता।
क्यूँकि "मैं_पुरूष_हूँ।"

मगर हटकर परे,दुनियां के,मापदंडों से
थामकर,मेरी हथेलियों को,अपने हाथों में
बिना कोई सवाल,कहना "मैं_हूँ_ना"

अगर रो पडूँ तो,रो लेने देना,बेशक हूँ पुरुष
पर हूँ तो मैं भी "इंसान_हीं_ना"

बिना थके बिना रुके,झुझता हूँ
दिन भर,तमाम परेशानियों से,जो चुप गुमसुम
उदास देखना,तो बिना सवाल
अपने गोद में सर रख,बालों में हाथ फेरते हुए कहना

सब ठीक हो जाएगा
क्यूँ फिक्र करते हो "मैं_हूँ_ना"

©पूर्वार्थ
#Videos #ssc

#ssc chsl exam notification and information

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White कंपटीशन एग्जाम्स की तैयारी कर रहे काफी बच्चों का सवाल आता है। हमे इतनी मेहनत क्यों करनी पड़ती है, दिन रात पढ़ाई करो यहां तक की नींद भी छोड़नी पड़ती है फिर भी परिणाम वैसे नही आते जैसे आने चाहिए लेकिन संघर्ष तो काफी करना पड़ता है ?? मैं उन बच्चों को या और भी कई लोग जिन्हें लगता है ये कड़ा संघर्ष सिर्फ उन्हें ही क्यों करना पड़ रहा है तो मैं बता दूं संघर्ष की नियति ये है वो हमेशा उनको चुनता है जिनके अंदर लड़ने की क्षमता है जो लड़ सकते है हर परिस्थिति में, जो गिर के भी उठना जानते है। अगर आपके हिस्से में ऐसा संघर्ष आया है तो खुद को किस्मत वाले मानिए की नियति ने आपको चुना है आपके लिए कुछ सोचा है जो सिर्फ आप ही कर सकते है। तैयार हो जाओ कमर बांध लो लड़ने के लिए।।।।। क्योंकि इस मुश्किल घड़ी के बाद जब तुम उस मंजिल के पास पहुंचोगे तो तुम्हारे लिए यहीं संघर्ष तुम्हारी ताकत बनेगी इस दुनिया में हर चीज की कीमत होती है।। और हर किसी को वो कीमत नसीब नही होती उस कीमत के लिए नींद , खाना पानी सबकुछ पीछे छोड़ना पड़ता है। ©पूर्वार्थ

#competition #exam  White कंपटीशन एग्जाम्स की तैयारी कर रहे काफी बच्चों का सवाल आता है।

हमे इतनी मेहनत क्यों करनी पड़ती है, दिन रात पढ़ाई करो यहां
 तक की नींद भी छोड़नी पड़ती है फिर भी परिणाम वैसे नही आते 
जैसे आने चाहिए लेकिन संघर्ष तो काफी करना पड़ता है ??

मैं उन बच्चों को या और भी कई लोग जिन्हें लगता है ये कड़ा
 संघर्ष सिर्फ उन्हें ही क्यों करना पड़ रहा है तो मैं बता दूं

संघर्ष की नियति ये है वो हमेशा उनको चुनता है जिनके अंदर
 लड़ने की क्षमता है जो लड़ सकते है हर परिस्थिति में, जो गिर 
के भी उठना जानते है।
अगर आपके हिस्से में ऐसा संघर्ष आया है तो खुद को किस्मत 
वाले मानिए की नियति ने आपको चुना है आपके लिए कुछ सोचा है
 जो सिर्फ आप ही कर सकते है। तैयार हो जाओ कमर बांध लो लड़ने के लिए।।।।।

क्योंकि इस मुश्किल घड़ी के बाद जब तुम उस मंजिल के पास 
पहुंचोगे तो तुम्हारे लिए यहीं संघर्ष तुम्हारी ताकत बनेगी इस दुनिया
 में हर चीज की कीमत होती है।।
और हर किसी को वो कीमत नसीब नही होती उस कीमत के लिए नींद
, खाना पानी सबकुछ पीछे छोड़ना पड़ता है।

©पूर्वार्थ
#Videos #world

#world's biggest exam centre in bihar

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#विचार  White स्त्री का दर्जा समाज में भले ही कम हो पर पुरुष को बल और सहयोग स्त्री से ही मिलता है इस प्रकार दोनों को ही बराबर महत्व देना स्वीकार्य होना चाहिए।

©Satish Kumar Meena

स्त्री और पुरुष

117 View

#मोटिवेशनल

exam topper

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White सुनो! पुरूष होने का ताना तो जग देता है तुम थोड़ा सा "प्यार_देना" ————————————————————— पिता हूँ,पति हूँ,बेटा हूँ,भाई हूँ,दोस्त हूँ। मन के किसी,कोने में,दबा कुचला,सहमा सा "प्रेमी_भी_हूँ।" पर दुनियाँ कहती है मुझसे।"मैं_पुरूष_हूँ।" जो थक नहीं सकता,जो झुक नहीं सकता सरेआम अपनी,तकलीफ पर,खुलकर रो नहीं सकता। क्यूँकि "मैं_पुरूष_हूँ।" मगर हटकर परे,दुनियां के,मापदंडों से थामकर,मेरी हथेलियों को,अपने हाथों में बिना कोई सवाल,कहना "मैं_हूँ_ना" अगर रो पडूँ तो,रो लेने देना,बेशक हूँ पुरुष पर हूँ तो मैं भी "इंसान_हीं_ना" बिना थके बिना रुके,झुझता हूँ दिन भर,तमाम परेशानियों से,जो चुप गुमसुम उदास देखना,तो बिना सवाल अपने गोद में सर रख,बालों में हाथ फेरते हुए कहना सब ठीक हो जाएगा क्यूँ फिक्र करते हो "मैं_हूँ_ना" ©पूर्वार्थ

#पुरुष  White सुनो! पुरूष होने का ताना तो जग देता है
तुम थोड़ा सा "प्यार_देना"
—————————————————————
पिता हूँ,पति हूँ,बेटा हूँ,भाई हूँ,दोस्त हूँ।
मन के किसी,कोने में,दबा कुचला,सहमा सा "प्रेमी_भी_हूँ।"
पर दुनियाँ कहती है मुझसे।"मैं_पुरूष_हूँ।"

जो थक नहीं सकता,जो झुक नहीं सकता
सरेआम अपनी,तकलीफ पर,खुलकर रो नहीं सकता।
क्यूँकि "मैं_पुरूष_हूँ।"

मगर हटकर परे,दुनियां के,मापदंडों से
थामकर,मेरी हथेलियों को,अपने हाथों में
बिना कोई सवाल,कहना "मैं_हूँ_ना"

अगर रो पडूँ तो,रो लेने देना,बेशक हूँ पुरुष
पर हूँ तो मैं भी "इंसान_हीं_ना"

बिना थके बिना रुके,झुझता हूँ
दिन भर,तमाम परेशानियों से,जो चुप गुमसुम
उदास देखना,तो बिना सवाल
अपने गोद में सर रख,बालों में हाथ फेरते हुए कहना

सब ठीक हो जाएगा
क्यूँ फिक्र करते हो "मैं_हूँ_ना"

©पूर्वार्थ
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White कंपटीशन एग्जाम्स की तैयारी कर रहे काफी बच्चों का सवाल आता है। हमे इतनी मेहनत क्यों करनी पड़ती है, दिन रात पढ़ाई करो यहां तक की नींद भी छोड़नी पड़ती है फिर भी परिणाम वैसे नही आते जैसे आने चाहिए लेकिन संघर्ष तो काफी करना पड़ता है ?? मैं उन बच्चों को या और भी कई लोग जिन्हें लगता है ये कड़ा संघर्ष सिर्फ उन्हें ही क्यों करना पड़ रहा है तो मैं बता दूं संघर्ष की नियति ये है वो हमेशा उनको चुनता है जिनके अंदर लड़ने की क्षमता है जो लड़ सकते है हर परिस्थिति में, जो गिर के भी उठना जानते है। अगर आपके हिस्से में ऐसा संघर्ष आया है तो खुद को किस्मत वाले मानिए की नियति ने आपको चुना है आपके लिए कुछ सोचा है जो सिर्फ आप ही कर सकते है। तैयार हो जाओ कमर बांध लो लड़ने के लिए।।।।। क्योंकि इस मुश्किल घड़ी के बाद जब तुम उस मंजिल के पास पहुंचोगे तो तुम्हारे लिए यहीं संघर्ष तुम्हारी ताकत बनेगी इस दुनिया में हर चीज की कीमत होती है।। और हर किसी को वो कीमत नसीब नही होती उस कीमत के लिए नींद , खाना पानी सबकुछ पीछे छोड़ना पड़ता है। ©पूर्वार्थ

#competition #exam  White कंपटीशन एग्जाम्स की तैयारी कर रहे काफी बच्चों का सवाल आता है।

हमे इतनी मेहनत क्यों करनी पड़ती है, दिन रात पढ़ाई करो यहां
 तक की नींद भी छोड़नी पड़ती है फिर भी परिणाम वैसे नही आते 
जैसे आने चाहिए लेकिन संघर्ष तो काफी करना पड़ता है ??

मैं उन बच्चों को या और भी कई लोग जिन्हें लगता है ये कड़ा
 संघर्ष सिर्फ उन्हें ही क्यों करना पड़ रहा है तो मैं बता दूं

संघर्ष की नियति ये है वो हमेशा उनको चुनता है जिनके अंदर
 लड़ने की क्षमता है जो लड़ सकते है हर परिस्थिति में, जो गिर 
के भी उठना जानते है।
अगर आपके हिस्से में ऐसा संघर्ष आया है तो खुद को किस्मत 
वाले मानिए की नियति ने आपको चुना है आपके लिए कुछ सोचा है
 जो सिर्फ आप ही कर सकते है। तैयार हो जाओ कमर बांध लो लड़ने के लिए।।।।।

क्योंकि इस मुश्किल घड़ी के बाद जब तुम उस मंजिल के पास 
पहुंचोगे तो तुम्हारे लिए यहीं संघर्ष तुम्हारी ताकत बनेगी इस दुनिया
 में हर चीज की कीमत होती है।।
और हर किसी को वो कीमत नसीब नही होती उस कीमत के लिए नींद
, खाना पानी सबकुछ पीछे छोड़ना पड़ता है।

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