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#कविता  बसंत की मंद सुगंध से,नैनो में यौवन जाग गया।
साजन के होंठों से सर्र-सर्र करता गीत भाग गया।।

मुुंडेर के ऊपर वो गौरी!केशो की घुंघराली थी,
दो मोतियों से मद की धारा,टप टप बहने वाली थी।

मनमोही मौसम से यौवन केे लिए मद जाग गया। 
साजन के होंठों से सर्र-सर्र करता गीत भाग गया।।

©Satish Kumar Meena

बसंत की मंद सुगन्ध

144 View

#कविता

मैं

162 View

White बसंत के मौसम भी कभी-कभी आंखों में ख़्वाब ,पनपने नहीं देते, और इस उम्र निगोड़ी को, ये खुश गवार मौसम चैन से सोने नहीं देते। ©Anuj Ray

#शायरी  White बसंत के मौसम भी कभी-कभी
आंखों में ख़्वाब ,पनपने नहीं देते,

और इस उम्र निगोड़ी को, ये खुश 
गवार मौसम चैन से सोने नहीं देते।

©Anuj Ray

# बसंत के मौसम भी"

18 Love

इन सर्द रास्तों पर कहीं ठहरा हुआ हूँ मैं एक खौफनाक अंधेरा है पूरी शिद्दत से गिरफ्त में लिए मुझे रिमझिम बरसती बूंदे जिस्म से फिसलते हुए बहा ले जा रही है मेरे भीतर का कतरा कतरा दुख हथेलियों में समेट रहा हूँ बारिशें पर ये टिकती नहीं सर्द हवाएँ अंदर तक कुरेद रही है मुझे मैं बस ख़ामोश हूँ… इतना खामोश अपने अंदर के शोर को साफ साफ सुन पा रहा हूँ मैं … मैं तय कर लेना चाहता हूँ ये सफर मिटाना चाहता हूँ जिंदगी की पगडंडियों से गुजरती तुम्हारी यादें भूलना चाहता हूॅं तुम्हारी खनकती हँसी खुद को… यक़ीन दिलाना चाहता हूॅं तुम नहीं हो अब …. तुम नहीं हो ….नहीं हो तुम इन भीगी हुई हथेलियों के बीच गुनगुनी छुअन बन कर सुनसान सड़क पर रफ्तार से गुजरते शोर के दरमियाँ मेरे साथ नहीं हो तुम मेरी अँगुलियों से फिसलती बूंद सी तुम. ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  इन सर्द रास्तों पर
कहीं ठहरा हुआ हूँ मैं
एक खौफनाक अंधेरा है
पूरी शिद्दत से गिरफ्त में लिए मुझे
रिमझिम बरसती बूंदे जिस्म से फिसलते हुए
बहा ले जा रही है
मेरे भीतर का कतरा कतरा दुख
हथेलियों में समेट रहा हूँ
बारिशें पर ये टिकती नहीं
सर्द हवाएँ अंदर तक
कुरेद रही है मुझे
मैं बस ख़ामोश हूँ… इतना खामोश
अपने अंदर के शोर को
साफ साफ सुन पा रहा हूँ मैं …
मैं तय कर लेना चाहता हूँ ये सफर
मिटाना चाहता हूँ
जिंदगी की पगडंडियों से
गुजरती तुम्हारी यादें
भूलना चाहता हूॅं
तुम्हारी खनकती हँसी
खुद को…
यक़ीन दिलाना चाहता हूॅं
तुम नहीं हो अब ….
तुम नहीं हो ….नहीं हो तुम
इन भीगी हुई हथेलियों के बीच
गुनगुनी छुअन बन कर
सुनसान सड़क पर
रफ्तार से गुजरते शोर के दरमियाँ
मेरे साथ नहीं हो तुम
मेरी अँगुलियों से फिसलती बूंद सी तुम.

©हिमांशु Kulshreshtha

मैं...

3 Love

White मै ही रहा मन से दग्ध और देह से शापित दर्द उगता है दिल में तेरी यादों के जालों से घिरा रहता हूँ मैं अकुलाता उमड़ते ज्वार सा ©हिमांशु Kulshreshtha

 White मै ही रहा मन से दग्ध
और देह से शापित
दर्द उगता है दिल में
तेरी यादों के जालों से
घिरा रहता हूँ मैं
अकुलाता उमड़ते ज्वार सा

©हिमांशु Kulshreshtha

मैं....

17 Love

White इच्छायें शून्य होती जा रही हैं बस ये जिम्मेदारियां ही है जो जीने के लिए मजबूर करती जा रही हैं ... ©Shalini Pandey

#शायरी  White इच्छायें शून्य होती जा रही हैं 
बस ये जिम्मेदारियां ही है जो जीने के लिए 
मजबूर करती जा रही हैं ...

©Shalini Pandey

मैं

13 Love

#कविता  बसंत की मंद सुगंध से,नैनो में यौवन जाग गया।
साजन के होंठों से सर्र-सर्र करता गीत भाग गया।।

मुुंडेर के ऊपर वो गौरी!केशो की घुंघराली थी,
दो मोतियों से मद की धारा,टप टप बहने वाली थी।

मनमोही मौसम से यौवन केे लिए मद जाग गया। 
साजन के होंठों से सर्र-सर्र करता गीत भाग गया।।

©Satish Kumar Meena

बसंत की मंद सुगन्ध

144 View

#कविता

मैं

162 View

White बसंत के मौसम भी कभी-कभी आंखों में ख़्वाब ,पनपने नहीं देते, और इस उम्र निगोड़ी को, ये खुश गवार मौसम चैन से सोने नहीं देते। ©Anuj Ray

#शायरी  White बसंत के मौसम भी कभी-कभी
आंखों में ख़्वाब ,पनपने नहीं देते,

और इस उम्र निगोड़ी को, ये खुश 
गवार मौसम चैन से सोने नहीं देते।

©Anuj Ray

# बसंत के मौसम भी"

18 Love

इन सर्द रास्तों पर कहीं ठहरा हुआ हूँ मैं एक खौफनाक अंधेरा है पूरी शिद्दत से गिरफ्त में लिए मुझे रिमझिम बरसती बूंदे जिस्म से फिसलते हुए बहा ले जा रही है मेरे भीतर का कतरा कतरा दुख हथेलियों में समेट रहा हूँ बारिशें पर ये टिकती नहीं सर्द हवाएँ अंदर तक कुरेद रही है मुझे मैं बस ख़ामोश हूँ… इतना खामोश अपने अंदर के शोर को साफ साफ सुन पा रहा हूँ मैं … मैं तय कर लेना चाहता हूँ ये सफर मिटाना चाहता हूँ जिंदगी की पगडंडियों से गुजरती तुम्हारी यादें भूलना चाहता हूॅं तुम्हारी खनकती हँसी खुद को… यक़ीन दिलाना चाहता हूॅं तुम नहीं हो अब …. तुम नहीं हो ….नहीं हो तुम इन भीगी हुई हथेलियों के बीच गुनगुनी छुअन बन कर सुनसान सड़क पर रफ्तार से गुजरते शोर के दरमियाँ मेरे साथ नहीं हो तुम मेरी अँगुलियों से फिसलती बूंद सी तुम. ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  इन सर्द रास्तों पर
कहीं ठहरा हुआ हूँ मैं
एक खौफनाक अंधेरा है
पूरी शिद्दत से गिरफ्त में लिए मुझे
रिमझिम बरसती बूंदे जिस्म से फिसलते हुए
बहा ले जा रही है
मेरे भीतर का कतरा कतरा दुख
हथेलियों में समेट रहा हूँ
बारिशें पर ये टिकती नहीं
सर्द हवाएँ अंदर तक
कुरेद रही है मुझे
मैं बस ख़ामोश हूँ… इतना खामोश
अपने अंदर के शोर को
साफ साफ सुन पा रहा हूँ मैं …
मैं तय कर लेना चाहता हूँ ये सफर
मिटाना चाहता हूँ
जिंदगी की पगडंडियों से
गुजरती तुम्हारी यादें
भूलना चाहता हूॅं
तुम्हारी खनकती हँसी
खुद को…
यक़ीन दिलाना चाहता हूॅं
तुम नहीं हो अब ….
तुम नहीं हो ….नहीं हो तुम
इन भीगी हुई हथेलियों के बीच
गुनगुनी छुअन बन कर
सुनसान सड़क पर
रफ्तार से गुजरते शोर के दरमियाँ
मेरे साथ नहीं हो तुम
मेरी अँगुलियों से फिसलती बूंद सी तुम.

©हिमांशु Kulshreshtha

मैं...

3 Love

White मै ही रहा मन से दग्ध और देह से शापित दर्द उगता है दिल में तेरी यादों के जालों से घिरा रहता हूँ मैं अकुलाता उमड़ते ज्वार सा ©हिमांशु Kulshreshtha

 White मै ही रहा मन से दग्ध
और देह से शापित
दर्द उगता है दिल में
तेरी यादों के जालों से
घिरा रहता हूँ मैं
अकुलाता उमड़ते ज्वार सा

©हिमांशु Kulshreshtha

मैं....

17 Love

White इच्छायें शून्य होती जा रही हैं बस ये जिम्मेदारियां ही है जो जीने के लिए मजबूर करती जा रही हैं ... ©Shalini Pandey

#शायरी  White इच्छायें शून्य होती जा रही हैं 
बस ये जिम्मेदारियां ही है जो जीने के लिए 
मजबूर करती जा रही हैं ...

©Shalini Pandey

मैं

13 Love

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