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White अलंकार जीवन और कविता दोनों में ही सौंदर्य और गहराई को बढ़ाने का कार्य करते हैं। जीवन में अलंकार का अर्थ हो सकता है प्रेम, समर्पण, या छोटी-छोटी खुशियों को सहेजना, जबकि कविता में अलंकार शब्दों और भावों को सजाने का कार्य करते हैं, जिससे कविता और अधिक प्रभावशाली बनती है। ©Dilbag-Heart of Garden

#शब्दोंकीखूबसूरती #रचनात्मककविता #हिंदीसाहित्य #काव्यसौंदर्य #जीवनकाज्ञान #नोजोतोकविता  White अलंकार जीवन और कविता दोनों में ही सौंदर्य और गहराई को बढ़ाने का कार्य करते हैं। जीवन में अलंकार का अर्थ हो सकता है प्रेम, समर्पण, या छोटी-छोटी खुशियों को सहेजना, जबकि कविता में अलंकार शब्दों और भावों को सजाने का कार्य करते हैं, जिससे कविता और अधिक प्रभावशाली बनती है।

©Dilbag-Heart of Garden
#devotionally_spiritually_taru #बेटीदिवस #कविता #tarukikalam #Trending

स्वरचित रचना शीर्षक बेटी दिवस विधा कविता भाषा शैली संस्कृत रचनाएं हिन्दी अनुवाद सहित भाव स्वरचित #tarukikalam #Quotes #poetry #Trendin

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White " विचारो में भिन्नता " हम उस बंजर भूमि के प्राणि हैं जहां के लोगों को दूर के ढोल सुहांवन लगते हैं। मेहफिले तो यहां भी सजी हैं और वहां भी सजी हैं पर किसी को नदी नही नाली ही मनभावन लगते हैं।। बस नज़र और नजरिए का अन्तर हैं हुजुर देखो तो किसी को सौ हंड्रेड तो किसीको फिफ्टी टू बावन लगते हैं यहीं नहीं, सोचे तो ये उच्च नीच का भेद बड़ा अजीब है जो बुद्धि और विचारो से सब दुष्ट बामन लगते हैं।। पॉलिटिक्स ताकत के पीछे ये दुम हिलाते करते हैं चापलूसी। दूसरो को नीचा दिखाने में मिलती हैं इनको बहुत खुशी।। नफरत की निगाह से यहां सब एक दूसरे को देखते हैं। नियत की नियती कौन जानें फिर भी जालिम हाथ सेकते हैं।। काश उनमें स्नेह होता भाईचारा होता तो विकाश की बहती पावन धारा होता। प्रफूलित हों उठता सबका तन मन संघ दरिया में डूबे तिनके का सहारा होता।। पर गिरे हुए हैं कुछ असमाजिक तत्व लोग जो अक्सर गिराने में लगे हैं ख़ुद को भी औरों को भी करते हैं बेवजह अपमान ये अपनो को छोड़ते नहीं कभी गैरों को भी ।। कोई इन्हे लेवरचटवा धूर्त या चमचा भीं कहते हैं। ये पढ़े लिखे भ्रष्ट कभी किसी को भी मात दे देते हैं। अगर समझो तो ये मिट्टी सोना है और सोना मिट्टी हैं ऐसे लोगों को चुंगुला अशिष्ठ व्यभाचारी बेलचा कहते हैं।। बिगड़ा कुछ नहीं है यहां आपस की बस ताल मेल बिगड़ी हैं। बड़े मियां छोटे मियां के चक्कर में पक रही जली भूनी खीचड़ी हैं।। तू तू मैं मैं की होड़ लगी है अपना बनता जाए बस काम। ईमानदार सज्जन जाए भाड़ में बगल में छूरी मूख में राम।। स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी भोजपुर बिहार ©Prakash Vidyarthi

#कविता #रचना #love_shayari  White " विचारो में भिन्नता "

हम उस बंजर भूमि के प्राणि हैं जहां के 
लोगों को दूर के ढोल सुहांवन लगते हैं।

मेहफिले तो यहां भी सजी हैं और वहां भी सजी हैं 
पर किसी को नदी नही नाली ही मनभावन लगते हैं।।

बस  नज़र और नजरिए का अन्तर हैं हुजुर देखो तो 
किसी को सौ हंड्रेड तो किसीको फिफ्टी टू बावन लगते हैं

यहीं नहीं, सोचे तो ये उच्च नीच का भेद बड़ा अजीब है
 जो बुद्धि और विचारो से सब दुष्ट बामन लगते हैं।।

पॉलिटिक्स ताकत के पीछे ये दुम हिलाते करते हैं चापलूसी।
दूसरो को नीचा दिखाने में मिलती हैं इनको बहुत खुशी।।

नफरत की निगाह से यहां सब एक दूसरे को देखते हैं।
नियत की नियती कौन जानें फिर भी जालिम हाथ सेकते हैं।।

काश उनमें स्नेह होता भाईचारा होता 
तो विकाश की बहती पावन धारा होता।

प्रफूलित हों उठता सबका तन मन संघ
दरिया में डूबे तिनके का सहारा होता।।

पर गिरे हुए हैं कुछ असमाजिक तत्व लोग 
जो अक्सर गिराने में लगे हैं ख़ुद को भी

 औरों को भी करते हैं बेवजह अपमान ये
अपनो को छोड़ते नहीं कभी गैरों को भी ।।

कोई इन्हे लेवरचटवा धूर्त या चमचा भीं कहते हैं।
ये पढ़े लिखे भ्रष्ट कभी  किसी को भी मात दे देते हैं।

अगर समझो तो ये मिट्टी सोना है और सोना मिट्टी हैं 
ऐसे लोगों को चुंगुला अशिष्ठ व्यभाचारी बेलचा कहते हैं।।

बिगड़ा कुछ नहीं है यहां आपस की बस ताल मेल बिगड़ी हैं।
बड़े मियां छोटे मियां के चक्कर में पक रही जली भूनी खीचड़ी हैं।।

तू तू मैं मैं की होड़ लगी है अपना बनता जाए बस काम।
 ईमानदार सज्जन जाए भाड़ में बगल में छूरी मूख में राम।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
               भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi

White "स्टोरी ऑफ 1,2,3" ::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: जरा सोचो उस शख्स का प्रेम कैसा होगा । जो प्रेम किसी के नाम से कर बैठा होगा । जरा समझो जिसने बहुत से विकल्प त्याग दिए। एक सही के तलाश में एक से अधिक को भाग दिए।। जरा परखो उसका हृदय तन मन कैसा होगा। जो रूप रंग नहीं मात्र नाम से ईश्क किया होगा।। जरा विचार करो कैसे कोई नाम से दिल लगा लेगा। कभी न पूरा होने वाला अधुरे सपने यू ही सजा लेगा।। जरा महसूस करो अगर वो अपना प्यार पाले तो क्या होता। निश्छल शाश्वत प्रेम एहसास का अनमोल रत्न धन सजा होता।। जरा देखो परखो वैसे प्रेमी का प्रेम कितना पावन होगा सुखमय वैवाहिक जीवन ईश्वर के वरदान मनभावन होगा।। जरा झांको उसकी आंखों में स्नेह सागर क्या ठहरा हैं। पूछो खुद से प्रश्न क्या उसका प्रेम चाहत इतना गहरा है।। जरा समझो उसने अपना प्यार चाहत क्यों जगजाहिर नहीं किया। पूजता रहा एक मूरत को दूसरों को अहसास होने तक नहीं दिया।। जरा महसूस करो कोई किसी अनजाने का ख्याल क्यों रखेगा। मानवता के नाते या प्रेम की मायाजाल में ऐसे ही क्यों फसेगा।। काश एक ऐसी नारी होती जो समझदार स्वच्छ संस्कारी होती। श्वेत मन जनक दुलारी होती करते नमन गर वो फूल कुमारी होती ।। जो नहीं पढ़ सका विद्यार्थी का स्नेह उत्तर कुंजी वो अबोध होगा। प्रकाशित प्रेम की परिभाषा उदाहरण का अब नया शोध होगा।। ©Prakash Vidyarthi

#रचना_का_सार #कविताएं #poem✍🧡🧡💛 #love_shayari  White "स्टोरी ऑफ 1,2,3"
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
जरा सोचो उस शख्स का प्रेम कैसा होगा ।
जो प्रेम किसी के नाम से कर बैठा होगा ।

जरा समझो जिसने बहुत से विकल्प त्याग दिए।
एक सही के तलाश में एक से अधिक को भाग दिए।।

जरा परखो उसका हृदय तन मन कैसा होगा।
जो रूप रंग नहीं मात्र नाम से ईश्क किया होगा।।

जरा विचार करो कैसे कोई नाम से दिल लगा लेगा।
कभी न पूरा होने वाला अधुरे सपने यू ही सजा लेगा।।

जरा महसूस करो अगर वो अपना प्यार पाले तो क्या होता।
निश्छल शाश्वत प्रेम एहसास का अनमोल रत्न धन सजा होता।।

जरा देखो परखो वैसे प्रेमी का प्रेम कितना पावन होगा 
सुखमय वैवाहिक जीवन ईश्वर के वरदान मनभावन होगा।।

जरा झांको उसकी आंखों में स्नेह सागर क्या ठहरा हैं।
पूछो खुद से प्रश्न क्या उसका प्रेम चाहत इतना गहरा है।।

जरा समझो उसने अपना प्यार चाहत क्यों जगजाहिर नहीं किया।
पूजता रहा एक मूरत को दूसरों को अहसास होने तक नहीं दिया।।

जरा महसूस करो कोई किसी अनजाने का ख्याल क्यों रखेगा।
मानवता के नाते या प्रेम की मायाजाल में ऐसे ही क्यों फसेगा।।

काश एक ऐसी नारी होती जो समझदार स्वच्छ संस्कारी होती।
श्वेत मन जनक दुलारी होती करते नमन गर वो फूल कुमारी होती ।।

जो नहीं पढ़ सका विद्यार्थी का स्नेह उत्तर कुंजी वो अबोध होगा।
प्रकाशित प्रेम की परिभाषा उदाहरण का अब नया शोध होगा।।

©Prakash Vidyarthi

White संपूर्ण अवतार वाणी एक ज्योति है सबके अंदर नर है चाहे नारी है शूद्र, वैश्य और ब्राह्मण क्षत्रिय एक की रचना सारी है ©Kesh Karan nishad

 White संपूर्ण अवतार वाणी 
एक ज्योति है सबके अंदर नर है चाहे नारी है
शूद्र, वैश्य और ब्राह्मण क्षत्रिय एक की रचना सारी है

©Kesh Karan nishad

## प्रभु की रचना##

12 Love

#मोटिवेशनल

परमेश्वर की रचना

153 View

White अलंकार जीवन और कविता दोनों में ही सौंदर्य और गहराई को बढ़ाने का कार्य करते हैं। जीवन में अलंकार का अर्थ हो सकता है प्रेम, समर्पण, या छोटी-छोटी खुशियों को सहेजना, जबकि कविता में अलंकार शब्दों और भावों को सजाने का कार्य करते हैं, जिससे कविता और अधिक प्रभावशाली बनती है। ©Dilbag-Heart of Garden

#शब्दोंकीखूबसूरती #रचनात्मककविता #हिंदीसाहित्य #काव्यसौंदर्य #जीवनकाज्ञान #नोजोतोकविता  White अलंकार जीवन और कविता दोनों में ही सौंदर्य और गहराई को बढ़ाने का कार्य करते हैं। जीवन में अलंकार का अर्थ हो सकता है प्रेम, समर्पण, या छोटी-छोटी खुशियों को सहेजना, जबकि कविता में अलंकार शब्दों और भावों को सजाने का कार्य करते हैं, जिससे कविता और अधिक प्रभावशाली बनती है।

©Dilbag-Heart of Garden
#devotionally_spiritually_taru #बेटीदिवस #कविता #tarukikalam #Trending

स्वरचित रचना शीर्षक बेटी दिवस विधा कविता भाषा शैली संस्कृत रचनाएं हिन्दी अनुवाद सहित भाव स्वरचित #tarukikalam #Quotes #poetry #Trendin

117 View

White " विचारो में भिन्नता " हम उस बंजर भूमि के प्राणि हैं जहां के लोगों को दूर के ढोल सुहांवन लगते हैं। मेहफिले तो यहां भी सजी हैं और वहां भी सजी हैं पर किसी को नदी नही नाली ही मनभावन लगते हैं।। बस नज़र और नजरिए का अन्तर हैं हुजुर देखो तो किसी को सौ हंड्रेड तो किसीको फिफ्टी टू बावन लगते हैं यहीं नहीं, सोचे तो ये उच्च नीच का भेद बड़ा अजीब है जो बुद्धि और विचारो से सब दुष्ट बामन लगते हैं।। पॉलिटिक्स ताकत के पीछे ये दुम हिलाते करते हैं चापलूसी। दूसरो को नीचा दिखाने में मिलती हैं इनको बहुत खुशी।। नफरत की निगाह से यहां सब एक दूसरे को देखते हैं। नियत की नियती कौन जानें फिर भी जालिम हाथ सेकते हैं।। काश उनमें स्नेह होता भाईचारा होता तो विकाश की बहती पावन धारा होता। प्रफूलित हों उठता सबका तन मन संघ दरिया में डूबे तिनके का सहारा होता।। पर गिरे हुए हैं कुछ असमाजिक तत्व लोग जो अक्सर गिराने में लगे हैं ख़ुद को भी औरों को भी करते हैं बेवजह अपमान ये अपनो को छोड़ते नहीं कभी गैरों को भी ।। कोई इन्हे लेवरचटवा धूर्त या चमचा भीं कहते हैं। ये पढ़े लिखे भ्रष्ट कभी किसी को भी मात दे देते हैं। अगर समझो तो ये मिट्टी सोना है और सोना मिट्टी हैं ऐसे लोगों को चुंगुला अशिष्ठ व्यभाचारी बेलचा कहते हैं।। बिगड़ा कुछ नहीं है यहां आपस की बस ताल मेल बिगड़ी हैं। बड़े मियां छोटे मियां के चक्कर में पक रही जली भूनी खीचड़ी हैं।। तू तू मैं मैं की होड़ लगी है अपना बनता जाए बस काम। ईमानदार सज्जन जाए भाड़ में बगल में छूरी मूख में राम।। स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी भोजपुर बिहार ©Prakash Vidyarthi

#कविता #रचना #love_shayari  White " विचारो में भिन्नता "

हम उस बंजर भूमि के प्राणि हैं जहां के 
लोगों को दूर के ढोल सुहांवन लगते हैं।

मेहफिले तो यहां भी सजी हैं और वहां भी सजी हैं 
पर किसी को नदी नही नाली ही मनभावन लगते हैं।।

बस  नज़र और नजरिए का अन्तर हैं हुजुर देखो तो 
किसी को सौ हंड्रेड तो किसीको फिफ्टी टू बावन लगते हैं

यहीं नहीं, सोचे तो ये उच्च नीच का भेद बड़ा अजीब है
 जो बुद्धि और विचारो से सब दुष्ट बामन लगते हैं।।

पॉलिटिक्स ताकत के पीछे ये दुम हिलाते करते हैं चापलूसी।
दूसरो को नीचा दिखाने में मिलती हैं इनको बहुत खुशी।।

नफरत की निगाह से यहां सब एक दूसरे को देखते हैं।
नियत की नियती कौन जानें फिर भी जालिम हाथ सेकते हैं।।

काश उनमें स्नेह होता भाईचारा होता 
तो विकाश की बहती पावन धारा होता।

प्रफूलित हों उठता सबका तन मन संघ
दरिया में डूबे तिनके का सहारा होता।।

पर गिरे हुए हैं कुछ असमाजिक तत्व लोग 
जो अक्सर गिराने में लगे हैं ख़ुद को भी

 औरों को भी करते हैं बेवजह अपमान ये
अपनो को छोड़ते नहीं कभी गैरों को भी ।।

कोई इन्हे लेवरचटवा धूर्त या चमचा भीं कहते हैं।
ये पढ़े लिखे भ्रष्ट कभी  किसी को भी मात दे देते हैं।

अगर समझो तो ये मिट्टी सोना है और सोना मिट्टी हैं 
ऐसे लोगों को चुंगुला अशिष्ठ व्यभाचारी बेलचा कहते हैं।।

बिगड़ा कुछ नहीं है यहां आपस की बस ताल मेल बिगड़ी हैं।
बड़े मियां छोटे मियां के चक्कर में पक रही जली भूनी खीचड़ी हैं।।

तू तू मैं मैं की होड़ लगी है अपना बनता जाए बस काम।
 ईमानदार सज्जन जाए भाड़ में बगल में छूरी मूख में राम।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
               भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi

White "स्टोरी ऑफ 1,2,3" ::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: जरा सोचो उस शख्स का प्रेम कैसा होगा । जो प्रेम किसी के नाम से कर बैठा होगा । जरा समझो जिसने बहुत से विकल्प त्याग दिए। एक सही के तलाश में एक से अधिक को भाग दिए।। जरा परखो उसका हृदय तन मन कैसा होगा। जो रूप रंग नहीं मात्र नाम से ईश्क किया होगा।। जरा विचार करो कैसे कोई नाम से दिल लगा लेगा। कभी न पूरा होने वाला अधुरे सपने यू ही सजा लेगा।। जरा महसूस करो अगर वो अपना प्यार पाले तो क्या होता। निश्छल शाश्वत प्रेम एहसास का अनमोल रत्न धन सजा होता।। जरा देखो परखो वैसे प्रेमी का प्रेम कितना पावन होगा सुखमय वैवाहिक जीवन ईश्वर के वरदान मनभावन होगा।। जरा झांको उसकी आंखों में स्नेह सागर क्या ठहरा हैं। पूछो खुद से प्रश्न क्या उसका प्रेम चाहत इतना गहरा है।। जरा समझो उसने अपना प्यार चाहत क्यों जगजाहिर नहीं किया। पूजता रहा एक मूरत को दूसरों को अहसास होने तक नहीं दिया।। जरा महसूस करो कोई किसी अनजाने का ख्याल क्यों रखेगा। मानवता के नाते या प्रेम की मायाजाल में ऐसे ही क्यों फसेगा।। काश एक ऐसी नारी होती जो समझदार स्वच्छ संस्कारी होती। श्वेत मन जनक दुलारी होती करते नमन गर वो फूल कुमारी होती ।। जो नहीं पढ़ सका विद्यार्थी का स्नेह उत्तर कुंजी वो अबोध होगा। प्रकाशित प्रेम की परिभाषा उदाहरण का अब नया शोध होगा।। ©Prakash Vidyarthi

#रचना_का_सार #कविताएं #poem✍🧡🧡💛 #love_shayari  White "स्टोरी ऑफ 1,2,3"
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
जरा सोचो उस शख्स का प्रेम कैसा होगा ।
जो प्रेम किसी के नाम से कर बैठा होगा ।

जरा समझो जिसने बहुत से विकल्प त्याग दिए।
एक सही के तलाश में एक से अधिक को भाग दिए।।

जरा परखो उसका हृदय तन मन कैसा होगा।
जो रूप रंग नहीं मात्र नाम से ईश्क किया होगा।।

जरा विचार करो कैसे कोई नाम से दिल लगा लेगा।
कभी न पूरा होने वाला अधुरे सपने यू ही सजा लेगा।।

जरा महसूस करो अगर वो अपना प्यार पाले तो क्या होता।
निश्छल शाश्वत प्रेम एहसास का अनमोल रत्न धन सजा होता।।

जरा देखो परखो वैसे प्रेमी का प्रेम कितना पावन होगा 
सुखमय वैवाहिक जीवन ईश्वर के वरदान मनभावन होगा।।

जरा झांको उसकी आंखों में स्नेह सागर क्या ठहरा हैं।
पूछो खुद से प्रश्न क्या उसका प्रेम चाहत इतना गहरा है।।

जरा समझो उसने अपना प्यार चाहत क्यों जगजाहिर नहीं किया।
पूजता रहा एक मूरत को दूसरों को अहसास होने तक नहीं दिया।।

जरा महसूस करो कोई किसी अनजाने का ख्याल क्यों रखेगा।
मानवता के नाते या प्रेम की मायाजाल में ऐसे ही क्यों फसेगा।।

काश एक ऐसी नारी होती जो समझदार स्वच्छ संस्कारी होती।
श्वेत मन जनक दुलारी होती करते नमन गर वो फूल कुमारी होती ।।

जो नहीं पढ़ सका विद्यार्थी का स्नेह उत्तर कुंजी वो अबोध होगा।
प्रकाशित प्रेम की परिभाषा उदाहरण का अब नया शोध होगा।।

©Prakash Vidyarthi

White संपूर्ण अवतार वाणी एक ज्योति है सबके अंदर नर है चाहे नारी है शूद्र, वैश्य और ब्राह्मण क्षत्रिय एक की रचना सारी है ©Kesh Karan nishad

 White संपूर्ण अवतार वाणी 
एक ज्योति है सबके अंदर नर है चाहे नारी है
शूद्र, वैश्य और ब्राह्मण क्षत्रिय एक की रचना सारी है

©Kesh Karan nishad

## प्रभु की रचना##

12 Love

#मोटिवेशनल

परमेश्वर की रचना

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