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New ठंडी मटकी रो पानी टपके Status, Photo, Video

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White मेरे जीते जी रो लेता ,तो मैं मरता भला ही क्यों, लौटकर आने की चाहत है पर मैं आ नही सकता। क्यों गमगीन रहते हो , रहो न पहले जैसे तुम, तुम्हारे चेहरे पर  मातम सा अब अच्छा नहीं लगता। तसब्बुर में तेरे शामो शहर मैने दिन गुजारे थे, तुझे क्या होगया जो मेरे बिन अब रह नही सकता। तेरी राहों को तकती थी निगाहे मेरी हर सूं तब कि क्यों बैठा है चौराहे पे, मुझे जब पा नही सकता।। पूनम सिंह भदौरिया दिल्ली ©ek_tukda_zindgi _12

#कविता #gajal  White मेरे जीते जी रो लेता ,तो मैं मरता भला ही क्यों,
लौटकर आने की चाहत है पर मैं आ नही सकता।

क्यों गमगीन रहते हो , रहो न पहले जैसे तुम,
तुम्हारे चेहरे पर  मातम सा अब अच्छा नहीं लगता।

तसब्बुर में तेरे शामो शहर मैने दिन गुजारे थे,
तुझे क्या होगया जो मेरे बिन अब रह नही सकता।

तेरी राहों को तकती थी निगाहे मेरी हर सूं तब
कि क्यों बैठा है चौराहे पे, मुझे जब पा नही सकता।।

पूनम सिंह भदौरिया
दिल्ली

©ek_tukda_zindgi _12

मेरे जीते जी रो लेता..........#कविता #Poetry #gajal

12 Love

White वो नदी समुन्दर के निकट पहुंचने के तुरंत बाद लौटने लगी अपने स्त्रोत की तरफ क्यों की उसे डर था कि उसका मीठा जल समुन्द्र के खारे पानी से मिल कर कहीं प्रदूषित न हो जाए ©Parasram Arora

 White वो नदी  समुन्दर के निकट पहुंचने के तुरंत बाद लौटने लगी अपने स्त्रोत की तरफ 
क्यों की उसे डर था कि उसका मीठा जल 

समुन्द्र के खारे पानी से मिल कर कहीं प्रदूषित न हो जाए

©Parasram Arora

नदी और उसका मीता पानी

11 Love

दिल देता है रो रो दुहाई ❤️❤️

90 View

एक सम्मान उसे जिससे रिश्ता रहा हमारा सुबह के अभिवादन का चैत की दोपहरी मे एक ग्लास पानी पिलाने का चेहरे उदासी क़ो पहली नजर मे पढ़ लेने का चौक डस्टर या फिर जरुरी फ़ाइल क़ो पहुंचाने का थे उनसे हमारे भी वादे सालो गुजारें रिश्तो क़ो निभाने का हम उऋण नहीं हुए हो भी नहीं सकते कर्ज से लेकिन एक फर्ज तो बनता था सो रत्ती भर सही निभाया हां बस निभाया ©ranjit Kumar rathour

#कविता  एक सम्मान उसे 
जिससे रिश्ता रहा हमारा 
सुबह के अभिवादन का 
चैत की दोपहरी मे 
एक ग्लास पानी पिलाने का 
चेहरे उदासी क़ो 
पहली नजर मे पढ़ लेने का 
चौक डस्टर या फिर 
जरुरी फ़ाइल क़ो पहुंचाने का 
थे उनसे हमारे भी वादे 
सालो गुजारें रिश्तो क़ो निभाने का
हम उऋण नहीं हुए 
हो भी नहीं सकते कर्ज से 
लेकिन एक फर्ज तो बनता था 
सो रत्ती भर सही निभाया 
हां बस निभाया

©ranjit Kumar rathour

एक ग्लास पानी

13 Love

#मोटिवेशनल

पानी ही पानी जमीन फटकार निकल गया

99 View

#शायरी  उदास फिरता है मोहल्ले में बारिश का पानी,
कश्तियाँ बनाने वाले बच्चे इश्क़ कर बैठे हैं!

©मुसाफ़िर क़लम

बारिश का पानी..! # हिंदी शायरी

90 View

White मेरे जीते जी रो लेता ,तो मैं मरता भला ही क्यों, लौटकर आने की चाहत है पर मैं आ नही सकता। क्यों गमगीन रहते हो , रहो न पहले जैसे तुम, तुम्हारे चेहरे पर  मातम सा अब अच्छा नहीं लगता। तसब्बुर में तेरे शामो शहर मैने दिन गुजारे थे, तुझे क्या होगया जो मेरे बिन अब रह नही सकता। तेरी राहों को तकती थी निगाहे मेरी हर सूं तब कि क्यों बैठा है चौराहे पे, मुझे जब पा नही सकता।। पूनम सिंह भदौरिया दिल्ली ©ek_tukda_zindgi _12

#कविता #gajal  White मेरे जीते जी रो लेता ,तो मैं मरता भला ही क्यों,
लौटकर आने की चाहत है पर मैं आ नही सकता।

क्यों गमगीन रहते हो , रहो न पहले जैसे तुम,
तुम्हारे चेहरे पर  मातम सा अब अच्छा नहीं लगता।

तसब्बुर में तेरे शामो शहर मैने दिन गुजारे थे,
तुझे क्या होगया जो मेरे बिन अब रह नही सकता।

तेरी राहों को तकती थी निगाहे मेरी हर सूं तब
कि क्यों बैठा है चौराहे पे, मुझे जब पा नही सकता।।

पूनम सिंह भदौरिया
दिल्ली

©ek_tukda_zindgi _12

मेरे जीते जी रो लेता..........#कविता #Poetry #gajal

12 Love

White वो नदी समुन्दर के निकट पहुंचने के तुरंत बाद लौटने लगी अपने स्त्रोत की तरफ क्यों की उसे डर था कि उसका मीठा जल समुन्द्र के खारे पानी से मिल कर कहीं प्रदूषित न हो जाए ©Parasram Arora

 White वो नदी  समुन्दर के निकट पहुंचने के तुरंत बाद लौटने लगी अपने स्त्रोत की तरफ 
क्यों की उसे डर था कि उसका मीठा जल 

समुन्द्र के खारे पानी से मिल कर कहीं प्रदूषित न हो जाए

©Parasram Arora

नदी और उसका मीता पानी

11 Love

दिल देता है रो रो दुहाई ❤️❤️

90 View

एक सम्मान उसे जिससे रिश्ता रहा हमारा सुबह के अभिवादन का चैत की दोपहरी मे एक ग्लास पानी पिलाने का चेहरे उदासी क़ो पहली नजर मे पढ़ लेने का चौक डस्टर या फिर जरुरी फ़ाइल क़ो पहुंचाने का थे उनसे हमारे भी वादे सालो गुजारें रिश्तो क़ो निभाने का हम उऋण नहीं हुए हो भी नहीं सकते कर्ज से लेकिन एक फर्ज तो बनता था सो रत्ती भर सही निभाया हां बस निभाया ©ranjit Kumar rathour

#कविता  एक सम्मान उसे 
जिससे रिश्ता रहा हमारा 
सुबह के अभिवादन का 
चैत की दोपहरी मे 
एक ग्लास पानी पिलाने का 
चेहरे उदासी क़ो 
पहली नजर मे पढ़ लेने का 
चौक डस्टर या फिर 
जरुरी फ़ाइल क़ो पहुंचाने का 
थे उनसे हमारे भी वादे 
सालो गुजारें रिश्तो क़ो निभाने का
हम उऋण नहीं हुए 
हो भी नहीं सकते कर्ज से 
लेकिन एक फर्ज तो बनता था 
सो रत्ती भर सही निभाया 
हां बस निभाया

©ranjit Kumar rathour

एक ग्लास पानी

13 Love

#मोटिवेशनल

पानी ही पानी जमीन फटकार निकल गया

99 View

#शायरी  उदास फिरता है मोहल्ले में बारिश का पानी,
कश्तियाँ बनाने वाले बच्चे इश्क़ कर बैठे हैं!

©मुसाफ़िर क़लम

बारिश का पानी..! # हिंदी शायरी

90 View

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