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New मोगऱ्याची एक जात Status, Photo, Video

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सुनो मैं अपने बेटे को सिखाऊंगा के ये साली औरत जात भरोसे के क़ाबिल नहीं!

144 View

एक-एक कर चले गए, बारी बारी छले गए, दो पाटन के बीचों-बीच, जितने थे सब दले गये, गर्म तेल से भरी कराही, गिरे तो समझो तले गये, शोक और दुःख से यारों, फ़ुरसत लेकर भले गये, वक्त रेत सा फिसल गया, हाथ अंत में मले गये, अपनी आंखों के आगे, टूटा भ्रम दिलजले गये, संभल नहीं पाया 'गुंजन', दल-दल में मनचले गये, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #एक  एक-एक  कर  चले गए,
बारी  बारी    छले   गए,

दो पाटन के बीचों-बीच,
जितने थे  सब दले गये,

गर्म तेल से भरी कराही,
गिरे तो समझो तले गये,

शोक और दुःख से यारों,
फ़ुरसत  लेकर भले गये,

वक्त रेत सा फिसल गया,
हाथ  अंत  में  मले   गये,

अपनी  आंखों  के  आगे,
टूटा  भ्रम  दिलजले  गये,

संभल नहीं पाया 'गुंजन',
दल-दल में  मनचले गये,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#एक-एक कर चले गए#

11 Love

अब तो मुंह देख के ताली भी बजाई जात

189 View

#शायरी

एक खयाल

396 View

White कहानी पर आपकी पकड़ बहुत मज़बूत है। इस बात को मैं शुरू से ही मानता हूं, आपकी कहानी पूर्णतया अर्थपूर्ण होती है। क्योंकि, इसमें आपको कुदरती महारत हासिल है। मैंने महसूस किया है कि अगर कहानी में कहीं कुछ कमी रह भी जाती है तो आपका दमदार प्रस्तुतीकरण उस कमी को दबा देता है। सुनने वाले का ध्यान न सिर्फ़ आपकी कहानी पर केंद्रित होता है। बल्कि उसका 50% आपके प्रस्तुतीकरण पर भी स्वत: ही केंद्रित हो जाता है। भावनाओं से परिपूर्ण कहानी हमेशा हृदय तल को छू जाती है। और हमें हमेशा के लिए याद रह जाती है, कि कहीं कभी हमने कोई कहानी सुनी या पढ़ी थी। जिस से उस व्यक्ति के हृदय में अमर हो जाती है लेखक की याद,, जो कि हमेशा, जीवन भर पढ़ने वाले या सुनने वाले के हृदय में अपना स्थान बनाए रखती है। मेरा मानना है की कहानी का विषय या प्लाट कुछ भी हो, कैसा भी हो। किंतु, उसमें कोई संदेश अवश्य हो। भावनाओं का हिलोरे लेता एक ऐसा असीम सागर भी महसूस हो, जो श्रोता या पाठक के ह्रदय को तृप्ति प्रदान करता हो। कविता रूप में लिखी गई आपकी ये कहानी भी हृदय स्पर्शी है। भावनात्मक है।आप हमेशा अच्छा लिखें, लिखती रहें। ईश्वर से यही प्रार्थना है। ©Ekta Singh

#विचार  White कहानी पर आपकी पकड़ बहुत मज़बूत है।
इस बात को मैं शुरू से ही मानता हूं, आपकी कहानी पूर्णतया अर्थपूर्ण होती है।
क्योंकि, इसमें आपको कुदरती महारत हासिल है।
मैंने महसूस किया है कि अगर कहानी में कहीं कुछ कमी रह भी जाती है तो आपका दमदार प्रस्तुतीकरण उस कमी को दबा देता है। सुनने वाले का ध्यान न सिर्फ़ आपकी कहानी पर केंद्रित होता है। बल्कि उसका 50% आपके प्रस्तुतीकरण पर भी स्वत: ही केंद्रित हो जाता है।
भावनाओं से परिपूर्ण कहानी हमेशा हृदय तल को छू जाती है। और हमें हमेशा के लिए याद रह जाती है, कि कहीं कभी हमने कोई कहानी सुनी या पढ़ी थी। जिस से उस व्यक्ति के हृदय में अमर हो जाती है लेखक की याद,, जो कि हमेशा, जीवन भर पढ़ने वाले या सुनने वाले के हृदय में अपना स्थान बनाए रखती है।
मेरा मानना है की कहानी का विषय या प्लाट कुछ भी हो, कैसा भी हो। किंतु, उसमें कोई संदेश अवश्य हो। भावनाओं का हिलोरे लेता एक ऐसा असीम सागर भी महसूस हो, जो श्रोता या पाठक के ह्रदय को तृप्ति प्रदान करता हो। 
कविता रूप में लिखी गई आपकी ये कहानी भी हृदय स्पर्शी है। भावनात्मक है।आप हमेशा अच्छा लिखें, लिखती रहें। ईश्वर से यही प्रार्थना है।

©Ekta Singh

एक प्रसंसा

11 Love

*शीर्षक - तथाकथित मर्द जात* *( व्यंग )* औरत की गलती पर जो तुमको सताते ना समझ जो तुम्हारी ही कमियां गिनाते ना दो ध्यान इन पर , बनो तुम विचारक करो नाम सार्थक , ऐ ! महिला सुधारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक* तुम्हारी नहीं , कोई इसमें खता है हैं नजरें ही चंचल ,ये सबको पता है बहक जाता मन , देख सुन्दरताई प्रभु ने ये नेमत , की तुमको अता है नजरें ही करवाती दुष्कृत्य विदारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक* ये माथे की बिंदिया ये चूड़ी ये कंगन सुनाई दी कानों में पायल की छन छन तभी तो है मन से ये आवाज़ आई मैं आगोश में लूं तो हो तृप्त तन - मन तुच्छ भावना की, औरत ही कारक *तथाकथित मर्द जात तुम्हे , तरक्की मुबारक* नहीं है सलीका , रहने का इनको समझें नहीं खुद के आगे किसी को ना जाने ही , कैसा गुरूर है इनमें अबला से सबला बनाया है जिन को अच्छा किए बन , गुरूर का तारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक* अश्लीलता की , हर हदें पार करतीं नहीं धीर मन में , ये औरत ही धर्ती स्वयं को बचाती , तुम्हे दोषी कह के पर्दे में , आखिर ये क्यूं नहीं रहतीं ? बनना पड़ा , तुमको इनका संहारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक* कि सबसे बड़ी , खता इनकी ये है जो गर्भ में पाली , तुम्हें आज ये है हृदय से लगा करके सींचा तुम्हे क्यूं मसल दो इन्हें , सजा इनकी ये है डटे तुम रहो गर , तो बनेगा स्मारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक.....* *✍️ *अपर्णा त्रिपाठी "मासूम"* ✍️ ✍️ *महराजगंज ✍️**से ©मासूम

#कोट्स  *शीर्षक - तथाकथित मर्द जात*
     *( व्यंग )*

औरत की गलती पर जो तुमको सताते
ना समझ जो तुम्हारी ही कमियां गिनाते
ना दो ध्यान इन पर , बनो तुम विचारक
करो नाम सार्थक , ऐ ! महिला सुधारक
*तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक*

तुम्हारी नहीं , कोई इसमें खता है
हैं नजरें ही चंचल ,ये सबको पता है
बहक जाता मन , देख सुन्दरताई
प्रभु ने ये नेमत , की तुमको अता है

नजरें ही करवाती दुष्कृत्य विदारक
*तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक*

ये माथे की बिंदिया ये चूड़ी ये कंगन
सुनाई दी कानों में पायल की छन छन
तभी तो है मन से ये आवाज़ आई
मैं आगोश में लूं तो हो तृप्त तन - मन

तुच्छ भावना की, औरत ही कारक
*तथाकथित मर्द जात तुम्हे , तरक्की मुबारक*

नहीं  है  सलीका , रहने  का  इनको
समझें नहीं खुद के आगे किसी को
ना  जाने ही , कैसा  गुरूर  है  इनमें
अबला से सबला बनाया है जिन को

अच्छा किए बन , गुरूर का तारक
*तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक*

अश्लीलता की , हर हदें पार करतीं
नहीं धीर मन में , ये औरत ही धर्ती 
स्वयं को बचाती , तुम्हे दोषी कह के
पर्दे में , आखिर ये क्यूं नहीं रहतीं ?

बनना पड़ा , तुमको इनका संहारक
*तथाकथित मर्द जात ,  तुम्हे तरक्की मुबारक*

कि सबसे बड़ी , खता इनकी ये है
जो गर्भ में पाली , तुम्हें आज ये है
हृदय से लगा करके सींचा तुम्हे क्यूं
मसल  दो  इन्हें , सजा इनकी ये है

डटे तुम रहो गर , तो बनेगा स्मारक
*तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक.....*

 *✍️ *अपर्णा त्रिपाठी "मासूम"* ✍️
          ✍️ *महराजगंज ✍️**से

©मासूम

तथाकथित मर्द जात तुम्हें तरक्की मुबारक#outofsight गोल्डन कोट्स इन हिंदी

13 Love

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सुनो मैं अपने बेटे को सिखाऊंगा के ये साली औरत जात भरोसे के क़ाबिल नहीं!

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एक-एक कर चले गए, बारी बारी छले गए, दो पाटन के बीचों-बीच, जितने थे सब दले गये, गर्म तेल से भरी कराही, गिरे तो समझो तले गये, शोक और दुःख से यारों, फ़ुरसत लेकर भले गये, वक्त रेत सा फिसल गया, हाथ अंत में मले गये, अपनी आंखों के आगे, टूटा भ्रम दिलजले गये, संभल नहीं पाया 'गुंजन', दल-दल में मनचले गये, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #एक  एक-एक  कर  चले गए,
बारी  बारी    छले   गए,

दो पाटन के बीचों-बीच,
जितने थे  सब दले गये,

गर्म तेल से भरी कराही,
गिरे तो समझो तले गये,

शोक और दुःख से यारों,
फ़ुरसत  लेकर भले गये,

वक्त रेत सा फिसल गया,
हाथ  अंत  में  मले   गये,

अपनी  आंखों  के  आगे,
टूटा  भ्रम  दिलजले  गये,

संभल नहीं पाया 'गुंजन',
दल-दल में  मनचले गये,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#एक-एक कर चले गए#

11 Love

अब तो मुंह देख के ताली भी बजाई जात

189 View

#शायरी

एक खयाल

396 View

White कहानी पर आपकी पकड़ बहुत मज़बूत है। इस बात को मैं शुरू से ही मानता हूं, आपकी कहानी पूर्णतया अर्थपूर्ण होती है। क्योंकि, इसमें आपको कुदरती महारत हासिल है। मैंने महसूस किया है कि अगर कहानी में कहीं कुछ कमी रह भी जाती है तो आपका दमदार प्रस्तुतीकरण उस कमी को दबा देता है। सुनने वाले का ध्यान न सिर्फ़ आपकी कहानी पर केंद्रित होता है। बल्कि उसका 50% आपके प्रस्तुतीकरण पर भी स्वत: ही केंद्रित हो जाता है। भावनाओं से परिपूर्ण कहानी हमेशा हृदय तल को छू जाती है। और हमें हमेशा के लिए याद रह जाती है, कि कहीं कभी हमने कोई कहानी सुनी या पढ़ी थी। जिस से उस व्यक्ति के हृदय में अमर हो जाती है लेखक की याद,, जो कि हमेशा, जीवन भर पढ़ने वाले या सुनने वाले के हृदय में अपना स्थान बनाए रखती है। मेरा मानना है की कहानी का विषय या प्लाट कुछ भी हो, कैसा भी हो। किंतु, उसमें कोई संदेश अवश्य हो। भावनाओं का हिलोरे लेता एक ऐसा असीम सागर भी महसूस हो, जो श्रोता या पाठक के ह्रदय को तृप्ति प्रदान करता हो। कविता रूप में लिखी गई आपकी ये कहानी भी हृदय स्पर्शी है। भावनात्मक है।आप हमेशा अच्छा लिखें, लिखती रहें। ईश्वर से यही प्रार्थना है। ©Ekta Singh

#विचार  White कहानी पर आपकी पकड़ बहुत मज़बूत है।
इस बात को मैं शुरू से ही मानता हूं, आपकी कहानी पूर्णतया अर्थपूर्ण होती है।
क्योंकि, इसमें आपको कुदरती महारत हासिल है।
मैंने महसूस किया है कि अगर कहानी में कहीं कुछ कमी रह भी जाती है तो आपका दमदार प्रस्तुतीकरण उस कमी को दबा देता है। सुनने वाले का ध्यान न सिर्फ़ आपकी कहानी पर केंद्रित होता है। बल्कि उसका 50% आपके प्रस्तुतीकरण पर भी स्वत: ही केंद्रित हो जाता है।
भावनाओं से परिपूर्ण कहानी हमेशा हृदय तल को छू जाती है। और हमें हमेशा के लिए याद रह जाती है, कि कहीं कभी हमने कोई कहानी सुनी या पढ़ी थी। जिस से उस व्यक्ति के हृदय में अमर हो जाती है लेखक की याद,, जो कि हमेशा, जीवन भर पढ़ने वाले या सुनने वाले के हृदय में अपना स्थान बनाए रखती है।
मेरा मानना है की कहानी का विषय या प्लाट कुछ भी हो, कैसा भी हो। किंतु, उसमें कोई संदेश अवश्य हो। भावनाओं का हिलोरे लेता एक ऐसा असीम सागर भी महसूस हो, जो श्रोता या पाठक के ह्रदय को तृप्ति प्रदान करता हो। 
कविता रूप में लिखी गई आपकी ये कहानी भी हृदय स्पर्शी है। भावनात्मक है।आप हमेशा अच्छा लिखें, लिखती रहें। ईश्वर से यही प्रार्थना है।

©Ekta Singh

एक प्रसंसा

11 Love

*शीर्षक - तथाकथित मर्द जात* *( व्यंग )* औरत की गलती पर जो तुमको सताते ना समझ जो तुम्हारी ही कमियां गिनाते ना दो ध्यान इन पर , बनो तुम विचारक करो नाम सार्थक , ऐ ! महिला सुधारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक* तुम्हारी नहीं , कोई इसमें खता है हैं नजरें ही चंचल ,ये सबको पता है बहक जाता मन , देख सुन्दरताई प्रभु ने ये नेमत , की तुमको अता है नजरें ही करवाती दुष्कृत्य विदारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक* ये माथे की बिंदिया ये चूड़ी ये कंगन सुनाई दी कानों में पायल की छन छन तभी तो है मन से ये आवाज़ आई मैं आगोश में लूं तो हो तृप्त तन - मन तुच्छ भावना की, औरत ही कारक *तथाकथित मर्द जात तुम्हे , तरक्की मुबारक* नहीं है सलीका , रहने का इनको समझें नहीं खुद के आगे किसी को ना जाने ही , कैसा गुरूर है इनमें अबला से सबला बनाया है जिन को अच्छा किए बन , गुरूर का तारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक* अश्लीलता की , हर हदें पार करतीं नहीं धीर मन में , ये औरत ही धर्ती स्वयं को बचाती , तुम्हे दोषी कह के पर्दे में , आखिर ये क्यूं नहीं रहतीं ? बनना पड़ा , तुमको इनका संहारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक* कि सबसे बड़ी , खता इनकी ये है जो गर्भ में पाली , तुम्हें आज ये है हृदय से लगा करके सींचा तुम्हे क्यूं मसल दो इन्हें , सजा इनकी ये है डटे तुम रहो गर , तो बनेगा स्मारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक.....* *✍️ *अपर्णा त्रिपाठी "मासूम"* ✍️ ✍️ *महराजगंज ✍️**से ©मासूम

#कोट्स  *शीर्षक - तथाकथित मर्द जात*
     *( व्यंग )*

औरत की गलती पर जो तुमको सताते
ना समझ जो तुम्हारी ही कमियां गिनाते
ना दो ध्यान इन पर , बनो तुम विचारक
करो नाम सार्थक , ऐ ! महिला सुधारक
*तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक*

तुम्हारी नहीं , कोई इसमें खता है
हैं नजरें ही चंचल ,ये सबको पता है
बहक जाता मन , देख सुन्दरताई
प्रभु ने ये नेमत , की तुमको अता है

नजरें ही करवाती दुष्कृत्य विदारक
*तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक*

ये माथे की बिंदिया ये चूड़ी ये कंगन
सुनाई दी कानों में पायल की छन छन
तभी तो है मन से ये आवाज़ आई
मैं आगोश में लूं तो हो तृप्त तन - मन

तुच्छ भावना की, औरत ही कारक
*तथाकथित मर्द जात तुम्हे , तरक्की मुबारक*

नहीं  है  सलीका , रहने  का  इनको
समझें नहीं खुद के आगे किसी को
ना  जाने ही , कैसा  गुरूर  है  इनमें
अबला से सबला बनाया है जिन को

अच्छा किए बन , गुरूर का तारक
*तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक*

अश्लीलता की , हर हदें पार करतीं
नहीं धीर मन में , ये औरत ही धर्ती 
स्वयं को बचाती , तुम्हे दोषी कह के
पर्दे में , आखिर ये क्यूं नहीं रहतीं ?

बनना पड़ा , तुमको इनका संहारक
*तथाकथित मर्द जात ,  तुम्हे तरक्की मुबारक*

कि सबसे बड़ी , खता इनकी ये है
जो गर्भ में पाली , तुम्हें आज ये है
हृदय से लगा करके सींचा तुम्हे क्यूं
मसल  दो  इन्हें , सजा इनकी ये है

डटे तुम रहो गर , तो बनेगा स्मारक
*तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक.....*

 *✍️ *अपर्णा त्रिपाठी "मासूम"* ✍️
          ✍️ *महराजगंज ✍️**से

©मासूम

तथाकथित मर्द जात तुम्हें तरक्की मुबारक#outofsight गोल्डन कोट्स इन हिंदी

13 Love

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