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New सीधे-साधे अक्षय कुमार Status, Photo, Video

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#कविता

कुमार विश्वास की कविता कुमार विश्वास की कविता Hinduism Kalki

171 View

#शायरी #kajal #viral #you #me

दो नैना सीधे-साधे हैं ♥️ #me #viral #love #you #life #kajal

198 View

White भू- राजस्व विभाग बिहार ******** मोबाईल ज़रूरी है,मज़बूरी है, मजदूरी है, मुस्किल भी है, । इक दिन थे, जब कैमरे की गोद में सोना अच्छा लगता था, लेकिन अब कैमरा देख लगता जैसे LRC का मुक़ाम मुस्तकिल भी है। ___________ ©अभियंता प्रिंस कुमार

#कोट्स #GoodNight  White 

भू- राजस्व विभाग बिहार 
********
मोबाईल ज़रूरी है,मज़बूरी है, मजदूरी है, मुस्किल भी है, ।
इक दिन थे, जब कैमरे की गोद में सोना अच्छा लगता था, लेकिन अब 
कैमरा देख लगता जैसे LRC का मुक़ाम मुस्तकिल भी है।
___________

©अभियंता प्रिंस कुमार

#@अभियन्ता प्रिंस कुमार @अभियन्ता प्रिंस कुमार @abhiyanta_prince_kumar #GoodNight

14 Love

#Videos

लखन कुमार

99 View

#कविता #nojotohindi #safar  White पल्लव की डायरी
तलाश खत्म  कहाँ है मंजिलो की
बस दाँव पर,सब कुछ रखता रहा
बेहतरी  मिलेगी इसलिये हर पग
दूरी तय करता रहा
जिंदगी को जंग बनाकर
कोशिशों से लड़ता रहा
कसूरवार में ही निकला
ख्वाव इतने पाल लिये
जालिमो के चंगुल में है दुनिया
मैने यो ही सीधे रास्ते नाप लिये
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#safar मैने यो ही सीधे रास्ते नाप लिये #nojotohindi

234 View

चाँदनी छत पे चल रही होगी, अब अकेली टहल रही होगी। फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, वो बरफ़-सी पिघल रही होगी। कल का सपना बहुत सुहाना था, ये उदासी न कल रही होगी। सोचता हूँ कि बंद कमरे में, एक शमआ-सी जल रही होगी। शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, तू गली से निकल रही होगी। आज बुनियाद थरथराती है, वो दुआ फूल-फल रही होगी। तेरे गहनों-सी खनखनाती थी, बाज़रे की फ़सल रही होगी। जिन हवाओं ने तुझको दुलराया, उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी। . ©Arpit Mishra

 चाँदनी छत पे चल रही होगी, 
अब अकेली टहल रही होगी।

फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, 
वो बरफ़-सी पिघल रही होगी।

कल का सपना बहुत सुहाना था,
 ये उदासी न कल रही होगी।

सोचता हूँ कि बंद कमरे में, 
एक शमआ-सी जल रही होगी।

शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, 
तू गली से निकल रही होगी।

आज बुनियाद थरथराती है, 
वो दुआ फूल-फल रही होगी।

तेरे गहनों-सी खनखनाती थी,
बाज़रे की फ़सल रही होगी।

जिन हवाओं ने तुझको दुलराया,
उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी।







.

©Arpit Mishra

दुष्यंत कुमार

12 Love

#कविता

कुमार विश्वास की कविता कुमार विश्वास की कविता Hinduism Kalki

171 View

#शायरी #kajal #viral #you #me

दो नैना सीधे-साधे हैं ♥️ #me #viral #love #you #life #kajal

198 View

White भू- राजस्व विभाग बिहार ******** मोबाईल ज़रूरी है,मज़बूरी है, मजदूरी है, मुस्किल भी है, । इक दिन थे, जब कैमरे की गोद में सोना अच्छा लगता था, लेकिन अब कैमरा देख लगता जैसे LRC का मुक़ाम मुस्तकिल भी है। ___________ ©अभियंता प्रिंस कुमार

#कोट्स #GoodNight  White 

भू- राजस्व विभाग बिहार 
********
मोबाईल ज़रूरी है,मज़बूरी है, मजदूरी है, मुस्किल भी है, ।
इक दिन थे, जब कैमरे की गोद में सोना अच्छा लगता था, लेकिन अब 
कैमरा देख लगता जैसे LRC का मुक़ाम मुस्तकिल भी है।
___________

©अभियंता प्रिंस कुमार

#@अभियन्ता प्रिंस कुमार @अभियन्ता प्रिंस कुमार @abhiyanta_prince_kumar #GoodNight

14 Love

#Videos

लखन कुमार

99 View

#कविता #nojotohindi #safar  White पल्लव की डायरी
तलाश खत्म  कहाँ है मंजिलो की
बस दाँव पर,सब कुछ रखता रहा
बेहतरी  मिलेगी इसलिये हर पग
दूरी तय करता रहा
जिंदगी को जंग बनाकर
कोशिशों से लड़ता रहा
कसूरवार में ही निकला
ख्वाव इतने पाल लिये
जालिमो के चंगुल में है दुनिया
मैने यो ही सीधे रास्ते नाप लिये
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#safar मैने यो ही सीधे रास्ते नाप लिये #nojotohindi

234 View

चाँदनी छत पे चल रही होगी, अब अकेली टहल रही होगी। फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, वो बरफ़-सी पिघल रही होगी। कल का सपना बहुत सुहाना था, ये उदासी न कल रही होगी। सोचता हूँ कि बंद कमरे में, एक शमआ-सी जल रही होगी। शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, तू गली से निकल रही होगी। आज बुनियाद थरथराती है, वो दुआ फूल-फल रही होगी। तेरे गहनों-सी खनखनाती थी, बाज़रे की फ़सल रही होगी। जिन हवाओं ने तुझको दुलराया, उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी। . ©Arpit Mishra

 चाँदनी छत पे चल रही होगी, 
अब अकेली टहल रही होगी।

फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, 
वो बरफ़-सी पिघल रही होगी।

कल का सपना बहुत सुहाना था,
 ये उदासी न कल रही होगी।

सोचता हूँ कि बंद कमरे में, 
एक शमआ-सी जल रही होगी।

शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, 
तू गली से निकल रही होगी।

आज बुनियाद थरथराती है, 
वो दुआ फूल-फल रही होगी।

तेरे गहनों-सी खनखनाती थी,
बाज़रे की फ़सल रही होगी।

जिन हवाओं ने तुझको दुलराया,
उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी।







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©Arpit Mishra

दुष्यंत कुमार

12 Love

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