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New 'आजादी के 70 साल याद करो कुर्बानी' Status, Photo, Video

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White फिक्र ना कर उम्र ए ढलान की। रहलत ने बक्शी है उम्र सौ साल की।। होगे पूरे जब उम्र सौ साल की आयोजन करना महफिल ए यारॉ की। नज्म जब छिङेगे महफिल मे यारो की मधुर आवाज गूॅजेगी महफिल यारो की।। गूॅजेगी तालियॉ महफिल मे यारो की। ©रघुराम

#कविता #good_night  White फिक्र ना कर उम्र ए ढलान की।
रहलत ने बक्शी है उम्र सौ साल की।।
होगे पूरे जब उम्र सौ साल की
आयोजन करना महफिल ए यारॉ की।
नज्म जब छिङेगे महफिल मे यारो की
मधुर आवाज गूॅजेगी महफिल यारो की।।
गूॅजेगी तालियॉ महफिल मे यारो की।

©रघुराम

#good_night सौ साल

12 Love

White किसी ने सच ही कहा है........ की किसी के दिल में रहना है तो, उनसे थोड़ी दूरी बनाकर रखो उन्हें हमेशा मुक्त रखो, कसमों, वादों,और बंधनों से क्यों की स्वतंत्रता ही ऐसा भाव है जो हर इंसान को सबसे अधिक प्रिय है । ©seema patidar

 White किसी ने सच ही कहा है........
की किसी के दिल में रहना है तो, उनसे थोड़ी दूरी बनाकर रखो
उन्हें हमेशा मुक्त रखो, कसमों, वादों,और बंधनों से 
क्यों की स्वतंत्रता ही ऐसा भाव है 
जो हर इंसान को सबसे अधिक प्रिय है ।

©seema patidar

आजादी ......

12 Love

#शायरी

कुर्बानी।

99 View

#जितेन्द्रसिंहविकल #विचार

#जितेन्द्रसिंहविकल सिर्फ 104 साल के है।

144 View

#कविता #GoodMorning #nojotohindi  White पल्लव की डायरी
नप रही  थी जनता
,करो के प्रावधान से
कम पड़ रही है कमाई
महंगाई के हिसाब से
बजट से लूटकर पेट नही भरा
पेमेंट पर दर लगा दी अठारह परसेंट से
सब कुछ डुबा डुबाकर
दिवाला जनता का निकाल रहे है
सत्ता के हथियारों से
मरणासन्न की ओर जनता को पहुँचा रहे है
                                                      प्रवीण जैन पल्लब

©Praveen Jain "पल्लव"

#GoodMorning नप रही है जनता करो के प्रावधान से #nojotohindi

153 View

#मोटिवेशनल  आज़ से पचीस साल पूर्व 
ढेर सारी नसीहतो के साथ 
पापा ने मुझे पटना तब भेजा था 
ज़ब गांव का सामान्य आदमी 
शायद हीं हिम्मत जुटा पाता था 
पापा ने बस स्टैंड तक छोड़ा था 
और भाई भागलपुर स्टेशन तक 
हम दो भाइयों को ट्रेन मे छोड़ने 
बोला नहीं था कुछ लेकिन 
नजरो से एक वादा ले लिया था 
जाओ आप पापा के सपने बनाना 
मंझला था बोला हमें नहीं पढ़ना 
तब हम नहीं समझ पाए थे 
लगा ये शैतानी कर रहा है 
अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहा है 
आज ज़ब समझा तो लगा की हम 
बड़े होकर भी कितने छोटे हप गए 
और मेरा छोटा कितना बड़ा हप गया 
ठीक 25साल बाद वही नजारा सामने था 
बस स्टेशन दूसरा था मुझे नहीं 
मै छोड़ने आया था अपने दोनों बेटों को 
लेकिन इस बार नसीहत मेरे थे 
और उम्मीदों को बोझ बेटों पर 
उदास ट्रेन मे सवार पटना जाने के लिए 
एक तपस्या के लिए घर से दूर 
हा बेटे यही है दस्तूर हा यही है दस्तूर

©ranjit Kumar rathour

पचीस साल बाद

144 View

White फिक्र ना कर उम्र ए ढलान की। रहलत ने बक्शी है उम्र सौ साल की।। होगे पूरे जब उम्र सौ साल की आयोजन करना महफिल ए यारॉ की। नज्म जब छिङेगे महफिल मे यारो की मधुर आवाज गूॅजेगी महफिल यारो की।। गूॅजेगी तालियॉ महफिल मे यारो की। ©रघुराम

#कविता #good_night  White फिक्र ना कर उम्र ए ढलान की।
रहलत ने बक्शी है उम्र सौ साल की।।
होगे पूरे जब उम्र सौ साल की
आयोजन करना महफिल ए यारॉ की।
नज्म जब छिङेगे महफिल मे यारो की
मधुर आवाज गूॅजेगी महफिल यारो की।।
गूॅजेगी तालियॉ महफिल मे यारो की।

©रघुराम

#good_night सौ साल

12 Love

White किसी ने सच ही कहा है........ की किसी के दिल में रहना है तो, उनसे थोड़ी दूरी बनाकर रखो उन्हें हमेशा मुक्त रखो, कसमों, वादों,और बंधनों से क्यों की स्वतंत्रता ही ऐसा भाव है जो हर इंसान को सबसे अधिक प्रिय है । ©seema patidar

 White किसी ने सच ही कहा है........
की किसी के दिल में रहना है तो, उनसे थोड़ी दूरी बनाकर रखो
उन्हें हमेशा मुक्त रखो, कसमों, वादों,और बंधनों से 
क्यों की स्वतंत्रता ही ऐसा भाव है 
जो हर इंसान को सबसे अधिक प्रिय है ।

©seema patidar

आजादी ......

12 Love

#शायरी

कुर्बानी।

99 View

#जितेन्द्रसिंहविकल #विचार

#जितेन्द्रसिंहविकल सिर्फ 104 साल के है।

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#कविता #GoodMorning #nojotohindi  White पल्लव की डायरी
नप रही  थी जनता
,करो के प्रावधान से
कम पड़ रही है कमाई
महंगाई के हिसाब से
बजट से लूटकर पेट नही भरा
पेमेंट पर दर लगा दी अठारह परसेंट से
सब कुछ डुबा डुबाकर
दिवाला जनता का निकाल रहे है
सत्ता के हथियारों से
मरणासन्न की ओर जनता को पहुँचा रहे है
                                                      प्रवीण जैन पल्लब

©Praveen Jain "पल्लव"

#GoodMorning नप रही है जनता करो के प्रावधान से #nojotohindi

153 View

#मोटिवेशनल  आज़ से पचीस साल पूर्व 
ढेर सारी नसीहतो के साथ 
पापा ने मुझे पटना तब भेजा था 
ज़ब गांव का सामान्य आदमी 
शायद हीं हिम्मत जुटा पाता था 
पापा ने बस स्टैंड तक छोड़ा था 
और भाई भागलपुर स्टेशन तक 
हम दो भाइयों को ट्रेन मे छोड़ने 
बोला नहीं था कुछ लेकिन 
नजरो से एक वादा ले लिया था 
जाओ आप पापा के सपने बनाना 
मंझला था बोला हमें नहीं पढ़ना 
तब हम नहीं समझ पाए थे 
लगा ये शैतानी कर रहा है 
अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहा है 
आज ज़ब समझा तो लगा की हम 
बड़े होकर भी कितने छोटे हप गए 
और मेरा छोटा कितना बड़ा हप गया 
ठीक 25साल बाद वही नजारा सामने था 
बस स्टेशन दूसरा था मुझे नहीं 
मै छोड़ने आया था अपने दोनों बेटों को 
लेकिन इस बार नसीहत मेरे थे 
और उम्मीदों को बोझ बेटों पर 
उदास ट्रेन मे सवार पटना जाने के लिए 
एक तपस्या के लिए घर से दूर 
हा बेटे यही है दस्तूर हा यही है दस्तूर

©ranjit Kumar rathour

पचीस साल बाद

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