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#कविता #poems

#poems

108 View

जीने की फनकारी सीख रहा हूं थोड़ी बहुत मैं भी अदाकारी सीख रहा हूं थोड़ी बहुत इस सादगी से भला किसका काम चलता है यारों मैं भी पुरकारी सीख रहा हूं थोड़ी बहुत ©_बेखबर

#hindi_poetry #love_shayari #poems  जीने की फनकारी सीख रहा हूं थोड़ी बहुत 
मैं भी अदाकारी  सीख  रहा हूं  थोड़ी बहुत 

इस सादगी से भला किसका काम चलता है 
यारों मैं भी पुरकारी सीख रहा हूं थोड़ी बहुत

©_बेखबर
#कविता

Free

54 View

#Free  White  छोटी सी तो
 ज़िंदगी है जनाब।

उम्र बीतने में 
वक्त नहीं लगता ।।

हम नहीं बाज आएंगे 
 मोहब्बत से।

जान जाएगा और 
 क्या होगा।।

©Kumar.Satyajit

#Free no love no tension image

108 View

White घर क्यों नेमत है? उन से पूछें जिन्हें ज़िंदगी के तवील सफ़र में कोई महफूज़ ठिकाना न मिला घर क्यों आबाद हैं? उन से पूछें जिन का किसी को इंतज़ार नहीं जिन्हें किसी का इंतज़ार नहीं घर क्यों ज़रूरत हैं ? उन से पूछें जिनकी आंख में कोई ख़्वाब नहीं। जिन के लब पे कोई सवाल नहीं घर क्यों जन्नत हैं? बस वहीं जानें जिन्हें इक छत और चार दीवारी का सुकूँ कभी मयस्सर न हुआ। ©Tarique Usmani

#Quotes #Free  White 
घर क्यों नेमत है?
उन से पूछें जिन्हें ज़िंदगी के तवील सफ़र में
कोई महफूज़ ठिकाना न मिला 

घर क्यों आबाद हैं?
उन से पूछें जिन का किसी को इंतज़ार नहीं 
जिन्हें किसी का इंतज़ार नहीं

घर क्यों ज़रूरत हैं ?
उन से पूछें जिनकी आंख में कोई ख़्वाब नहीं। 
जिन के लब पे कोई सवाल नहीं

घर क्यों जन्नत हैं?
बस वहीं जानें जिन्हें इक छत और
चार दीवारी का सुकूँ कभी मयस्सर न हुआ।

©Tarique Usmani

#Free

16 Love

#Free  White लिखे थे नाम कागज पे, वो सब मैंने मिटा डाले,
की ये फेहरिस्त थी उनकी, जो बनते थे सगे वाले,

कभी मिल जाओ भर इनसे, और देखो सामने से तुम,
चमकते चेहरे रखते हैं, सुरख गहरे हैं दिल काले,

ये सारे वो ही रिश्ते हैं, ये सारे वो ही नाते हैं, 
जरा भर काम करने के, ये बदले कुछ तो चाहते हैं,

अगर चाहोगे कुछ ऐसा, इन्हें महफूज रखोगे,
ये अपने आप का ही तुम, कदम मनहूस रखोगे,

सलाह मानो अभी है वक्त, बना लो इनसे तुम दूरी,
बुरे जो वक्त ना थे साथ, थी इनकी क्या वो मजबूरी,

लिखे थे नाम कागज पे, वो सब मैंने मिटा डाले,
की ये फेहरिस्त थी उनकी, जो बनते थे सगे वाले,

©Pankaj Pahwa

#Free

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#कविता #poems

#poems

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जीने की फनकारी सीख रहा हूं थोड़ी बहुत मैं भी अदाकारी सीख रहा हूं थोड़ी बहुत इस सादगी से भला किसका काम चलता है यारों मैं भी पुरकारी सीख रहा हूं थोड़ी बहुत ©_बेखबर

#hindi_poetry #love_shayari #poems  जीने की फनकारी सीख रहा हूं थोड़ी बहुत 
मैं भी अदाकारी  सीख  रहा हूं  थोड़ी बहुत 

इस सादगी से भला किसका काम चलता है 
यारों मैं भी पुरकारी सीख रहा हूं थोड़ी बहुत

©_बेखबर
#कविता

Free

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#Free  White  छोटी सी तो
 ज़िंदगी है जनाब।

उम्र बीतने में 
वक्त नहीं लगता ।।

हम नहीं बाज आएंगे 
 मोहब्बत से।

जान जाएगा और 
 क्या होगा।।

©Kumar.Satyajit

#Free no love no tension image

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White घर क्यों नेमत है? उन से पूछें जिन्हें ज़िंदगी के तवील सफ़र में कोई महफूज़ ठिकाना न मिला घर क्यों आबाद हैं? उन से पूछें जिन का किसी को इंतज़ार नहीं जिन्हें किसी का इंतज़ार नहीं घर क्यों ज़रूरत हैं ? उन से पूछें जिनकी आंख में कोई ख़्वाब नहीं। जिन के लब पे कोई सवाल नहीं घर क्यों जन्नत हैं? बस वहीं जानें जिन्हें इक छत और चार दीवारी का सुकूँ कभी मयस्सर न हुआ। ©Tarique Usmani

#Quotes #Free  White 
घर क्यों नेमत है?
उन से पूछें जिन्हें ज़िंदगी के तवील सफ़र में
कोई महफूज़ ठिकाना न मिला 

घर क्यों आबाद हैं?
उन से पूछें जिन का किसी को इंतज़ार नहीं 
जिन्हें किसी का इंतज़ार नहीं

घर क्यों ज़रूरत हैं ?
उन से पूछें जिनकी आंख में कोई ख़्वाब नहीं। 
जिन के लब पे कोई सवाल नहीं

घर क्यों जन्नत हैं?
बस वहीं जानें जिन्हें इक छत और
चार दीवारी का सुकूँ कभी मयस्सर न हुआ।

©Tarique Usmani

#Free

16 Love

#Free  White लिखे थे नाम कागज पे, वो सब मैंने मिटा डाले,
की ये फेहरिस्त थी उनकी, जो बनते थे सगे वाले,

कभी मिल जाओ भर इनसे, और देखो सामने से तुम,
चमकते चेहरे रखते हैं, सुरख गहरे हैं दिल काले,

ये सारे वो ही रिश्ते हैं, ये सारे वो ही नाते हैं, 
जरा भर काम करने के, ये बदले कुछ तो चाहते हैं,

अगर चाहोगे कुछ ऐसा, इन्हें महफूज रखोगे,
ये अपने आप का ही तुम, कदम मनहूस रखोगे,

सलाह मानो अभी है वक्त, बना लो इनसे तुम दूरी,
बुरे जो वक्त ना थे साथ, थी इनकी क्या वो मजबूरी,

लिखे थे नाम कागज पे, वो सब मैंने मिटा डाले,
की ये फेहरिस्त थी उनकी, जो बनते थे सगे वाले,

©Pankaj Pahwa

#Free

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