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कैसे जीत लेते है लोग दिल किसी का..

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White गांव का शहरी जब गांवों से पढ़ने निकले थे लक्ष्यों का अंबार लिए, माता पिता और गुरु दोस्त के सपनों का किरदार लिए। मक्खन रोटी के डिब्बे में नानी के दिये अचार लिए, दादी दादा के लाड प्यार में घुले हुए संस्कार लिए। शहर पहुंचते ही ये सब धीरे धीरे छूट गये, चमकीले चौराहों पर सब कन्ठी माला टूट गये। शहर पहुंच कर शाम को जब सब्जी लेना शुरू किया, पहली बार birthday में जब छोटा सा pack पिया। गांवों में उठने के वक्त अब शहरों में डेली सोता हूं, उठते ही पहले टपरी पर चाय सिगरेट पीता हूं। शहरी बनने के चक्कर में मेरा गांव ही पीछे छूट गया, गांव शहर की होड़ में मेरा लक्ष्य भी मुझसे रूठ गया। ©Shubham Mishra

#कविता #Sad_Status  White  गांव का शहरी 
जब गांवों से पढ़ने निकले थे लक्ष्यों का अंबार लिए,
माता पिता और गुरु दोस्त के सपनों का किरदार लिए।
मक्खन रोटी के डिब्बे में नानी के दिये अचार लिए,
दादी दादा के लाड प्यार में घुले हुए संस्कार लिए।
शहर पहुंचते ही ये सब धीरे धीरे छूट गये,
चमकीले चौराहों पर सब कन्ठी माला टूट गये।
शहर पहुंच कर शाम को जब सब्जी लेना शुरू किया,
पहली बार birthday में जब छोटा सा pack पिया।
गांवों में उठने के वक्त अब शहरों में डेली सोता हूं,
उठते ही पहले टपरी पर चाय सिगरेट पीता हूं।
शहरी बनने के चक्कर में मेरा गांव ही पीछे छूट गया,
गांव शहर की होड़ में मेरा लक्ष्य भी मुझसे रूठ गया।

©Shubham Mishra

#Sad_Status गांव का शहरी

15 Love

White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard"

#कविता #गांव  White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी,
इमारतों में, इंतजाम बहुत है!!

गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं,
शहरों में, सामान बहुत है!!

खुली हवा में, जो चैन मिलता,
बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!!

न रिश्तों की अब, गर्मी बची है,
पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!!

दादी-नानी की बातें छूटीं,
 मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!!

सच्ची हंसी, कम दिखती अब,
लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!!

सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान,
पर दिलों में, अरमान बहुत है!!

दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को,
फिर भी जीने में, थकान बहुत है!!

सादगी की जो मिठास थी कभी,
अब दिखावे में, ईमान बहुत है!!

अकेले होते लोग भीड़ में,
फिर भी दिखते, महान बहुत है!!

*अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता)

©Ashok Verma "Hamdard"

#गांव और शहर

13 Love

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anujkumar love वायरस कैसे होगा वीडियो पूरा देखें

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गाना वीडियो वायरल कैसे होगा डांसर पूरा वीडियो देखें

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 White आखरी बस से उसे विदा कर आया हु
घर में ख़ामोशी है
और
रातें लंबी
हमारे गांव का
वो आखरी बच्चा
आज शहर
जा रहा है

©बदनाम

गांव

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कैसे जीत लेते है लोग दिल किसी का..

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White गांव का शहरी जब गांवों से पढ़ने निकले थे लक्ष्यों का अंबार लिए, माता पिता और गुरु दोस्त के सपनों का किरदार लिए। मक्खन रोटी के डिब्बे में नानी के दिये अचार लिए, दादी दादा के लाड प्यार में घुले हुए संस्कार लिए। शहर पहुंचते ही ये सब धीरे धीरे छूट गये, चमकीले चौराहों पर सब कन्ठी माला टूट गये। शहर पहुंच कर शाम को जब सब्जी लेना शुरू किया, पहली बार birthday में जब छोटा सा pack पिया। गांवों में उठने के वक्त अब शहरों में डेली सोता हूं, उठते ही पहले टपरी पर चाय सिगरेट पीता हूं। शहरी बनने के चक्कर में मेरा गांव ही पीछे छूट गया, गांव शहर की होड़ में मेरा लक्ष्य भी मुझसे रूठ गया। ©Shubham Mishra

#कविता #Sad_Status  White  गांव का शहरी 
जब गांवों से पढ़ने निकले थे लक्ष्यों का अंबार लिए,
माता पिता और गुरु दोस्त के सपनों का किरदार लिए।
मक्खन रोटी के डिब्बे में नानी के दिये अचार लिए,
दादी दादा के लाड प्यार में घुले हुए संस्कार लिए।
शहर पहुंचते ही ये सब धीरे धीरे छूट गये,
चमकीले चौराहों पर सब कन्ठी माला टूट गये।
शहर पहुंच कर शाम को जब सब्जी लेना शुरू किया,
पहली बार birthday में जब छोटा सा pack पिया।
गांवों में उठने के वक्त अब शहरों में डेली सोता हूं,
उठते ही पहले टपरी पर चाय सिगरेट पीता हूं।
शहरी बनने के चक्कर में मेरा गांव ही पीछे छूट गया,
गांव शहर की होड़ में मेरा लक्ष्य भी मुझसे रूठ गया।

©Shubham Mishra

#Sad_Status गांव का शहरी

15 Love

White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard"

#कविता #गांव  White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी,
इमारतों में, इंतजाम बहुत है!!

गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं,
शहरों में, सामान बहुत है!!

खुली हवा में, जो चैन मिलता,
बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!!

न रिश्तों की अब, गर्मी बची है,
पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!!

दादी-नानी की बातें छूटीं,
 मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!!

सच्ची हंसी, कम दिखती अब,
लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!!

सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान,
पर दिलों में, अरमान बहुत है!!

दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को,
फिर भी जीने में, थकान बहुत है!!

सादगी की जो मिठास थी कभी,
अब दिखावे में, ईमान बहुत है!!

अकेले होते लोग भीड़ में,
फिर भी दिखते, महान बहुत है!!

*अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता)

©Ashok Verma "Hamdard"

#गांव और शहर

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anujkumar love वायरस कैसे होगा वीडियो पूरा देखें

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गाना वीडियो वायरल कैसे होगा डांसर पूरा वीडियो देखें

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 White आखरी बस से उसे विदा कर आया हु
घर में ख़ामोशी है
और
रातें लंबी
हमारे गांव का
वो आखरी बच्चा
आज शहर
जा रहा है

©बदनाम

गांव

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