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#श्रीशिवरुद्राष्टकम् #नजानामियोगम् #हरहरमहादेव #devotionally_spiritually_taru #कवितावाचक #भक्ति

हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक न जानामि योगम् श्री शिव रुद्राष्टकम् हिंदी अर्थ सहित . . विधा श्री शिव रुद्राष्टकम् हिंदी अर्थ सहित श्लोक ८

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#shamawritesBebaak #love_shayari  White तु मिरि कुर्बत मे होकर मिरी *कुर्बत मे नहीं है,अब
 ऐसे साथ मे तिरि वो पहली सी उल्फत भी नहीं है//१ 

मै गम ए शनास तेरे अदब मे*अज़ीयत सहती रही
     अब मुझमे तेरी*ताजीम की कोई *नीयत भी नहीं है//२

मुझे दर _बदर करने के तुने कई मन्सुबे घड़ तो लिए,
के अब इसमे बची तिरि कुछ  हकीकत भी नहीं है//३

तर्के ताल्लुक से मिरी बर्बादी तो तिरे सरपे होगी,तूने
      हैरान किया इतना,अब मिल्लत की जरूरत भी नहीं है//४

गर चुप रही तेरे तशद्दूद पे तो मुझे मिरि अना मार देगी,
अब अदल करने मे रत्तीभर तिरि हिम्मत भी नहीं है//५

मेरे एह्बाब् ने विरसे का करके किस्सा तमाम,अब्
      मुझे कहते है विरासत मे तिरी कोई शिर्कत भी नहीं है//६ 

आदत बदल लेगा तु बदसलुकी की,इस आस मे उम्र तमाम की,
 तुझमे दिखती *हुस्नेसलूक की वो पहली सी झलक भी नहीं है//७

"शमा"साथ रह्ते हुए,जब हो जाए खत्म,एहसासे कुर्बत,
तो अब मान ही लो के ऐसी कुर्बत मे उल्फत भी नहीं है//८
#shamawritesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#love_shayari तु मिरि कुर्बत मे होकर मिरी *कुर्बत मे नहीं है,अब ऐसे साथ मे तिरि वो पहली सी उल्फत भी नहीं है//१*पास मै गम ए शनास तेरे अदब म

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दोहा :- पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक । रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१ बढ़ती दुनिया देखकर  , मन करता है आज । जाऊँ पीछे आज बस , जहाँ लखन का राज ।।२ राजा बनकर राज कर , बनना नहीं नवाब । पारिजात को भूलकर , खोजे आज गुलाब ।।३ अपना भी इतिहास पढ़, खोल पुराने ग्रंथ । वह बतलायेंगे तुम्हें , सरल सुलभ नित पंथ ।।४ सुनना चाहो आप नित , कोई कहे नवाब । क्या अपने फिर धर्म को , दोगे आप जवाब ।।५ सबको अपने धर्म का , करना चहिये मान । इसीलिए तो जन्म ये , दिया तुम्हें भगवान ।।६ बने सनातन फिर रहे , गली-गली सब लोग । होता ज्ञान अगर तुम्हें , करते उचित प्रयोग ।।७ ज्ञान नहीं है धर्म का ,  भटक रहे सब लोग । तब ही तो तुम कर रहे , अनुचित यहां प्रयोग ।।८ हुआ तुम्हारे कर्म से , धर्म अगर बदनाम । याद रखो बख्शे नहीं , तुम्हें कभी भी राम ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक ।
रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१

बढ़ती दुनिया देखकर  , मन करता है आज ।
जाऊँ पीछे आज बस , जहाँ लखन का राज ।।२

राजा बनकर राज कर , बनना नहीं नवाब ।
पारिजात को भूलकर , खोजे आज गुलाब ।।३

अपना भी इतिहास पढ़, खोल पुराने ग्रंथ ।
वह बतलायेंगे तुम्हें , सरल सुलभ नित पंथ ।।४

सुनना चाहो आप नित , कोई कहे नवाब ।
क्या अपने फिर धर्म को , दोगे आप जवाब ।।५

सबको अपने धर्म का , करना चहिये मान ।
इसीलिए तो जन्म ये , दिया तुम्हें भगवान ।।६

बने सनातन फिर रहे , गली-गली सब लोग ।
होता ज्ञान अगर तुम्हें , करते उचित प्रयोग ।।७

ज्ञान नहीं है धर्म का ,  भटक रहे सब लोग ।
तब ही तो तुम कर रहे , अनुचित यहां प्रयोग ।।८

हुआ तुम्हारे कर्म से , धर्म अगर बदनाम ।
याद रखो बख्शे नहीं , तुम्हें कभी भी राम ।।९
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक । रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१ बढ़ती दुनिया देखकर  , मन करता है आज । जाऊँ पीछे आज बस ,

9 Love

ग़ज़ल :- आप आये हैं खुशी है हर तरफ़ । आज घर में रोशनी है हर तरफ़ ।।१ इस जहाँ की भीड़ से आगे निकल । भूल जा तू बेबसी है हर तरफ़ ।।२ देख तो ले बदनसीबी को मेरी । रोक कर रस्ता खड़ी है हर तरफ़ ।।३ दिख रही है आदमी में बुज़दिली । इसलिए तो खुदकुशी है हर तरफ़ ।।४ अब भरोसे का नही है आदमी । ये खबर भी तो छपी है हर तरफ़ ।।५ मानकर बातें सभी दिलदार की । जान की बाजी लगी है हर तरफ़ ।।६ दो निवालों के लिए है भागता । तिलमिलाती ज़िन्दगी है हर तरफ़ ।।७ उसके गदराये बदन को देखकर । बोली ऊँची ही लगी है हर तरफ़ ।।८ जान की कीमत नही बाजार में । गोश्त की कीमत बढ़ी है हर तरफ़ ।।९ किसलिए मायूस होना दुनिया से । हौसला रख ज़िन्दगी है हर तरफ़ ।।१० ज़िन्दगी में अब यही बाकी प्रखर । आज आँखों में नमी है हर तरफ़ ।।११ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
आप आये हैं खुशी है हर तरफ़ ।
आज घर में रोशनी है हर तरफ़ ।।१
इस जहाँ की भीड़ से आगे निकल ।
भूल जा तू बेबसी है हर तरफ़ ।।२
देख तो ले बदनसीबी को मेरी ।
रोक कर रस्ता खड़ी है हर तरफ़ ।।३
दिख रही है आदमी में बुज़दिली ।
इसलिए तो खुदकुशी है हर तरफ़ ।।४
अब भरोसे का नही है आदमी ।
ये खबर भी तो छपी है हर तरफ़ ।।५
मानकर बातें सभी दिलदार की ।
जान की बाजी लगी है हर तरफ़ ।।६
दो निवालों के लिए है भागता ।
तिलमिलाती ज़िन्दगी है हर तरफ़ ।।७
उसके गदराये बदन को देखकर ।
बोली ऊँची ही लगी है हर तरफ़ ।।८
जान की कीमत नही बाजार में ।
गोश्त की कीमत बढ़ी है हर तरफ़ ।।९
किसलिए मायूस होना दुनिया से ।
हौसला रख ज़िन्दगी है हर तरफ़ ।।१०
ज़िन्दगी में अब यही बाकी प्रखर ।
आज आँखों में नमी है हर तरफ़ ।।११

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- आप आये हैं खुशी है हर तरफ़ । आज घर में रोशनी है हर तरफ़ ।।१ इस जहाँ की भीड़ से आगे निकल । भूल जा तू बेबसी है हर तरफ़ ।।२ देख तो ले बदनसीब

12 Love

#श्रीशिवरुद्राष्टकम् #नजानामियोगम् #हरहरमहादेव #devotionally_spiritually_taru #कवितावाचक #भक्ति

हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक न जानामि योगम् श्री शिव रुद्राष्टकम् हिंदी अर्थ सहित . . विधा श्री शिव रुद्राष्टकम् हिंदी अर्थ सहित श्लोक ८

144 View

#shamawritesBebaak #love_shayari  White तु मिरि कुर्बत मे होकर मिरी *कुर्बत मे नहीं है,अब
 ऐसे साथ मे तिरि वो पहली सी उल्फत भी नहीं है//१ 

मै गम ए शनास तेरे अदब मे*अज़ीयत सहती रही
     अब मुझमे तेरी*ताजीम की कोई *नीयत भी नहीं है//२

मुझे दर _बदर करने के तुने कई मन्सुबे घड़ तो लिए,
के अब इसमे बची तिरि कुछ  हकीकत भी नहीं है//३

तर्के ताल्लुक से मिरी बर्बादी तो तिरे सरपे होगी,तूने
      हैरान किया इतना,अब मिल्लत की जरूरत भी नहीं है//४

गर चुप रही तेरे तशद्दूद पे तो मुझे मिरि अना मार देगी,
अब अदल करने मे रत्तीभर तिरि हिम्मत भी नहीं है//५

मेरे एह्बाब् ने विरसे का करके किस्सा तमाम,अब्
      मुझे कहते है विरासत मे तिरी कोई शिर्कत भी नहीं है//६ 

आदत बदल लेगा तु बदसलुकी की,इस आस मे उम्र तमाम की,
 तुझमे दिखती *हुस्नेसलूक की वो पहली सी झलक भी नहीं है//७

"शमा"साथ रह्ते हुए,जब हो जाए खत्म,एहसासे कुर्बत,
तो अब मान ही लो के ऐसी कुर्बत मे उल्फत भी नहीं है//८
#shamawritesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#love_shayari तु मिरि कुर्बत मे होकर मिरी *कुर्बत मे नहीं है,अब ऐसे साथ मे तिरि वो पहली सी उल्फत भी नहीं है//१*पास मै गम ए शनास तेरे अदब म

225 View

दोहा :- पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक । रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१ बढ़ती दुनिया देखकर  , मन करता है आज । जाऊँ पीछे आज बस , जहाँ लखन का राज ।।२ राजा बनकर राज कर , बनना नहीं नवाब । पारिजात को भूलकर , खोजे आज गुलाब ।।३ अपना भी इतिहास पढ़, खोल पुराने ग्रंथ । वह बतलायेंगे तुम्हें , सरल सुलभ नित पंथ ।।४ सुनना चाहो आप नित , कोई कहे नवाब । क्या अपने फिर धर्म को , दोगे आप जवाब ।।५ सबको अपने धर्म का , करना चहिये मान । इसीलिए तो जन्म ये , दिया तुम्हें भगवान ।।६ बने सनातन फिर रहे , गली-गली सब लोग । होता ज्ञान अगर तुम्हें , करते उचित प्रयोग ।।७ ज्ञान नहीं है धर्म का ,  भटक रहे सब लोग । तब ही तो तुम कर रहे , अनुचित यहां प्रयोग ।।८ हुआ तुम्हारे कर्म से , धर्म अगर बदनाम । याद रखो बख्शे नहीं , तुम्हें कभी भी राम ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक ।
रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१

बढ़ती दुनिया देखकर  , मन करता है आज ।
जाऊँ पीछे आज बस , जहाँ लखन का राज ।।२

राजा बनकर राज कर , बनना नहीं नवाब ।
पारिजात को भूलकर , खोजे आज गुलाब ।।३

अपना भी इतिहास पढ़, खोल पुराने ग्रंथ ।
वह बतलायेंगे तुम्हें , सरल सुलभ नित पंथ ।।४

सुनना चाहो आप नित , कोई कहे नवाब ।
क्या अपने फिर धर्म को , दोगे आप जवाब ।।५

सबको अपने धर्म का , करना चहिये मान ।
इसीलिए तो जन्म ये , दिया तुम्हें भगवान ।।६

बने सनातन फिर रहे , गली-गली सब लोग ।
होता ज्ञान अगर तुम्हें , करते उचित प्रयोग ।।७

ज्ञान नहीं है धर्म का ,  भटक रहे सब लोग ।
तब ही तो तुम कर रहे , अनुचित यहां प्रयोग ।।८

हुआ तुम्हारे कर्म से , धर्म अगर बदनाम ।
याद रखो बख्शे नहीं , तुम्हें कभी भी राम ।।९
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक । रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१ बढ़ती दुनिया देखकर  , मन करता है आज । जाऊँ पीछे आज बस ,

9 Love

ग़ज़ल :- आप आये हैं खुशी है हर तरफ़ । आज घर में रोशनी है हर तरफ़ ।।१ इस जहाँ की भीड़ से आगे निकल । भूल जा तू बेबसी है हर तरफ़ ।।२ देख तो ले बदनसीबी को मेरी । रोक कर रस्ता खड़ी है हर तरफ़ ।।३ दिख रही है आदमी में बुज़दिली । इसलिए तो खुदकुशी है हर तरफ़ ।।४ अब भरोसे का नही है आदमी । ये खबर भी तो छपी है हर तरफ़ ।।५ मानकर बातें सभी दिलदार की । जान की बाजी लगी है हर तरफ़ ।।६ दो निवालों के लिए है भागता । तिलमिलाती ज़िन्दगी है हर तरफ़ ।।७ उसके गदराये बदन को देखकर । बोली ऊँची ही लगी है हर तरफ़ ।।८ जान की कीमत नही बाजार में । गोश्त की कीमत बढ़ी है हर तरफ़ ।।९ किसलिए मायूस होना दुनिया से । हौसला रख ज़िन्दगी है हर तरफ़ ।।१० ज़िन्दगी में अब यही बाकी प्रखर । आज आँखों में नमी है हर तरफ़ ।।११ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
आप आये हैं खुशी है हर तरफ़ ।
आज घर में रोशनी है हर तरफ़ ।।१
इस जहाँ की भीड़ से आगे निकल ।
भूल जा तू बेबसी है हर तरफ़ ।।२
देख तो ले बदनसीबी को मेरी ।
रोक कर रस्ता खड़ी है हर तरफ़ ।।३
दिख रही है आदमी में बुज़दिली ।
इसलिए तो खुदकुशी है हर तरफ़ ।।४
अब भरोसे का नही है आदमी ।
ये खबर भी तो छपी है हर तरफ़ ।।५
मानकर बातें सभी दिलदार की ।
जान की बाजी लगी है हर तरफ़ ।।६
दो निवालों के लिए है भागता ।
तिलमिलाती ज़िन्दगी है हर तरफ़ ।।७
उसके गदराये बदन को देखकर ।
बोली ऊँची ही लगी है हर तरफ़ ।।८
जान की कीमत नही बाजार में ।
गोश्त की कीमत बढ़ी है हर तरफ़ ।।९
किसलिए मायूस होना दुनिया से ।
हौसला रख ज़िन्दगी है हर तरफ़ ।।१०
ज़िन्दगी में अब यही बाकी प्रखर ।
आज आँखों में नमी है हर तरफ़ ।।११

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- आप आये हैं खुशी है हर तरफ़ । आज घर में रोशनी है हर तरफ़ ।।१ इस जहाँ की भीड़ से आगे निकल । भूल जा तू बेबसी है हर तरफ़ ।।२ देख तो ले बदनसीब

12 Love

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