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गांधी का मरत नाही..# मराठी कविता#gandhi #गांधी #History # मराठी कविता संग्रह

90 View

#मराठीकविता  White स्वप्ना मागे पळताना 
माझ्यात मी हरवलो..
हरवताना जगात या 
स्वतःच मी  दुरावलो..

जबाबदारीच्या ओझ्याने 
अगदीच मी भारावलो..
भारावलेल्या आयुष्याला
जगायलाच मी विसरलो ..

 उगाच का बरं पळतोय 
अजूनहि नाही समजलो..
एकवेळ समजलं गेलं मला 
पण तरीही नाही थांबलो..?

पण तरीही नाही थांबलो..?

©गोरक्ष अशोक उंबरकर

तरीहि नाही थांबलो

90 View

#Motivational #ganesha

📚 विषय नाही हार्ड 📚 🔴 VIJUDADA 🔴 #ganesha

135 View

*शीर्षक - तथाकथित मर्द जात* *( व्यंग )* औरत की गलती पर जो तुमको सताते ना समझ जो तुम्हारी ही कमियां गिनाते ना दो ध्यान इन पर , बनो तुम विचारक करो नाम सार्थक , ऐ ! महिला सुधारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक* तुम्हारी नहीं , कोई इसमें खता है हैं नजरें ही चंचल ,ये सबको पता है बहक जाता मन , देख सुन्दरताई प्रभु ने ये नेमत , की तुमको अता है नजरें ही करवाती दुष्कृत्य विदारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक* ये माथे की बिंदिया ये चूड़ी ये कंगन सुनाई दी कानों में पायल की छन छन तभी तो है मन से ये आवाज़ आई मैं आगोश में लूं तो हो तृप्त तन - मन तुच्छ भावना की, औरत ही कारक *तथाकथित मर्द जात तुम्हे , तरक्की मुबारक* नहीं है सलीका , रहने का इनको समझें नहीं खुद के आगे किसी को ना जाने ही , कैसा गुरूर है इनमें अबला से सबला बनाया है जिन को अच्छा किए बन , गुरूर का तारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक* अश्लीलता की , हर हदें पार करतीं नहीं धीर मन में , ये औरत ही धर्ती स्वयं को बचाती , तुम्हे दोषी कह के पर्दे में , आखिर ये क्यूं नहीं रहतीं ? बनना पड़ा , तुमको इनका संहारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक* कि सबसे बड़ी , खता इनकी ये है जो गर्भ में पाली , तुम्हें आज ये है हृदय से लगा करके सींचा तुम्हे क्यूं मसल दो इन्हें , सजा इनकी ये है डटे तुम रहो गर , तो बनेगा स्मारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक.....* *✍️ *अपर्णा त्रिपाठी "मासूम"* ✍️ ✍️ *महराजगंज ✍️**से ©मासूम

#कोट्स  *शीर्षक - तथाकथित मर्द जात*
     *( व्यंग )*

औरत की गलती पर जो तुमको सताते
ना समझ जो तुम्हारी ही कमियां गिनाते
ना दो ध्यान इन पर , बनो तुम विचारक
करो नाम सार्थक , ऐ ! महिला सुधारक
*तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक*

तुम्हारी नहीं , कोई इसमें खता है
हैं नजरें ही चंचल ,ये सबको पता है
बहक जाता मन , देख सुन्दरताई
प्रभु ने ये नेमत , की तुमको अता है

नजरें ही करवाती दुष्कृत्य विदारक
*तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक*

ये माथे की बिंदिया ये चूड़ी ये कंगन
सुनाई दी कानों में पायल की छन छन
तभी तो है मन से ये आवाज़ आई
मैं आगोश में लूं तो हो तृप्त तन - मन

तुच्छ भावना की, औरत ही कारक
*तथाकथित मर्द जात तुम्हे , तरक्की मुबारक*

नहीं  है  सलीका , रहने  का  इनको
समझें नहीं खुद के आगे किसी को
ना  जाने ही , कैसा  गुरूर  है  इनमें
अबला से सबला बनाया है जिन को

अच्छा किए बन , गुरूर का तारक
*तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक*

अश्लीलता की , हर हदें पार करतीं
नहीं धीर मन में , ये औरत ही धर्ती 
स्वयं को बचाती , तुम्हे दोषी कह के
पर्दे में , आखिर ये क्यूं नहीं रहतीं ?

बनना पड़ा , तुमको इनका संहारक
*तथाकथित मर्द जात ,  तुम्हे तरक्की मुबारक*

कि सबसे बड़ी , खता इनकी ये है
जो गर्भ में पाली , तुम्हें आज ये है
हृदय से लगा करके सींचा तुम्हे क्यूं
मसल  दो  इन्हें , सजा इनकी ये है

डटे तुम रहो गर , तो बनेगा स्मारक
*तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक.....*

 *✍️ *अपर्णा त्रिपाठी "मासूम"* ✍️
          ✍️ *महराजगंज ✍️**से

©मासूम

तथाकथित मर्द जात तुम्हें तरक्की मुबारक#outofsight गोल्डन कोट्स इन हिंदी

13 Love

#मराठीकविता #युवाकवी

आसवांची साद ऐकूण का सखे तू येत नाही, कोण म्हणतो काळजाला बोलता ग येतं नाही.. #युवाकवी

90 View

#Videos

अंकल जी, ने सही बोला औरत जात से ज्यादा बेवफ़ा कोई नहीं होती!

108 View

गांधी का मरत नाही..# मराठी कविता#gandhi #गांधी #History # मराठी कविता संग्रह

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#मराठीकविता  White स्वप्ना मागे पळताना 
माझ्यात मी हरवलो..
हरवताना जगात या 
स्वतःच मी  दुरावलो..

जबाबदारीच्या ओझ्याने 
अगदीच मी भारावलो..
भारावलेल्या आयुष्याला
जगायलाच मी विसरलो ..

 उगाच का बरं पळतोय 
अजूनहि नाही समजलो..
एकवेळ समजलं गेलं मला 
पण तरीही नाही थांबलो..?

पण तरीही नाही थांबलो..?

©गोरक्ष अशोक उंबरकर

तरीहि नाही थांबलो

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#Motivational #ganesha

📚 विषय नाही हार्ड 📚 🔴 VIJUDADA 🔴 #ganesha

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*शीर्षक - तथाकथित मर्द जात* *( व्यंग )* औरत की गलती पर जो तुमको सताते ना समझ जो तुम्हारी ही कमियां गिनाते ना दो ध्यान इन पर , बनो तुम विचारक करो नाम सार्थक , ऐ ! महिला सुधारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक* तुम्हारी नहीं , कोई इसमें खता है हैं नजरें ही चंचल ,ये सबको पता है बहक जाता मन , देख सुन्दरताई प्रभु ने ये नेमत , की तुमको अता है नजरें ही करवाती दुष्कृत्य विदारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक* ये माथे की बिंदिया ये चूड़ी ये कंगन सुनाई दी कानों में पायल की छन छन तभी तो है मन से ये आवाज़ आई मैं आगोश में लूं तो हो तृप्त तन - मन तुच्छ भावना की, औरत ही कारक *तथाकथित मर्द जात तुम्हे , तरक्की मुबारक* नहीं है सलीका , रहने का इनको समझें नहीं खुद के आगे किसी को ना जाने ही , कैसा गुरूर है इनमें अबला से सबला बनाया है जिन को अच्छा किए बन , गुरूर का तारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक* अश्लीलता की , हर हदें पार करतीं नहीं धीर मन में , ये औरत ही धर्ती स्वयं को बचाती , तुम्हे दोषी कह के पर्दे में , आखिर ये क्यूं नहीं रहतीं ? बनना पड़ा , तुमको इनका संहारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक* कि सबसे बड़ी , खता इनकी ये है जो गर्भ में पाली , तुम्हें आज ये है हृदय से लगा करके सींचा तुम्हे क्यूं मसल दो इन्हें , सजा इनकी ये है डटे तुम रहो गर , तो बनेगा स्मारक *तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक.....* *✍️ *अपर्णा त्रिपाठी "मासूम"* ✍️ ✍️ *महराजगंज ✍️**से ©मासूम

#कोट्स  *शीर्षक - तथाकथित मर्द जात*
     *( व्यंग )*

औरत की गलती पर जो तुमको सताते
ना समझ जो तुम्हारी ही कमियां गिनाते
ना दो ध्यान इन पर , बनो तुम विचारक
करो नाम सार्थक , ऐ ! महिला सुधारक
*तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक*

तुम्हारी नहीं , कोई इसमें खता है
हैं नजरें ही चंचल ,ये सबको पता है
बहक जाता मन , देख सुन्दरताई
प्रभु ने ये नेमत , की तुमको अता है

नजरें ही करवाती दुष्कृत्य विदारक
*तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक*

ये माथे की बिंदिया ये चूड़ी ये कंगन
सुनाई दी कानों में पायल की छन छन
तभी तो है मन से ये आवाज़ आई
मैं आगोश में लूं तो हो तृप्त तन - मन

तुच्छ भावना की, औरत ही कारक
*तथाकथित मर्द जात तुम्हे , तरक्की मुबारक*

नहीं  है  सलीका , रहने  का  इनको
समझें नहीं खुद के आगे किसी को
ना  जाने ही , कैसा  गुरूर  है  इनमें
अबला से सबला बनाया है जिन को

अच्छा किए बन , गुरूर का तारक
*तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक*

अश्लीलता की , हर हदें पार करतीं
नहीं धीर मन में , ये औरत ही धर्ती 
स्वयं को बचाती , तुम्हे दोषी कह के
पर्दे में , आखिर ये क्यूं नहीं रहतीं ?

बनना पड़ा , तुमको इनका संहारक
*तथाकथित मर्द जात ,  तुम्हे तरक्की मुबारक*

कि सबसे बड़ी , खता इनकी ये है
जो गर्भ में पाली , तुम्हें आज ये है
हृदय से लगा करके सींचा तुम्हे क्यूं
मसल  दो  इन्हें , सजा इनकी ये है

डटे तुम रहो गर , तो बनेगा स्मारक
*तथाकथित मर्द जात , तुम्हे तरक्की मुबारक.....*

 *✍️ *अपर्णा त्रिपाठी "मासूम"* ✍️
          ✍️ *महराजगंज ✍️**से

©मासूम

तथाकथित मर्द जात तुम्हें तरक्की मुबारक#outofsight गोल्डन कोट्स इन हिंदी

13 Love

#मराठीकविता #युवाकवी

आसवांची साद ऐकूण का सखे तू येत नाही, कोण म्हणतो काळजाला बोलता ग येतं नाही.. #युवाकवी

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अंकल जी, ने सही बोला औरत जात से ज्यादा बेवफ़ा कोई नहीं होती!

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