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White "आसमान में उड़ने की ख्वाहिश तो सबको है, फिर ज़मीन की सच्चाई से डर क्यों नहीं जाते।" "जमाने भर के लिए रखते हो जलन दिल में, आग में कूद कर सोने की तरह निखर क्यों नहीं जाते।" "तूफानों से बचने की सोचते हो हमेशा, फिर क्यों नहीं कर देते साहस और उभर क्यों नहीं जाते।" "जो लम्हे खामोश हैं, उन्हें जीने की जिद क्या है, फिर अपनी ज़िंदगी की किताब में उतर क्यों नहीं जाते।" "ख्वाबों की दुनिया में जीने की चाह रखते हो, फिर हकीकत की राह पर निकल क्यों नहीं जाते।" ©Navneet Thakur

#शायरी  White "आसमान में उड़ने की ख्वाहिश तो सबको है,
फिर ज़मीन की सच्चाई से डर क्यों नहीं जाते।"
"जमाने भर के लिए रखते हो जलन दिल में,
आग में कूद कर सोने की तरह निखर क्यों नहीं जाते।"
"तूफानों से बचने की सोचते हो हमेशा,
फिर क्यों नहीं कर देते साहस और उभर क्यों नहीं जाते।"
"जो लम्हे खामोश हैं, उन्हें जीने की जिद क्या है,
फिर अपनी ज़िंदगी की किताब में उतर क्यों नहीं जाते।"
"ख्वाबों की दुनिया में जीने की चाह रखते हो,
फिर हकीकत की राह पर निकल क्यों नहीं जाते।"

©Navneet Thakur

#"आसमान में उड़ने की ख्वाहिश तो सबको है, फिर ज़मीन की सच्चाई से डर क्यों नहीं जाते।" "जमाने भर के लिए रखते हो जलन दिल में, आग में कूद कर सोन

14 Love

White शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बाली, है पसरी चहुँमुख हरियाली। गया दशहरा, आया मेला, धूप गुनगुना, मोहक बेला। पड़ने लगे तुहिन कण। शरद ऋतु का आगमन।। गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं। क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें, परत सफेद गगन में बिखरे। रवि रथ पर दक्षिणायन । शरद ऋतु का आगमन।। उफनाईं नदियाँ सिमट रही, तने से लताएँ लिपट रही। धीवर चले ले जलधि में नाव, मन मोहक अब लगता गाँव। निखर उठे हैं तन - मन। शरद ऋतु का आगमन।। लहराते खेतों में किसान, मन ही मन गा रहा है गान। धरती सार सहज बतलाती, धूप छांव जीवन समझाती। नाच रहे मस्त मगन , शरद ऋतु का आगमन।। ©बेजुबान शायर shivkumar

#हरियाली #ठिठुरने #नदियाँ #कविता #बरसात #मौसम  White शरद ऋतु का आगमन।।

गदराई धानों की बाली,
     है पसरी चहुँमुख हरियाली।
           गया दशहरा, आया मेला,
               धूप गुनगुना, मोहक बेला।

                     पड़ने लगे तुहिन कण।
                       शरद ऋतु का आगमन।।

             
गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, 
    बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं।
         क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें,
               परत सफेद गगन में बिखरे।
                      
                      रवि रथ पर दक्षिणायन ।
                          शरद ऋतु का आगमन।।

            
उफनाईं नदियाँ सिमट रही,
      तने से लताएँ लिपट रही।
            धीवर चले ले जलधि में नाव,
                 मन मोहक अब लगता गाँव।

                     निखर उठे हैं तन - मन।
                          शरद ऋतु का आगमन।।

लहराते खेतों में किसान,
     मन ही मन गा रहा है गान।
           धरती सार  सहज बतलाती,
                 धूप छांव जीवन समझाती।
                         
                      नाच रहे मस्त मगन ,
                            शरद ऋतु का आगमन।।

©बेजुबान शायर shivkumar

#मौसम @Sethi Ji @Bhanu Priya @Kshitija @Sana naaz @puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बा

13 Love

White "आसमान में उड़ने की ख्वाहिश तो सबको है, फिर ज़मीन की सच्चाई से डर क्यों नहीं जाते।" "जमाने भर के लिए रखते हो जलन दिल में, आग में कूद कर सोने की तरह निखर क्यों नहीं जाते।" "तूफानों से बचने की सोचते हो हमेशा, फिर क्यों नहीं कर देते साहस और उभर क्यों नहीं जाते।" "जो लम्हे खामोश हैं, उन्हें जीने की जिद क्या है, फिर अपनी ज़िंदगी की किताब में उतर क्यों नहीं जाते।" "ख्वाबों की दुनिया में जीने की चाह रखते हो, फिर हकीकत की राह पर निकल क्यों नहीं जाते।" ©Navneet Thakur

#शायरी  White "आसमान में उड़ने की ख्वाहिश तो सबको है,
फिर ज़मीन की सच्चाई से डर क्यों नहीं जाते।"
"जमाने भर के लिए रखते हो जलन दिल में,
आग में कूद कर सोने की तरह निखर क्यों नहीं जाते।"
"तूफानों से बचने की सोचते हो हमेशा,
फिर क्यों नहीं कर देते साहस और उभर क्यों नहीं जाते।"
"जो लम्हे खामोश हैं, उन्हें जीने की जिद क्या है,
फिर अपनी ज़िंदगी की किताब में उतर क्यों नहीं जाते।"
"ख्वाबों की दुनिया में जीने की चाह रखते हो,
फिर हकीकत की राह पर निकल क्यों नहीं जाते।"

©Navneet Thakur

#"आसमान में उड़ने की ख्वाहिश तो सबको है, फिर ज़मीन की सच्चाई से डर क्यों नहीं जाते।" "जमाने भर के लिए रखते हो जलन दिल में, आग में कूद कर सोन

14 Love

White शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बाली, है पसरी चहुँमुख हरियाली। गया दशहरा, आया मेला, धूप गुनगुना, मोहक बेला। पड़ने लगे तुहिन कण। शरद ऋतु का आगमन।। गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं। क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें, परत सफेद गगन में बिखरे। रवि रथ पर दक्षिणायन । शरद ऋतु का आगमन।। उफनाईं नदियाँ सिमट रही, तने से लताएँ लिपट रही। धीवर चले ले जलधि में नाव, मन मोहक अब लगता गाँव। निखर उठे हैं तन - मन। शरद ऋतु का आगमन।। लहराते खेतों में किसान, मन ही मन गा रहा है गान। धरती सार सहज बतलाती, धूप छांव जीवन समझाती। नाच रहे मस्त मगन , शरद ऋतु का आगमन।। ©बेजुबान शायर shivkumar

#हरियाली #ठिठुरने #नदियाँ #कविता #बरसात #मौसम  White शरद ऋतु का आगमन।।

गदराई धानों की बाली,
     है पसरी चहुँमुख हरियाली।
           गया दशहरा, आया मेला,
               धूप गुनगुना, मोहक बेला।

                     पड़ने लगे तुहिन कण।
                       शरद ऋतु का आगमन।।

             
गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, 
    बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं।
         क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें,
               परत सफेद गगन में बिखरे।
                      
                      रवि रथ पर दक्षिणायन ।
                          शरद ऋतु का आगमन।।

            
उफनाईं नदियाँ सिमट रही,
      तने से लताएँ लिपट रही।
            धीवर चले ले जलधि में नाव,
                 मन मोहक अब लगता गाँव।

                     निखर उठे हैं तन - मन।
                          शरद ऋतु का आगमन।।

लहराते खेतों में किसान,
     मन ही मन गा रहा है गान।
           धरती सार  सहज बतलाती,
                 धूप छांव जीवन समझाती।
                         
                      नाच रहे मस्त मगन ,
                            शरद ऋतु का आगमन।।

©बेजुबान शायर shivkumar

#मौसम @Sethi Ji @Bhanu Priya @Kshitija @Sana naaz @puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बा

13 Love

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