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New ताजदार ए हरम हो निगाहे करम Status, Photo, Video

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White हाँ परेशान तो रहता हुँ मैं.. फिर भी कहता हुँ करम है तेरा.. यूसुफ आर खान... ©F M POETRY

#करम  White हाँ परेशान तो रहता हुँ मैं..

फिर भी कहता हुँ करम है तेरा..


यूसुफ आर खान...

©F M POETRY

#करम है तेरा..

17 Love

White मन तो बावरा है अटकता है कभी तो भटकता है कभी.. विरक्त है कभी तो आसक्त है कभी... धूप है प्रेम की तो छाह यादों की कभी!! डूबता उतरता सा मचलता, भटकता सा कभी, कितने रंग समेटे खुद में हो रहा बदरंग कभी रे मन.. कैसे पाऊँ थाह तेरी है तू आस कभी तो तू है निर्लिप्त कभी ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  White मन तो बावरा है
अटकता है कभी तो
भटकता है कभी.. 
विरक्त है कभी तो
आसक्त है कभी...
धूप है प्रेम की
तो छाह यादों की कभी!!

डूबता उतरता सा
मचलता, भटकता सा कभी,
कितने रंग समेटे खुद में
हो रहा बदरंग कभी

रे मन..
कैसे पाऊँ थाह तेरी
है तू आस कभी तो
तू है निर्लिप्त कभी

©हिमांशु Kulshreshtha

ए दिल..

20 Love

#SAD

👍🌱करम पर्व में नाचते हुए Ladies Dance😎

144 View

#शायरी  plz पूरा सुनना guys.

निगाहे एक फसाना @khushi _baliyan_56 @Arjun Rawat @Kshitija @sherni @Niaz (Harf)

2,061 View

White जिंदगी के सफर में भला आदमी, दोष का बोझ सर पे उठाता रहा। मसखरी हो गई दर्द का फलसफा, उमर भर वो सदा मुस्कुराता रहा।। उसने साथी चुने रूठने वाले सब उसने तारे चुने टूटने वाले सब। उसने चाहा जो कम है वो ज्यादा बने। राजा रानी बने न कि प्यादा बने। बस यही सोच कर आगे बढ़ता रहा, बस यही सोच खुद को घटाता रहा। जिंदगी के सफर में भला आदमी, दोष का बोझ सर पे उठाता रहा। मसखरी हो गई दर्द का फलसफा, उमर भर वो सदा मुस्कुराता रहा।। एक जमाना लगा भूलने में उसे, याद जिसको जमाने से छुप के किया। आज नाकारा नामर्द सुनना पड़ा, रात दिन जो बुलाती थी मेरे पिया। दौलतों के अंधेरे ये घर खा गए, देहरी पे दिया वो जलाता रहा। जिंदगी के सफर में भला आदमी, दोष का बोझ सर पे उठाता रहा। मसखरी हो गई दर्द का फलसफा, उमर भर वो सदा मुस्कुराता रहा।। एक माली के आंगन के दो फूल थे, फूल दोनों बहुत उसको मकबूल थे। एक कांटा भी उस बाग में था पला। फूल का चाहता रात दिन था भला।। चार कांधों का था बोझ पर बाबला, खुद को तन्हा ही कांधा लगाता रहा। जिंदगी के सफर में भला आदमी, दोष का बोझ सर पे उठाता रहा। मसखरी हो गई दर्द का फलसफा, उमर भर वो सदा मुस्कुराता रहा।। निर्भय चौहान(निरपुरिया) ©निर्भय चौहान

#कविता #sad_shayari  White जिंदगी के सफर में भला आदमी,
दोष का बोझ सर पे उठाता रहा।
मसखरी हो गई दर्द का फलसफा,
उमर भर वो सदा मुस्कुराता रहा।।

उसने साथी चुने रूठने वाले सब
उसने तारे चुने टूटने वाले सब।
उसने चाहा जो कम है वो ज्यादा बने।
राजा रानी बने न कि प्यादा बने।
बस यही सोच कर आगे बढ़ता रहा,
बस यही सोच खुद को घटाता रहा।

जिंदगी के सफर में भला आदमी,
दोष का बोझ सर पे उठाता रहा।
मसखरी हो गई दर्द का फलसफा,
उमर भर वो सदा मुस्कुराता रहा।।

एक जमाना लगा भूलने में उसे,
याद जिसको जमाने से छुप के किया।
आज नाकारा नामर्द सुनना पड़ा,
रात दिन जो बुलाती थी मेरे पिया।
दौलतों के अंधेरे ये घर खा गए,
देहरी पे दिया वो जलाता रहा।

जिंदगी के सफर में भला आदमी,
दोष का बोझ सर पे उठाता रहा।
मसखरी हो गई दर्द का फलसफा,
उमर भर वो सदा मुस्कुराता रहा।।

एक माली के आंगन के दो फूल थे,
फूल दोनों बहुत उसको मकबूल थे।
एक कांटा भी उस बाग में था पला।
फूल का चाहता रात दिन था भला।।

चार कांधों का था बोझ पर बाबला,
खुद को तन्हा ही कांधा लगाता रहा।

जिंदगी के सफर में भला आदमी,
दोष का बोझ सर पे उठाता रहा।
मसखरी हो गई दर्द का फलसफा,
उमर भर वो सदा मुस्कुराता रहा।।

निर्भय चौहान(निरपुरिया)

©निर्भय चौहान

#sad_shayari @Vishalkumar "Vishal" @Kumar Shaurya करम गोरखपुरिया @Nazar @Madhusudan Shrivastava

13 Love

White बहुत लंबी कहानी में कुछ किरदारों को मरना पड़ता है।। ©निर्भय निरपुरिया

#विचार #CAT  White बहुत लंबी कहानी में कुछ किरदारों को मरना पड़ता है।।

©निर्भय निरपुरिया

#CAT नंदी @Rakhee ki kalam se @Madhusudan Shrivastava करम गोरखपुरिया @Kumar Shaurya

12 Love

White हाँ परेशान तो रहता हुँ मैं.. फिर भी कहता हुँ करम है तेरा.. यूसुफ आर खान... ©F M POETRY

#करम  White हाँ परेशान तो रहता हुँ मैं..

फिर भी कहता हुँ करम है तेरा..


यूसुफ आर खान...

©F M POETRY

#करम है तेरा..

17 Love

White मन तो बावरा है अटकता है कभी तो भटकता है कभी.. विरक्त है कभी तो आसक्त है कभी... धूप है प्रेम की तो छाह यादों की कभी!! डूबता उतरता सा मचलता, भटकता सा कभी, कितने रंग समेटे खुद में हो रहा बदरंग कभी रे मन.. कैसे पाऊँ थाह तेरी है तू आस कभी तो तू है निर्लिप्त कभी ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  White मन तो बावरा है
अटकता है कभी तो
भटकता है कभी.. 
विरक्त है कभी तो
आसक्त है कभी...
धूप है प्रेम की
तो छाह यादों की कभी!!

डूबता उतरता सा
मचलता, भटकता सा कभी,
कितने रंग समेटे खुद में
हो रहा बदरंग कभी

रे मन..
कैसे पाऊँ थाह तेरी
है तू आस कभी तो
तू है निर्लिप्त कभी

©हिमांशु Kulshreshtha

ए दिल..

20 Love

#SAD

👍🌱करम पर्व में नाचते हुए Ladies Dance😎

144 View

#शायरी  plz पूरा सुनना guys.

निगाहे एक फसाना @khushi _baliyan_56 @Arjun Rawat @Kshitija @sherni @Niaz (Harf)

2,061 View

White जिंदगी के सफर में भला आदमी, दोष का बोझ सर पे उठाता रहा। मसखरी हो गई दर्द का फलसफा, उमर भर वो सदा मुस्कुराता रहा।। उसने साथी चुने रूठने वाले सब उसने तारे चुने टूटने वाले सब। उसने चाहा जो कम है वो ज्यादा बने। राजा रानी बने न कि प्यादा बने। बस यही सोच कर आगे बढ़ता रहा, बस यही सोच खुद को घटाता रहा। जिंदगी के सफर में भला आदमी, दोष का बोझ सर पे उठाता रहा। मसखरी हो गई दर्द का फलसफा, उमर भर वो सदा मुस्कुराता रहा।। एक जमाना लगा भूलने में उसे, याद जिसको जमाने से छुप के किया। आज नाकारा नामर्द सुनना पड़ा, रात दिन जो बुलाती थी मेरे पिया। दौलतों के अंधेरे ये घर खा गए, देहरी पे दिया वो जलाता रहा। जिंदगी के सफर में भला आदमी, दोष का बोझ सर पे उठाता रहा। मसखरी हो गई दर्द का फलसफा, उमर भर वो सदा मुस्कुराता रहा।। एक माली के आंगन के दो फूल थे, फूल दोनों बहुत उसको मकबूल थे। एक कांटा भी उस बाग में था पला। फूल का चाहता रात दिन था भला।। चार कांधों का था बोझ पर बाबला, खुद को तन्हा ही कांधा लगाता रहा। जिंदगी के सफर में भला आदमी, दोष का बोझ सर पे उठाता रहा। मसखरी हो गई दर्द का फलसफा, उमर भर वो सदा मुस्कुराता रहा।। निर्भय चौहान(निरपुरिया) ©निर्भय चौहान

#कविता #sad_shayari  White जिंदगी के सफर में भला आदमी,
दोष का बोझ सर पे उठाता रहा।
मसखरी हो गई दर्द का फलसफा,
उमर भर वो सदा मुस्कुराता रहा।।

उसने साथी चुने रूठने वाले सब
उसने तारे चुने टूटने वाले सब।
उसने चाहा जो कम है वो ज्यादा बने।
राजा रानी बने न कि प्यादा बने।
बस यही सोच कर आगे बढ़ता रहा,
बस यही सोच खुद को घटाता रहा।

जिंदगी के सफर में भला आदमी,
दोष का बोझ सर पे उठाता रहा।
मसखरी हो गई दर्द का फलसफा,
उमर भर वो सदा मुस्कुराता रहा।।

एक जमाना लगा भूलने में उसे,
याद जिसको जमाने से छुप के किया।
आज नाकारा नामर्द सुनना पड़ा,
रात दिन जो बुलाती थी मेरे पिया।
दौलतों के अंधेरे ये घर खा गए,
देहरी पे दिया वो जलाता रहा।

जिंदगी के सफर में भला आदमी,
दोष का बोझ सर पे उठाता रहा।
मसखरी हो गई दर्द का फलसफा,
उमर भर वो सदा मुस्कुराता रहा।।

एक माली के आंगन के दो फूल थे,
फूल दोनों बहुत उसको मकबूल थे।
एक कांटा भी उस बाग में था पला।
फूल का चाहता रात दिन था भला।।

चार कांधों का था बोझ पर बाबला,
खुद को तन्हा ही कांधा लगाता रहा।

जिंदगी के सफर में भला आदमी,
दोष का बोझ सर पे उठाता रहा।
मसखरी हो गई दर्द का फलसफा,
उमर भर वो सदा मुस्कुराता रहा।।

निर्भय चौहान(निरपुरिया)

©निर्भय चौहान

#sad_shayari @Vishalkumar "Vishal" @Kumar Shaurya करम गोरखपुरिया @Nazar @Madhusudan Shrivastava

13 Love

White बहुत लंबी कहानी में कुछ किरदारों को मरना पड़ता है।। ©निर्भय निरपुरिया

#विचार #CAT  White बहुत लंबी कहानी में कुछ किरदारों को मरना पड़ता है।।

©निर्भय निरपुरिया

#CAT नंदी @Rakhee ki kalam se @Madhusudan Shrivastava करम गोरखपुरिया @Kumar Shaurya

12 Love

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