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New poetry on maa by shailesh lodha Status, Photo, Video

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poetry on love hindi poetry on life

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सृजन किया जिसने जिवन का, फिर भी अपमान सहती है। पीड़ा अनंत सहकर भी वो, कोख में तुमको रखती है। अपनी चिंता छोड़कर देखो, वो माँ का रूप लेती है, फर्क नहीं संतान में कोई, बस ममता अपार देती है। वंश बेल जो है कुल की, तुम उसको काट गिराते हो। बेटे की चाहत में आकर, तुम बेटी की बलि चढाते हो। फिर क्यों? तुम नवरात्र मनाते हो। ©Ritika Vijay Shrivastava

#jaimatadi #Durgapuja #navratri #DurgaMaa  सृजन किया जिसने जिवन का,
फिर भी अपमान सहती है।
पीड़ा अनंत सहकर भी वो, 
कोख में तुमको रखती है।
अपनी चिंता छोड़कर देखो, 
वो माँ का रूप लेती है,
फर्क नहीं संतान में कोई, 
बस ममता अपार देती है।
वंश बेल जो है कुल की,
तुम उसको काट गिराते हो।
बेटे की चाहत में आकर, 
तुम बेटी की बलि चढाते हो।
फिर क्यों? तुम नवरात्र मनाते हो।

©Ritika Vijay Shrivastava

#jaimatadi #navratri #Durgapuja #DurgaMaa #Maa❤ poetry on love Hinduism hindi poetry poetry love poetry in hindi

13 Love

न राम है न रावण है ये कलयुग की रामायण है युगों युगों से सुन रहे थे जो गाथा वो बनके रह गई मनोरंजन का साधन है यँहा हर मोड़ पर खड़ा इक दानव है न कोई रावण जैसा सच्चा ब्राह्मण है न शबरी के वो झूठे बेर है न बचा इब दिलों मे प्रेम है न कोई वचन निभाने वाला है पिता के कहने पर न कोई वनवास जाने वाला है न लक्ष्मण जैसा भाई है मन मे बस नफरत की खाई है न मर्यादा पुरुषोत्तम राम है जो समझे माता पिता के चरणों मे ही चारो धाम है न सीता सी कोई सती है वैचारिक मतभेदों पर वो अब अड़ी है न हनुमंत जैसा कोई सखा है जो सुख दुःख की घड़ी मे संग खड़ा है रामायण के अन्य पात्र भी बदल रहे हैं अपना स्वरूप कलयुग का इंसान भूलता जा रहा है अपना मूल रूप न राम है न रावण है ये कलयुग की रामायण है ©Bindi

#💞❤️💔 #ramayan #maa  न राम है न रावण है
ये कलयुग की रामायण है
युगों युगों से सुन रहे थे जो गाथा
वो बनके रह गई मनोरंजन का साधन है
यँहा हर मोड़ पर खड़ा इक दानव है
न कोई रावण जैसा सच्चा ब्राह्मण है
न शबरी के वो झूठे बेर है
न बचा इब दिलों मे प्रेम है
न कोई वचन निभाने वाला है
पिता के कहने पर न कोई
वनवास जाने वाला है
न लक्ष्मण जैसा भाई है
मन मे बस नफरत की खाई है
न मर्यादा पुरुषोत्तम राम है
जो समझे माता पिता के चरणों मे ही चारो धाम है
न सीता सी कोई सती है
वैचारिक मतभेदों पर वो अब अड़ी है
न हनुमंत जैसा कोई सखा है
जो सुख दुःख की घड़ी मे संग खड़ा है
रामायण के अन्य पात्र भी बदल रहे हैं अपना स्वरूप
कलयुग का इंसान भूलता जा रहा है अपना मूल रूप
न राम है न रावण है
ये कलयुग की रामायण है

©Bindi

#maa #🩷❤️🪷 hindi poetry on life #ramayan

15 Love

#motherlove #Mother #Kidua #maa #for

#maa #Kidua #Love #for #Mother #motherlove #Life love poetry in hindi hindi poetry on life

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फिर भी अपमान सहती है।
पीड़ा अनंत सहकर भी वो, 
कोख में तुमको रखती है।
अपनी चिंता छोड़कर देखो, 
वो माँ का रूप लेती है,
फर्क नहीं संतान में कोई, 
बस ममता अपार देती है।
वंश बेल जो है कुल की,
तुम उसको काट गिराते हो।
बेटे की चाहत में आकर, 
तुम बेटी की बलि चढाते हो।
फिर क्यों? तुम नवरात्र मनाते हो।

©Ritika Vijay Shrivastava

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न राम है न रावण है ये कलयुग की रामायण है युगों युगों से सुन रहे थे जो गाथा वो बनके रह गई मनोरंजन का साधन है यँहा हर मोड़ पर खड़ा इक दानव है न कोई रावण जैसा सच्चा ब्राह्मण है न शबरी के वो झूठे बेर है न बचा इब दिलों मे प्रेम है न कोई वचन निभाने वाला है पिता के कहने पर न कोई वनवास जाने वाला है न लक्ष्मण जैसा भाई है मन मे बस नफरत की खाई है न मर्यादा पुरुषोत्तम राम है जो समझे माता पिता के चरणों मे ही चारो धाम है न सीता सी कोई सती है वैचारिक मतभेदों पर वो अब अड़ी है न हनुमंत जैसा कोई सखा है जो सुख दुःख की घड़ी मे संग खड़ा है रामायण के अन्य पात्र भी बदल रहे हैं अपना स्वरूप कलयुग का इंसान भूलता जा रहा है अपना मूल रूप न राम है न रावण है ये कलयुग की रामायण है ©Bindi

#💞❤️💔 #ramayan #maa  न राम है न रावण है
ये कलयुग की रामायण है
युगों युगों से सुन रहे थे जो गाथा
वो बनके रह गई मनोरंजन का साधन है
यँहा हर मोड़ पर खड़ा इक दानव है
न कोई रावण जैसा सच्चा ब्राह्मण है
न शबरी के वो झूठे बेर है
न बचा इब दिलों मे प्रेम है
न कोई वचन निभाने वाला है
पिता के कहने पर न कोई
वनवास जाने वाला है
न लक्ष्मण जैसा भाई है
मन मे बस नफरत की खाई है
न मर्यादा पुरुषोत्तम राम है
जो समझे माता पिता के चरणों मे ही चारो धाम है
न सीता सी कोई सती है
वैचारिक मतभेदों पर वो अब अड़ी है
न हनुमंत जैसा कोई सखा है
जो सुख दुःख की घड़ी मे संग खड़ा है
रामायण के अन्य पात्र भी बदल रहे हैं अपना स्वरूप
कलयुग का इंसान भूलता जा रहा है अपना मूल रूप
न राम है न रावण है
ये कलयुग की रामायण है

©Bindi

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