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White **एक मर्द का अभिमान** जितना ऊँचा हो उसका सिर, अभिमान में वो गुमसुम, कभी खुद को समझे शेर, पर भीतर से है वो खामोश। चमकती कार, महंगी घड़ी, सपनों की ऊँचाई पर, सोचता है वो सबसे बड़ा, पर खुद की परछाई से डरता। सच की एक बूँद टपकी, जब सामने आया आईना, अभिमान के सारे पहाड़, धड़कन में बिखरे ख्वाब। तोड़ दो उसकी कड़ी, सच्चाई से कर दो सामना, एक झलक में ही वो समझेगा, बिना भाव के भी है जीना। इस दुनिया की चकाचौंध में, उसकी शक्ति नहीं, मानवता है, अभिमान की ऊँचाई को छूकर, वो फिर से इंसानियत पाएगा। ©Prakhar Tiwari

#sad_quotes  White **एक मर्द का अभिमान**

जितना ऊँचा हो उसका सिर,  
अभिमान में वो गुमसुम,  
कभी खुद को समझे शेर,  
पर भीतर से है वो खामोश।

चमकती कार, महंगी घड़ी,  
सपनों की ऊँचाई पर,  
सोचता है वो सबसे बड़ा,  
पर खुद की परछाई से डरता।

सच की एक बूँद टपकी,  
जब सामने आया आईना,  
अभिमान के सारे पहाड़,  
धड़कन में बिखरे ख्वाब।

तोड़ दो उसकी कड़ी,  
सच्चाई से कर दो सामना,  
एक झलक में ही वो समझेगा,  
बिना भाव के भी है जीना। 

इस दुनिया की चकाचौंध में,  
उसकी शक्ति नहीं, मानवता है,  
अभिमान की ऊँचाई को छूकर,  
वो फिर से इंसानियत पाएगा।

©Prakhar Tiwari

#sad_quotes **एक मर्द का अभिमान** जितना ऊँचा हो उसका सिर, अभिमान में वो गुमसुम, कभी खुद को समझे शेर, पर भीतर से है वो खामोश। चमकती क

12 Love

White पल्लव की डायरी परिवार और घरो के बाद टीचर ही बच्चो का भविष्य बनाते है नैतिकता और संस्कारों की घुट्टी पाठशालाओं में पढ़ाते है जीवन कैसे जीना है संगतों की कहानी बार बार दोहराते है समाजिक और राष्ट्रवाद के लिये मर मिटना, स्वाभिमान की भावना जगाते है एक एक टीचर हजारो छात्रों को अध्ययन से ओहदा ऊँचा दिलाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #teachers_day #nojotohindi  White पल्लव की डायरी
परिवार और घरो के बाद 
टीचर ही बच्चो का भविष्य बनाते है
नैतिकता और संस्कारों की घुट्टी
पाठशालाओं में पढ़ाते है
जीवन कैसे जीना है
संगतों की कहानी बार बार दोहराते है
समाजिक और राष्ट्रवाद के लिये
मर मिटना, स्वाभिमान की भावना जगाते है
एक एक टीचर हजारो छात्रों को
अध्ययन से ओहदा ऊँचा दिलाते है
                                                 प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#teachers_day अध्ययन से ओहदा ऊँचा दिलाते है #nojotohindi

18 Love

White दोहा :- बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान । मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।। हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण । आज उसे संसार में , मानो तुम उत्तीर्ण ।। बनकर शिक्षक शिष्य को , दिखलाते जो राह । ऐसे गुरुवर की शरण , मिले शिष्य की चाह ।। हिंदी भाषा का सदा , करते हैं गुणगान । इससे ही अब हो रही, अपनी भी पहचान ।। मिला हमें गुरुदेव का , जबसे आशीर्वाद । छन्द ग़ज़ल दोनों रचे , सब देते हैं दाद ।। हिंदी में ही राम का , वृक्ष करे गुणगान । निकट अयोध्या देख लो , जाकर तुम अब स्थान ।।  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White दोहा :-
बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान ।
मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।।

हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण ।
आज उसे संसार में , मानो तुम उत्तीर्ण ।।

बनकर शिक्षक शिष्य को , दिखलाते जो राह ।
ऐसे गुरुवर की शरण , मिले शिष्य की चाह ।।

हिंदी भाषा का सदा , करते हैं गुणगान ।
इससे ही अब हो रही, अपनी भी पहचान ।।

मिला हमें गुरुदेव का , जबसे आशीर्वाद ।
छन्द ग़ज़ल दोनों रचे , सब देते हैं दाद ।।

हिंदी में ही राम का , वृक्ष करे गुणगान ।
निकट अयोध्या देख लो , जाकर तुम अब स्थान ।।

 महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान । मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।। हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण । आज उसे

10 Love

White **एक मर्द का अभिमान** जितना ऊँचा हो उसका सिर, अभिमान में वो गुमसुम, कभी खुद को समझे शेर, पर भीतर से है वो खामोश। चमकती कार, महंगी घड़ी, सपनों की ऊँचाई पर, सोचता है वो सबसे बड़ा, पर खुद की परछाई से डरता। सच की एक बूँद टपकी, जब सामने आया आईना, अभिमान के सारे पहाड़, धड़कन में बिखरे ख्वाब। तोड़ दो उसकी कड़ी, सच्चाई से कर दो सामना, एक झलक में ही वो समझेगा, बिना भाव के भी है जीना। इस दुनिया की चकाचौंध में, उसकी शक्ति नहीं, मानवता है, अभिमान की ऊँचाई को छूकर, वो फिर से इंसानियत पाएगा। ©Prakhar Tiwari

#sad_quotes  White **एक मर्द का अभिमान**

जितना ऊँचा हो उसका सिर,  
अभिमान में वो गुमसुम,  
कभी खुद को समझे शेर,  
पर भीतर से है वो खामोश।

चमकती कार, महंगी घड़ी,  
सपनों की ऊँचाई पर,  
सोचता है वो सबसे बड़ा,  
पर खुद की परछाई से डरता।

सच की एक बूँद टपकी,  
जब सामने आया आईना,  
अभिमान के सारे पहाड़,  
धड़कन में बिखरे ख्वाब।

तोड़ दो उसकी कड़ी,  
सच्चाई से कर दो सामना,  
एक झलक में ही वो समझेगा,  
बिना भाव के भी है जीना। 

इस दुनिया की चकाचौंध में,  
उसकी शक्ति नहीं, मानवता है,  
अभिमान की ऊँचाई को छूकर,  
वो फिर से इंसानियत पाएगा।

©Prakhar Tiwari

#sad_quotes **एक मर्द का अभिमान** जितना ऊँचा हो उसका सिर, अभिमान में वो गुमसुम, कभी खुद को समझे शेर, पर भीतर से है वो खामोश। चमकती क

12 Love

White पल्लव की डायरी परिवार और घरो के बाद टीचर ही बच्चो का भविष्य बनाते है नैतिकता और संस्कारों की घुट्टी पाठशालाओं में पढ़ाते है जीवन कैसे जीना है संगतों की कहानी बार बार दोहराते है समाजिक और राष्ट्रवाद के लिये मर मिटना, स्वाभिमान की भावना जगाते है एक एक टीचर हजारो छात्रों को अध्ययन से ओहदा ऊँचा दिलाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #teachers_day #nojotohindi  White पल्लव की डायरी
परिवार और घरो के बाद 
टीचर ही बच्चो का भविष्य बनाते है
नैतिकता और संस्कारों की घुट्टी
पाठशालाओं में पढ़ाते है
जीवन कैसे जीना है
संगतों की कहानी बार बार दोहराते है
समाजिक और राष्ट्रवाद के लिये
मर मिटना, स्वाभिमान की भावना जगाते है
एक एक टीचर हजारो छात्रों को
अध्ययन से ओहदा ऊँचा दिलाते है
                                                 प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#teachers_day अध्ययन से ओहदा ऊँचा दिलाते है #nojotohindi

18 Love

White दोहा :- बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान । मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।। हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण । आज उसे संसार में , मानो तुम उत्तीर्ण ।। बनकर शिक्षक शिष्य को , दिखलाते जो राह । ऐसे गुरुवर की शरण , मिले शिष्य की चाह ।। हिंदी भाषा का सदा , करते हैं गुणगान । इससे ही अब हो रही, अपनी भी पहचान ।। मिला हमें गुरुदेव का , जबसे आशीर्वाद । छन्द ग़ज़ल दोनों रचे , सब देते हैं दाद ।। हिंदी में ही राम का , वृक्ष करे गुणगान । निकट अयोध्या देख लो , जाकर तुम अब स्थान ।।  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White दोहा :-
बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान ।
मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।।

हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण ।
आज उसे संसार में , मानो तुम उत्तीर्ण ।।

बनकर शिक्षक शिष्य को , दिखलाते जो राह ।
ऐसे गुरुवर की शरण , मिले शिष्य की चाह ।।

हिंदी भाषा का सदा , करते हैं गुणगान ।
इससे ही अब हो रही, अपनी भी पहचान ।।

मिला हमें गुरुदेव का , जबसे आशीर्वाद ।
छन्द ग़ज़ल दोनों रचे , सब देते हैं दाद ।।

हिंदी में ही राम का , वृक्ष करे गुणगान ।
निकट अयोध्या देख लो , जाकर तुम अब स्थान ।।

 महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान । मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।। हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण । आज उसे

10 Love

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