White लिखा है। "बच्चा कहता है, 'जब मैं बड़ा हो जाऊँगा।' बड़ा होने पर वह कहता है, 'जब मैं कमाने लगूँगा।' जब वह कमाने लगता है, तो कहता है, 'जब मेरी शादी हो जायेगी।' जब उसकी शादी हो जाती है, तो उससे क्या फ़र्क़ पड़ता है ? विचार बदलकर हो जाता है, 'जब मैं रिटायर हो जाऊँगा।' और फिर जब रिटायरमेंट आता है, तो वह पीछे मुड़कर अपने सफ़र को देखता है और उसे ठंडी हवा की कंपकंपी छूट जाती है; न जाने कैसे उसने सब कुछ गँवा दिया और जीवन पीछे छूट गया। हमें बहुत देर बाद समझ में आता है कि ज़िंदगी हर पल जीने के लिये होती है, इसलिये हमें हर दिन, हर घंटे इसे जीना चाहिये।"
डेट्रॉइट के स्वर्गीय एडवर्ड एस. इवान्स तो चिंता करते-करते मौत के कगार पर पहुँच गये थे और तब जाकर वे सीख पाये कि ज़िंदगी "हर पल जीने के लिये होती है, इसलिये हमें हर दिन, हर घंटे इसे जीना चाहिये।" ग़रीबी में बड़े हुये एडवर्ड इवान्स ने पहले तो अखबार बेचकर और फिर एक किराने की दकान
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