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आग लगाऊँ ऐसी डिग्रियों को जो मुझसे तेरा दिल पड़ा ना गया ©+-InNocEnT BeWafa-+

#ಭಯಾನಕ  आग लगाऊँ ऐसी डिग्रियों को
जो मुझसे 
तेरा दिल
पड़ा ना गया

©+-InNocEnT BeWafa-+

आग लगाऊँ ऐसी डिग्रियों को जो मुझसे तेरा दिल पड़ा ना गया

16 Love

#विचार  White ना थके ना रुके, मंजिल कहां है पता नहीं, एक दिन हमारे लक्ष्य का भेद पता चल जाएगा कि हमने देश के लिए समझौता किया है या समझौते से देश को बचाया है।

©Satish Kumar Meena

ना थके ना रुके

90 View

बहुत रोके इन कदमों को

81 View

White जन्मभूमि राम की, राम को ना जानते। कुछ मंदबुद्धि है यहां, जो राम को ना मानते । जन्म भूमि राम की, और राम को न जानते। कुछ मंदबुद्धि हैं यहां , जो राम को ना मानते । रघुकुल की एक मर्यादा थी, वचनों पर जीवन सादा थी। दुःख की सीमा का अंत नहीं सुख जैसे आधा आधा थी। खुद भगवन जिसके कायल थे ये उन पर कीच उछालते। कुछ मंद बुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते। जो शिव धनुष को तोड़े थे, जो सबको पीछे छोड़े थे। जो शिव धनुष को तोड़े थे, जो सबको पीछे छोड़े थे। कुछ मानवी पिशाच हैं, जो देव को ललकारते। कुछ मंदबुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते । जो लांघ गई अग्नि को, जो धरती में विलीन है। जो लांघ गई अग्नि को, जो धरती में विलीन है। यह मांगते हैं साक्ष्य, और अंजाम को न जानते । कुछ मंदबुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते । जो धू - धू करके जल गई , वह लंका भी एक गाथा है । जो धू धू करके जल गई, वह लंका भी एक गाथा है । कलयुग के रावण तुम सुन लो, हमें मजा चखाना आता है। जिसके वीर भक्त हनुमान हुए, तुम उनको ना पहचानते। कुछ मंदबुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते। थे राजपूत पर दंभ न था, वानर, केेंवट भी मित्र हुए। पग जहां जहां भी राम धरे धरती से नभ सब इत्र हुए। गुणगान नहीं कर सकते हैं, ये अपनी राग आलापते। कुछ मंदबुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते। कुछ मंद बुद्धि हैं यहां, जो खुद को ना पहचानते। ये श्री राम को ना जानते। हर्षा मिश्रा ©harsha mishra

#कविता  White जन्मभूमि राम की,
 राम को ना जानते।
 कुछ मंदबुद्धि है यहां,
 जो राम को ना मानते ।

जन्म भूमि राम की,
 और राम को न जानते।
 कुछ मंदबुद्धि हैं यहां ,
जो राम को ना मानते ।

रघुकुल की एक मर्यादा थी,
वचनों पर जीवन सादा थी।
दुःख की सीमा का अंत नहीं
सुख जैसे आधा आधा थी।
खुद भगवन जिसके कायल थे
ये उन पर कीच उछालते।

कुछ मंद बुद्धि हैं यहां,
 जो राम को ना मानते।


जो शिव धनुष को तोड़े थे,
 जो सबको पीछे छोड़े थे।
 जो शिव धनुष को तोड़े थे,
 जो सबको पीछे छोड़े थे।
 कुछ मानवी पिशाच हैं,
 जो देव को ललकारते।
 कुछ मंदबुद्धि हैं यहां,
 जो राम को ना मानते ।

जो लांघ गई अग्नि को,
 जो धरती में विलीन है।
 जो लांघ गई अग्नि को,
 जो धरती में विलीन है।
 यह मांगते हैं साक्ष्य,
 और अंजाम को न जानते ।

कुछ मंदबुद्धि हैं यहां,
 जो राम को ना मानते ।

जो धू - धू करके जल गई ,
वह लंका भी एक गाथा है ।
जो धू धू करके जल गई,
 वह लंका भी एक गाथा है ।
कलयुग के रावण तुम सुन लो,
 हमें मजा चखाना आता है।
 जिसके वीर भक्त हनुमान हुए,
 तुम उनको ना पहचानते।
 
कुछ मंदबुद्धि हैं यहां,
 जो राम को ना मानते।

थे राजपूत पर दंभ न था,
वानर, केेंवट भी मित्र हुए।
पग जहां जहां भी राम धरे
धरती से नभ सब इत्र हुए।

गुणगान नहीं कर सकते हैं,
ये अपनी राग आलापते।
कुछ मंदबुद्धि हैं यहां,
 जो राम को ना मानते।

कुछ मंद बुद्धि हैं यहां,
जो खुद को ना पहचानते।
ये श्री राम को ना जानते।

हर्षा मिश्रा

©harsha mishra

ये श्री राम को ना मानते,,,,,,

15 Love

White सीख जायेंगे एक दिन हम भी भुलाने का हुनर, मगर ज़िंदा हैं यह दिखाने को कुछ याद रखना भी जरूरी है! ©Lamha

 White सीख जायेंगे एक दिन हम भी भुलाने का हुनर,
मगर ज़िंदा हैं यह दिखाने को कुछ याद रखना भी जरूरी है!

©Lamha

अब हम कुछ लम्हों को जिंदा नहीं रखेंगे कुछ यादें सहेजेंगे नहीं तो रोबोट कहलाएंगे ना! अरे हां की ना?

22 Love

#comedyकॉमेडी #कॉमेडी #Funny

#Funny 😜🤪😁सादी ना करबे को घाटों #comedyकॉमेडी 😆🤭😁

99 View

आग लगाऊँ ऐसी डिग्रियों को जो मुझसे तेरा दिल पड़ा ना गया ©+-InNocEnT BeWafa-+

#ಭಯಾನಕ  आग लगाऊँ ऐसी डिग्रियों को
जो मुझसे 
तेरा दिल
पड़ा ना गया

©+-InNocEnT BeWafa-+

आग लगाऊँ ऐसी डिग्रियों को जो मुझसे तेरा दिल पड़ा ना गया

16 Love

#विचार  White ना थके ना रुके, मंजिल कहां है पता नहीं, एक दिन हमारे लक्ष्य का भेद पता चल जाएगा कि हमने देश के लिए समझौता किया है या समझौते से देश को बचाया है।

©Satish Kumar Meena

ना थके ना रुके

90 View

बहुत रोके इन कदमों को

81 View

White जन्मभूमि राम की, राम को ना जानते। कुछ मंदबुद्धि है यहां, जो राम को ना मानते । जन्म भूमि राम की, और राम को न जानते। कुछ मंदबुद्धि हैं यहां , जो राम को ना मानते । रघुकुल की एक मर्यादा थी, वचनों पर जीवन सादा थी। दुःख की सीमा का अंत नहीं सुख जैसे आधा आधा थी। खुद भगवन जिसके कायल थे ये उन पर कीच उछालते। कुछ मंद बुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते। जो शिव धनुष को तोड़े थे, जो सबको पीछे छोड़े थे। जो शिव धनुष को तोड़े थे, जो सबको पीछे छोड़े थे। कुछ मानवी पिशाच हैं, जो देव को ललकारते। कुछ मंदबुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते । जो लांघ गई अग्नि को, जो धरती में विलीन है। जो लांघ गई अग्नि को, जो धरती में विलीन है। यह मांगते हैं साक्ष्य, और अंजाम को न जानते । कुछ मंदबुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते । जो धू - धू करके जल गई , वह लंका भी एक गाथा है । जो धू धू करके जल गई, वह लंका भी एक गाथा है । कलयुग के रावण तुम सुन लो, हमें मजा चखाना आता है। जिसके वीर भक्त हनुमान हुए, तुम उनको ना पहचानते। कुछ मंदबुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते। थे राजपूत पर दंभ न था, वानर, केेंवट भी मित्र हुए। पग जहां जहां भी राम धरे धरती से नभ सब इत्र हुए। गुणगान नहीं कर सकते हैं, ये अपनी राग आलापते। कुछ मंदबुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते। कुछ मंद बुद्धि हैं यहां, जो खुद को ना पहचानते। ये श्री राम को ना जानते। हर्षा मिश्रा ©harsha mishra

#कविता  White जन्मभूमि राम की,
 राम को ना जानते।
 कुछ मंदबुद्धि है यहां,
 जो राम को ना मानते ।

जन्म भूमि राम की,
 और राम को न जानते।
 कुछ मंदबुद्धि हैं यहां ,
जो राम को ना मानते ।

रघुकुल की एक मर्यादा थी,
वचनों पर जीवन सादा थी।
दुःख की सीमा का अंत नहीं
सुख जैसे आधा आधा थी।
खुद भगवन जिसके कायल थे
ये उन पर कीच उछालते।

कुछ मंद बुद्धि हैं यहां,
 जो राम को ना मानते।


जो शिव धनुष को तोड़े थे,
 जो सबको पीछे छोड़े थे।
 जो शिव धनुष को तोड़े थे,
 जो सबको पीछे छोड़े थे।
 कुछ मानवी पिशाच हैं,
 जो देव को ललकारते।
 कुछ मंदबुद्धि हैं यहां,
 जो राम को ना मानते ।

जो लांघ गई अग्नि को,
 जो धरती में विलीन है।
 जो लांघ गई अग्नि को,
 जो धरती में विलीन है।
 यह मांगते हैं साक्ष्य,
 और अंजाम को न जानते ।

कुछ मंदबुद्धि हैं यहां,
 जो राम को ना मानते ।

जो धू - धू करके जल गई ,
वह लंका भी एक गाथा है ।
जो धू धू करके जल गई,
 वह लंका भी एक गाथा है ।
कलयुग के रावण तुम सुन लो,
 हमें मजा चखाना आता है।
 जिसके वीर भक्त हनुमान हुए,
 तुम उनको ना पहचानते।
 
कुछ मंदबुद्धि हैं यहां,
 जो राम को ना मानते।

थे राजपूत पर दंभ न था,
वानर, केेंवट भी मित्र हुए।
पग जहां जहां भी राम धरे
धरती से नभ सब इत्र हुए।

गुणगान नहीं कर सकते हैं,
ये अपनी राग आलापते।
कुछ मंदबुद्धि हैं यहां,
 जो राम को ना मानते।

कुछ मंद बुद्धि हैं यहां,
जो खुद को ना पहचानते।
ये श्री राम को ना जानते।

हर्षा मिश्रा

©harsha mishra

ये श्री राम को ना मानते,,,,,,

15 Love

White सीख जायेंगे एक दिन हम भी भुलाने का हुनर, मगर ज़िंदा हैं यह दिखाने को कुछ याद रखना भी जरूरी है! ©Lamha

 White सीख जायेंगे एक दिन हम भी भुलाने का हुनर,
मगर ज़िंदा हैं यह दिखाने को कुछ याद रखना भी जरूरी है!

©Lamha

अब हम कुछ लम्हों को जिंदा नहीं रखेंगे कुछ यादें सहेजेंगे नहीं तो रोबोट कहलाएंगे ना! अरे हां की ना?

22 Love

#comedyकॉमेडी #कॉमेडी #Funny

#Funny 😜🤪😁सादी ना करबे को घाटों #comedyकॉमेडी 😆🤭😁

99 View

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