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White मन पे दस्तक बार बार हो रही मानो दूर से कोई सदा आ रही ©Ekta Singh
Ekta Singh
10 Love
एक-एक कर चले गए, बारी बारी छले गए, दो पाटन के बीचों-बीच, जितने थे सब दले गये, गर्म तेल से भरी कराही, गिरे तो समझो तले गये, शोक और दुःख से यारों, फ़ुरसत लेकर भले गये, वक्त रेत सा फिसल गया, हाथ अंत में मले गये, अपनी आंखों के आगे, टूटा भ्रम दिलजले गये, संभल नहीं पाया 'गुंजन', दल-दल में मनचले गये, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra
Shashi Bhushan Mishra
11 Love
Madhusudan Shrivastava
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White कहानी पर आपकी पकड़ बहुत मज़बूत है। इस बात को मैं शुरू से ही मानता हूं, आपकी कहानी पूर्णतया अर्थपूर्ण होती है। क्योंकि, इसमें आपको कुदरती महारत हासिल है। मैंने महसूस किया है कि अगर कहानी में कहीं कुछ कमी रह भी जाती है तो आपका दमदार प्रस्तुतीकरण उस कमी को दबा देता है। सुनने वाले का ध्यान न सिर्फ़ आपकी कहानी पर केंद्रित होता है। बल्कि उसका 50% आपके प्रस्तुतीकरण पर भी स्वत: ही केंद्रित हो जाता है। भावनाओं से परिपूर्ण कहानी हमेशा हृदय तल को छू जाती है। और हमें हमेशा के लिए याद रह जाती है, कि कहीं कभी हमने कोई कहानी सुनी या पढ़ी थी। जिस से उस व्यक्ति के हृदय में अमर हो जाती है लेखक की याद,, जो कि हमेशा, जीवन भर पढ़ने वाले या सुनने वाले के हृदय में अपना स्थान बनाए रखती है। मेरा मानना है की कहानी का विषय या प्लाट कुछ भी हो, कैसा भी हो। किंतु, उसमें कोई संदेश अवश्य हो। भावनाओं का हिलोरे लेता एक ऐसा असीम सागर भी महसूस हो, जो श्रोता या पाठक के ह्रदय को तृप्ति प्रदान करता हो। कविता रूप में लिखी गई आपकी ये कहानी भी हृदय स्पर्शी है। भावनात्मक है।आप हमेशा अच्छा लिखें, लिखती रहें। ईश्वर से यही प्रार्थना है। ©Ekta Singh
आज की ख्वाहिश की बस तुमसे मुलाकात हो जाए। बस एक नजर का दीदार नसीब हो जाए बस देख लू ,मै तेरी आंखों में वो सब जो, तुम लबों से कह न पाए। बस तुम से एक मुलाकात हो जाए चाहे तुम कुछ कहो न कहो , खामोश ही सही बस नजरो से नजरो की बात हो जाए । आज बस तुम से एक मुलाकात हो जाए।। ©mehar
mehar
13 Love
कुछ ही देर में प्रयागराज के पुल के ऊपर ट्रेन गुजरने वाली थी मैं भी खिड़की पर नज़रें टिकाए नीचे संगम नदी का इंतजार कर रही थी मेरे बगल में एक दस साल की लड़की बैठी हुई थी वो भी खिड़की की तरफ ही देखती जा रही थी इतनी देर में उसके पापा एक पांच का सिक्का निकालते हैं उसे देते हुए कहते हैं बेटा नदी आएगी उसमें डाल देना अब नदी आने वाली होती ही है हमारी बोगी एक में महिला आती है उसके बाद छोटा बच्चा होता है और वह कहती है मां कुछ दे दो बाबा दे दो यह नजारा बहुत ही अद्भुत था मैं इसका इसका शब्दों में बयां नहीं कर सकती ऊपर ट्रेन गुजर रही है नीचे हमारी संगम नदी बह रही है और एक महिला छोटे से बच्चे के साथ कुछ जो चलने में असमर्थ थी दस साल की बच्ची के हाथों में पांच का सिक्का जैसे ही उसने फेंकने के लिए हाथ बढ़ाया उस महीला ने बोला कुछ दे दो बेटा दुआ लगेगी उस बच्ची ने सिक्का उस महिला को दे दिया और चुपचाप बैठ गई वह महिला खुश होकर इतनी सारी दुआएं देकर चली गई उसे बोगी में बैठे लोग उस लड़की को गर्व की नजरों से देखने लगे और उनसे मैं भी एक थी ©Anju Dubey
Anju Dubey
16 Love
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