White हरवक्त सबसे ढेरो बातें करता है वो हंसकर
एक मेरी बात के जवाब में कहता है बसकर
वहा घंटो तक चलती है उसकी बातो की महफ़िल
शायद मेरे साथ ही सुनाई देती है घड़ी की टिकटिक
बिना कोई संकोच प्रगट हो जाते है वो, उनके पास
मुझसे न मिलना पड़े करके बहाने बनाते है कुछ खास
चले जाओ नही रहना तो मत रहो जरूरत नहीं है कोई
बहुत ही कम लोग है तेरे जैसे यार और नहीं है कोई
तुम बोलते रहते हो दोनो चीज़े, मैं कौनसी बात मानू !?
अलग अलग व्यवहार करते हो, में कौनसा सच जानू !?
शायद पढ़ोगे भी नही तुम ये ,क्युकी मैंने लिखा है,
तुम्हारी नजरों में मेरी कीमत शून्य ही थी, यह मेने सीखा है
पढ़ लिया शायद तो लगेगा ये आपके लिए है
अगर लगे तो मेरे प्यारे ये करम आपने ही किए है
सहता रहा हु आजतक मेरी शकल पर कुछ नही दिखता
मैं अपूर्व हू, मै "अकारण" या "कुछ भी" नही लिखता
©A P
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