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#भक्ति

भगवती विंध्यवासिनी के बारे में कुछ खास बातेंः     विंध्यवासिनी को विंध्याचल की देवी भी कहा जाता है. विंध्यवासिनी को आदि शक्ति माना जाता

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#मोटिवेशनल #kargil_vijay_diwas  White गीता ४।६){Bolo Ji Radhey Radhey}
'अपनी प्रकृतिको अधीन करके अपनी 
योगमायासे प्रकट होता हूँ।'

प्रभु का शरीर अनामय है, अर्थात् सारे 
रोग और विकारों से रहित दिव्य है। 
हमारा जन्म सुख-दु:ख भोगने के लिये 
हुआ करता है; परन्तु प्रभु साधुओं की 
रक्षा, दुष्टों का नाश और धर्म की 
स्थापना करने के लिये युगो-युगो,
में प्रकट होते हैं।

वे अपनी दिव्य विभूतियों के सहित 
योग माया से अवतरित होते हैं। भक्ति 
के द्वारा देखे और जाने जाते हैं। 
अब भी भक्ति द्वारा भगवान् प्रकट 
हो सकते हैं। भगवान् ने कहा भी है-
भक्त्या त्वनन्यया शक्य अहमेवंविधोऽर्जुन।
ज्ञातुं द्रष्टुं च तत्त्वेन प्रवेष्टुं च परंतप॥

©N S Yadav GoldMine

#kargil_vijay_diwas गीता ४।६){Bolo Ji Radhey Radhey} 'अपनी प्रकृतिको अधीन करके अपनी योगमायासे प्रकट होता हूँ।' प्रभु का शरीर अनामय है, अर्

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#मोटिवेशनल #kargil_vijay_diwas  White गीता ९।११) {Bolo Ji Radhey Radhey}
'मेरे परम भाव को न जानने वाले 
मूढ़लोग मनुष्य का शरीर धारण 
करने वाले मुझ सम्पूर्ण भूतों के 
महान् ईश्वर को तुच्छ समझते हैं, 
अर्थात् अपनी योगमाया से संसार के 
उद्धार के लिये मनुष्य रूप में विचरते 
हुए मुझ परम् पिता को साधारण 
विचरण करने वाला समझते हैं। 
यह मेरी माया का स्वरुप हैं, 
जो मनुष्य को भटकने में 
मदद करती है।।

©N S Yadav GoldMine

#kargil_vijay_diwas गीता ९।११) {Bolo Ji Radhey Radhey} 'मेरे परम भाव को न जानने वाले मूढ़लोग मनुष्य का शरीर धारण करने वाले मुझ सम्पूर्ण भू

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#भक्ति

भगवती विंध्यवासिनी के बारे में कुछ खास बातेंः     विंध्यवासिनी को विंध्याचल की देवी भी कहा जाता है. विंध्यवासिनी को आदि शक्ति माना जाता

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#मोटिवेशनल #kargil_vijay_diwas  White गीता ४।६){Bolo Ji Radhey Radhey}
'अपनी प्रकृतिको अधीन करके अपनी 
योगमायासे प्रकट होता हूँ।'

प्रभु का शरीर अनामय है, अर्थात् सारे 
रोग और विकारों से रहित दिव्य है। 
हमारा जन्म सुख-दु:ख भोगने के लिये 
हुआ करता है; परन्तु प्रभु साधुओं की 
रक्षा, दुष्टों का नाश और धर्म की 
स्थापना करने के लिये युगो-युगो,
में प्रकट होते हैं।

वे अपनी दिव्य विभूतियों के सहित 
योग माया से अवतरित होते हैं। भक्ति 
के द्वारा देखे और जाने जाते हैं। 
अब भी भक्ति द्वारा भगवान् प्रकट 
हो सकते हैं। भगवान् ने कहा भी है-
भक्त्या त्वनन्यया शक्य अहमेवंविधोऽर्जुन।
ज्ञातुं द्रष्टुं च तत्त्वेन प्रवेष्टुं च परंतप॥

©N S Yadav GoldMine

#kargil_vijay_diwas गीता ४।६){Bolo Ji Radhey Radhey} 'अपनी प्रकृतिको अधीन करके अपनी योगमायासे प्रकट होता हूँ।' प्रभु का शरीर अनामय है, अर्

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#मोटिवेशनल #kargil_vijay_diwas  White गीता ९।११) {Bolo Ji Radhey Radhey}
'मेरे परम भाव को न जानने वाले 
मूढ़लोग मनुष्य का शरीर धारण 
करने वाले मुझ सम्पूर्ण भूतों के 
महान् ईश्वर को तुच्छ समझते हैं, 
अर्थात् अपनी योगमाया से संसार के 
उद्धार के लिये मनुष्य रूप में विचरते 
हुए मुझ परम् पिता को साधारण 
विचरण करने वाला समझते हैं। 
यह मेरी माया का स्वरुप हैं, 
जो मनुष्य को भटकने में 
मदद करती है।।

©N S Yadav GoldMine

#kargil_vijay_diwas गीता ९।११) {Bolo Ji Radhey Radhey} 'मेरे परम भाव को न जानने वाले मूढ़लोग मनुष्य का शरीर धारण करने वाले मुझ सम्पूर्ण भू

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