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New खोजते दोसर भतार Status, Photo, Video

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दोहा :- पति पत्नी के बीच में, होती नाजुक डोर । ऐसे मत छेडो उन्हें , हो जाए दो छोर ।। प्रेम कभी मरता नही , मर जाते हैं लोग । बात वही बतला गये , लगा जिन्हें था रोग ।। बात-बात पर जग भला , क्यों देता है टोक । कहाँ आयु है प्रेम की , जो लूँ दिल को रोक ।। करते रहते तंज हैं , क्या होता है प्यार । सब कुछ तो हैं हारतें , दिल को भी दें हार ।। जीवन से अब हार कर , पाया है यह सीख । पेरी जाती है सदा , जग में देखो ईख ।। आशा की पूँजी बड़ी, कभी न होती खर्च । रखिये अपने साथ नित , चाहे जायें चर्च ।। आशा हो तो ईश भी , मिल जाते हैं द्वार । वरना रहिये खोजते , बन पागल संसार ।। युग कितने बीते यहाँ , किया नहीं विश्राम । आशाओं से राम जी , लौटे अपने धाम ।। धैर्य रखे इंसान तो , सब संभव हो जाय । आशाओं के दीप से , जग रोशन हो जाय ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
पति पत्नी के बीच में, होती नाजुक डोर ।
ऐसे मत छेडो उन्हें , हो जाए दो छोर ।।

प्रेम कभी मरता नही , मर जाते हैं लोग ।
बात वही बतला गये , लगा जिन्हें था रोग ।।

बात-बात पर जग भला , क्यों देता है टोक ।
कहाँ आयु है प्रेम की , जो लूँ दिल को रोक ।।

करते रहते तंज हैं , क्या होता है प्यार ।
सब कुछ तो हैं हारतें , दिल को भी दें हार ।।

जीवन से अब हार कर , पाया है यह सीख ।
पेरी जाती है सदा , जग में देखो ईख ।।

आशा की पूँजी बड़ी, कभी न होती खर्च ।
रखिये अपने साथ नित , चाहे जायें चर्च ।।

आशा हो तो ईश भी , मिल जाते हैं द्वार ।
वरना रहिये खोजते , बन पागल संसार ।।

युग कितने बीते यहाँ , किया नहीं विश्राम ।
आशाओं से राम जी , लौटे अपने धाम ।।

धैर्य रखे इंसान तो , सब संभव हो जाय ।
आशाओं के दीप से , जग रोशन हो जाय ।।          महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- पति पत्नी के बीच में, होती नाजुक डोर । ऐसे मत छेडो उन्हें , हो जाए दो छोर ।। प्रेम कभी मरता नही , मर जाते हैं लोग । बात वही बतला गय

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"खोई हुई शक्ति | गैजेट की खोज, अंतरिक्ष चोर, गैलेक्सी साहसिक कार्य" - रेवा का गैजेट गायब हो जाता है। कृष्णा, जिया, और टाइटन उसे खोजते हैं, च

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विधा      गीत  :- हंसगति छन्द  इनकी उनकी बात , आज क्यों करना । अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।। इनकी उनकी बात ... हम सब में है प्यार , और क्या लेना । इन्हें बताओ आप , आज सच है ना ।। जीवन है अनमोल , मानता गहना । खुशी मिलेगी आप , खोजते रहना ।। इनकी उनकी बात .... कैसे करूँ विचार , बात पे उनकी । छुपा हुआ है स्वार्थ , बात में जिनकी ।। रहकर इनके साथ , नहीं है डरना । इन्हें डूबकर स्वयं , एक दिन मरना ।। इनकी उनकी बात... डाल हमीं में फूट , मजे ये लेते । देकर आने चार , आठ ले लेते ।। धन की इन्हें बखार , नित्य है भरना । सुनकर दिलकी बात , साथ तब चलना ।।।। इनकी उनकी बात ... इनकी उनकी बात , आज क्यों करना । अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  विधा      गीत  :- हंसगति छन्द 

इनकी उनकी बात , आज क्यों करना ।
अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।।
इनकी उनकी बात ...

हम सब में है प्यार , और क्या लेना ।
इन्हें बताओ आप , आज सच है ना ।।
जीवन है अनमोल , मानता गहना ।
खुशी मिलेगी आप , खोजते रहना ।।
इनकी उनकी बात ....

कैसे करूँ विचार , बात पे उनकी ।
छुपा हुआ है स्वार्थ , बात में जिनकी ।।
रहकर इनके साथ , नहीं है डरना ।
इन्हें डूबकर स्वयं , एक दिन मरना ।।
इनकी उनकी बात...

डाल हमीं में फूट , मजे ये लेते ।
देकर आने चार , आठ ले लेते ।।
धन की इन्हें बखार , नित्य है भरना ।
सुनकर दिलकी बात , साथ तब चलना ।।।।
इनकी उनकी बात ...

इनकी उनकी बात , आज क्यों करना ।
अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा      गीत  :- हंसगति छन्द  इनकी उनकी बात , आज क्यों करना । अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।। इनकी उनकी बात ... हम सब में है प्यार , और

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दोहा :- पति पत्नी के बीच में, होती नाजुक डोर । ऐसे मत छेडो उन्हें , हो जाए दो छोर ।। प्रेम कभी मरता नही , मर जाते हैं लोग । बात वही बतला गये , लगा जिन्हें था रोग ।। बात-बात पर जग भला , क्यों देता है टोक । कहाँ आयु है प्रेम की , जो लूँ दिल को रोक ।। करते रहते तंज हैं , क्या होता है प्यार । सब कुछ तो हैं हारतें , दिल को भी दें हार ।। जीवन से अब हार कर , पाया है यह सीख । पेरी जाती है सदा , जग में देखो ईख ।। आशा की पूँजी बड़ी, कभी न होती खर्च । रखिये अपने साथ नित , चाहे जायें चर्च ।। आशा हो तो ईश भी , मिल जाते हैं द्वार । वरना रहिये खोजते , बन पागल संसार ।। युग कितने बीते यहाँ , किया नहीं विश्राम । आशाओं से राम जी , लौटे अपने धाम ।। धैर्य रखे इंसान तो , सब संभव हो जाय । आशाओं के दीप से , जग रोशन हो जाय ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
पति पत्नी के बीच में, होती नाजुक डोर ।
ऐसे मत छेडो उन्हें , हो जाए दो छोर ।।

प्रेम कभी मरता नही , मर जाते हैं लोग ।
बात वही बतला गये , लगा जिन्हें था रोग ।।

बात-बात पर जग भला , क्यों देता है टोक ।
कहाँ आयु है प्रेम की , जो लूँ दिल को रोक ।।

करते रहते तंज हैं , क्या होता है प्यार ।
सब कुछ तो हैं हारतें , दिल को भी दें हार ।।

जीवन से अब हार कर , पाया है यह सीख ।
पेरी जाती है सदा , जग में देखो ईख ।।

आशा की पूँजी बड़ी, कभी न होती खर्च ।
रखिये अपने साथ नित , चाहे जायें चर्च ।।

आशा हो तो ईश भी , मिल जाते हैं द्वार ।
वरना रहिये खोजते , बन पागल संसार ।।

युग कितने बीते यहाँ , किया नहीं विश्राम ।
आशाओं से राम जी , लौटे अपने धाम ।।

धैर्य रखे इंसान तो , सब संभव हो जाय ।
आशाओं के दीप से , जग रोशन हो जाय ।।          महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- पति पत्नी के बीच में, होती नाजुक डोर । ऐसे मत छेडो उन्हें , हो जाए दो छोर ।। प्रेम कभी मरता नही , मर जाते हैं लोग । बात वही बतला गय

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#कविता  विधा      गीत  :- हंसगति छन्द 

इनकी उनकी बात , आज क्यों करना ।
अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।।
इनकी उनकी बात ...

हम सब में है प्यार , और क्या लेना ।
इन्हें बताओ आप , आज सच है ना ।।
जीवन है अनमोल , मानता गहना ।
खुशी मिलेगी आप , खोजते रहना ।।
इनकी उनकी बात ....

कैसे करूँ विचार , बात पे उनकी ।
छुपा हुआ है स्वार्थ , बात में जिनकी ।।
रहकर इनके साथ , नहीं है डरना ।
इन्हें डूबकर स्वयं , एक दिन मरना ।।
इनकी उनकी बात...

डाल हमीं में फूट , मजे ये लेते ।
देकर आने चार , आठ ले लेते ।।
धन की इन्हें बखार , नित्य है भरना ।
सुनकर दिलकी बात , साथ तब चलना ।।।।
इनकी उनकी बात ...

इनकी उनकी बात , आज क्यों करना ।
अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा      गीत  :- हंसगति छन्द  इनकी उनकी बात , आज क्यों करना । अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।। इनकी उनकी बात ... हम सब में है प्यार , और

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