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"रहस्यमयी मेहमान: एलियंस की अद्भुत यात्रा" - एक रात, शहर नियोरा के बाहरी इलाके में एक रहस्यमय अंतरिक्षयान गिरता है, और इसके साथ तीन अजीब एलि

90 View

#कविता #nojotohindi #baarish #kavita  

एक वक़्त हुआ करता था
जब मुझे बारिश पसंद हुआ करती थी
छतरी होते हुए भी मैं बारिश में नहाया करता था
जब मैं स्कूल जाया करता था
अजीब सा नशा था बारिश के मौसम का
मैं सालों साल इंतजार किया करता था
क्या कहूँ उन दिनों की बारिश का
कुछ अलग ही बात थी उन दिनों
बारिश की बूंदों में
भिंग कर एक अजीब सा सुकून मिलता था
अब वो बारिश कहाँ
अब वो बारिश नसीब कहाँ
अब तो बारिश कीचड़ के समान लगती है
बिन बुलाए मेहमान की तरह लगती है

©Author Shivam kumar Mishra

एक वक़्त हुआ करता था जब मुझे बारिश पसंद हुआ करती थी छतरी होते हुए भी मैं बारिश में नहाया करता था

261 View

zindagi ek safar hai suhana सुनो बरसात के मकोड़े हमें यही सिखाते हैं कि जिन लोगों के 'पंख' लग जाते हैं, वो बस कुछ ही दिन के मेहमान होते हैं...!! ©Sarfaraj idrishi

 zindagi ek safar hai suhana  सुनो 
बरसात के मकोड़े हमें यही सिखाते हैं
 कि जिन लोगों के 'पंख' लग जाते हैं,
 वो बस कुछ ही दिन के मेहमान होते हैं...!!

©Sarfaraj idrishi

बरसात के मकोड़े हमें यही सिखाते हैं कि जिन लोगों के 'पंख' लग जाते हैं, वो बस कुछ ही दिन के मेहमान होते हैं...!! advocate SURAJ PAL SIN

13 Love

#Tiranga  देश भक्त कहलाते हैं लोग

तिरंगा फहराते हैं लोग

हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को

क्या तिरंगा सिर्फ 2 दिनों का ही मेहमान है

सिर्फ 2 दिनों की इसकी इज्जत

फिर पूरा साल बदनाम है

फिर पूरा साल बदनाम है

कभी देखा है तिरंगे को नाले में

कभी देखा है तिरंगे को कूड़ेदान में

कई बार तो पैरों तले रौंद दिया जाता है तिरंगा

कभी तो रद्दी वाले को चंद रुपयों में बेच दिया जाता है

कभी पुराने अखबार में पड़े-पड़े फट सा जाता है

कभी तो कचड़े के साथ जला भी दिया जाता है

क्या सोचता होगा तिरंगा हमारे बारे में

2 दिनों का प्यार करते हैं देशवासी तिरंगे से

क्या इसकी जिंदगी 15 अगस्त और 26 जनवरी के बीच खत्म हो जाती है

©Author Shivam kumar Mishra

देश भक्त कहलाते हैं लोग तिरंगा फहराते हैं लोग हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को क्या तिरंगा सिर्फ 2 दिनों का ही मेहमान है

522 View

#डायरी_के_पन्ने #त्यौहार #मेहमान #नौकरी #शायरी #बेटे  बेटियों  की  तरह  त्यौहारों  पर ही घर आते है l
अब नौकरी करने वाले बेटे भी मेहमान हो गए l

©Dimple Kumar

#डायरी_के_पन्ने #नौकरी #बेटे #त्यौहार #मेहमान #घर शायरी attitude शेरो शायरी दोस्ती शायरी लव शायरी गम भरी शायरी

351 View

White त्रिपदा छन्द वट पीपल की छाँव । मिलती अपने गाँव । एक वही है ठाँव ।। शीतल चले बयार । रिमझिम पड़े फुहार । चलें गाँव इस बार ।। वह चाय की दुकान । उनका पास मकान । और हम मेहमान ।। सुनो सफल तब काज । मानो मेरी बात । जब दर्शन हो आज ।। धानी है परिधान । मुख पे है मुस्कान । यही एक पहचान ।। बड़ा मधुर परिवेश । कुछ पुल के अवशेष । जोगन वाला भेष ।। काले लम्बें केश । नाम सुनों विमलेश । चाहत उसमें शेष ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White त्रिपदा छन्द

वट पीपल की छाँव ।
मिलती अपने गाँव ।
एक वही है ठाँव ।।

शीतल चले बयार ।
रिमझिम पड़े फुहार ।
चलें गाँव इस बार ।।

वह चाय की दुकान ।
उनका पास मकान ।
और हम मेहमान ।।

सुनो सफल तब काज ।
मानो मेरी बात ।
जब दर्शन हो आज ।।

धानी है परिधान ।
मुख पे है मुस्कान ।
यही एक पहचान ।।


बड़ा मधुर परिवेश ।
कुछ पुल के अवशेष ।
जोगन वाला भेष ।।

काले लम्बें केश ।
नाम सुनों विमलेश ।
चाहत उसमें शेष ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

त्रिपदा छन्द वट पीपल की छाँव । मिलती अपने गाँव । एक वही है ठाँव ।।

10 Love

#वीडियो

"रहस्यमयी मेहमान: एलियंस की अद्भुत यात्रा" - एक रात, शहर नियोरा के बाहरी इलाके में एक रहस्यमय अंतरिक्षयान गिरता है, और इसके साथ तीन अजीब एलि

90 View

#कविता #nojotohindi #baarish #kavita  

एक वक़्त हुआ करता था
जब मुझे बारिश पसंद हुआ करती थी
छतरी होते हुए भी मैं बारिश में नहाया करता था
जब मैं स्कूल जाया करता था
अजीब सा नशा था बारिश के मौसम का
मैं सालों साल इंतजार किया करता था
क्या कहूँ उन दिनों की बारिश का
कुछ अलग ही बात थी उन दिनों
बारिश की बूंदों में
भिंग कर एक अजीब सा सुकून मिलता था
अब वो बारिश कहाँ
अब वो बारिश नसीब कहाँ
अब तो बारिश कीचड़ के समान लगती है
बिन बुलाए मेहमान की तरह लगती है

©Author Shivam kumar Mishra

एक वक़्त हुआ करता था जब मुझे बारिश पसंद हुआ करती थी छतरी होते हुए भी मैं बारिश में नहाया करता था

261 View

zindagi ek safar hai suhana सुनो बरसात के मकोड़े हमें यही सिखाते हैं कि जिन लोगों के 'पंख' लग जाते हैं, वो बस कुछ ही दिन के मेहमान होते हैं...!! ©Sarfaraj idrishi

 zindagi ek safar hai suhana  सुनो 
बरसात के मकोड़े हमें यही सिखाते हैं
 कि जिन लोगों के 'पंख' लग जाते हैं,
 वो बस कुछ ही दिन के मेहमान होते हैं...!!

©Sarfaraj idrishi

बरसात के मकोड़े हमें यही सिखाते हैं कि जिन लोगों के 'पंख' लग जाते हैं, वो बस कुछ ही दिन के मेहमान होते हैं...!! advocate SURAJ PAL SIN

13 Love

#Tiranga  देश भक्त कहलाते हैं लोग

तिरंगा फहराते हैं लोग

हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को

क्या तिरंगा सिर्फ 2 दिनों का ही मेहमान है

सिर्फ 2 दिनों की इसकी इज्जत

फिर पूरा साल बदनाम है

फिर पूरा साल बदनाम है

कभी देखा है तिरंगे को नाले में

कभी देखा है तिरंगे को कूड़ेदान में

कई बार तो पैरों तले रौंद दिया जाता है तिरंगा

कभी तो रद्दी वाले को चंद रुपयों में बेच दिया जाता है

कभी पुराने अखबार में पड़े-पड़े फट सा जाता है

कभी तो कचड़े के साथ जला भी दिया जाता है

क्या सोचता होगा तिरंगा हमारे बारे में

2 दिनों का प्यार करते हैं देशवासी तिरंगे से

क्या इसकी जिंदगी 15 अगस्त और 26 जनवरी के बीच खत्म हो जाती है

©Author Shivam kumar Mishra

देश भक्त कहलाते हैं लोग तिरंगा फहराते हैं लोग हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को क्या तिरंगा सिर्फ 2 दिनों का ही मेहमान है

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#डायरी_के_पन्ने #त्यौहार #मेहमान #नौकरी #शायरी #बेटे  बेटियों  की  तरह  त्यौहारों  पर ही घर आते है l
अब नौकरी करने वाले बेटे भी मेहमान हो गए l

©Dimple Kumar

#डायरी_के_पन्ने #नौकरी #बेटे #त्यौहार #मेहमान #घर शायरी attitude शेरो शायरी दोस्ती शायरी लव शायरी गम भरी शायरी

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White त्रिपदा छन्द वट पीपल की छाँव । मिलती अपने गाँव । एक वही है ठाँव ।। शीतल चले बयार । रिमझिम पड़े फुहार । चलें गाँव इस बार ।। वह चाय की दुकान । उनका पास मकान । और हम मेहमान ।। सुनो सफल तब काज । मानो मेरी बात । जब दर्शन हो आज ।। धानी है परिधान । मुख पे है मुस्कान । यही एक पहचान ।। बड़ा मधुर परिवेश । कुछ पुल के अवशेष । जोगन वाला भेष ।। काले लम्बें केश । नाम सुनों विमलेश । चाहत उसमें शेष ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White त्रिपदा छन्द

वट पीपल की छाँव ।
मिलती अपने गाँव ।
एक वही है ठाँव ।।

शीतल चले बयार ।
रिमझिम पड़े फुहार ।
चलें गाँव इस बार ।।

वह चाय की दुकान ।
उनका पास मकान ।
और हम मेहमान ।।

सुनो सफल तब काज ।
मानो मेरी बात ।
जब दर्शन हो आज ।।

धानी है परिधान ।
मुख पे है मुस्कान ।
यही एक पहचान ।।


बड़ा मधुर परिवेश ।
कुछ पुल के अवशेष ।
जोगन वाला भेष ।।

काले लम्बें केश ।
नाम सुनों विमलेश ।
चाहत उसमें शेष ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

त्रिपदा छन्द वट पीपल की छाँव । मिलती अपने गाँव । एक वही है ठाँव ।।

10 Love

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