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White सिंह, सिंह होता है जहाँ बैठ जाए सिंहासन वही ठीक उसी तरह राजा खुद से राजा होता है जहां भी खड़े हो हर रूप में पहचान आ जाएगा जय श्री राम ©Radhe Radhe

#Motivational  White सिंह, सिंह होता है
जहाँ बैठ जाए
सिंहासन वही
ठीक उसी तरह 
राजा खुद से राजा होता है
जहां भी खड़े हो 
हर रूप में पहचान आ जाएगा
जय श्री राम

©Radhe Radhe

सिंह सिंह होता है

17 Love

नोट: रामधारी सिंह दिनकर की कविता "कुरुक्षेत्र" आज मैंने रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता "कुरुक्षेत्र" पढ़ी, और इसने मेरे मन में अनगिनत विचारों का जन्म दिया। यह कविता न केवल युद्ध की विभीषिका को उजागर करती है, बल्कि मानवता, नैतिकता, और धर्म के गहरे सवालों को भी सामने लाती है। जब मैं इस कविता को पढ़ रहा था, तो मुझे लगा कि यह केवल एक ऐतिहासिक कथा नहीं है, बल्कि आज के समय में भी इसका महत्व है। आज जब हम अपने समाज में विभिन्न प्रकार के संघर्ष और असमानताओं का सामना कर रहे हैं, दिनकर जी की यह कृति हमें एक नई दृष्टि प्रदान करती है। कविता में कौरवों और पांडवों के बीच का संघर्ष, केवल भौतिक युद्ध नहीं, बल्कि एक मानसिक और आध्यात्मिक लड़ाई भी है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमें ऐसी लड़ाइयों की आवश्यकता है? क्या हम अपने धर्म और नैतिकता के सिद्धांतों के खिलाफ जाकर किसी भी प्रकार की हिंसा को सही ठहरा सकते हैं? कविता में दिनकर जी ने जिस तरह से लाशों की महक और घायल सैनिकों की पुकार का चित्रण किया है, वह अत्यंत संवेदनशील है। यह हमें याद दिलाता है कि युद्ध केवल एक शारीरिक संघर्ष नहीं है, बल्कि इसके साथ जुड़ी होती हैं अनगिनत मानसिक और सामाजिक पीड़ाएँ। आज के समय में, जब हमारे समाज में हिंसा, धार्मिक असहमति, और राजनीतिक संघर्षों की बातें बढ़ रही हैं, तब यह कविता और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है। कविता ने मुझे यह सिखाया कि हमें संवाद और समझदारी के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। आज के संदर्भ में, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि शांति केवल युद्ध के बिना नहीं है, बल्कि यह आपसी सहयोग और समझदारी से ही संभव है। हमें दिनकर जी के इस महत्वपूर्ण संदेश को अपने जीवन में उतारना चाहिए। इसलिए, मैंने निश्चय किया है कि मैं अपने आसपास के लोगों के साथ संवाद स्थापित करूंगा। मैं समझता हूँ कि बातें करने से misunderstandings कम होती हैं और सामंजस्य बढ़ता है। हमें हर किसी के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और असमानताओं के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। इस कविता को पढ़ने के बाद, मैंने यह महसूस किया कि रामधारी सिंह दिनकर केवल एक कवि नहीं, बल्कि एक विचारक भी थे। "कुरुक्षेत्र" में दिए गए विचार और संदेश आज भी हमारे समाज के लिए प्रासंगिक हैं। मुझे लगता है कि हम न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार कर सकते हैं, बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं। आज का यह अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा, और मैं इसे अपनी जीवन यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखता हूँ। ©Veer Tiwari

#विचार  नोट: रामधारी सिंह दिनकर की कविता "कुरुक्षेत्र"

आज मैंने रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता "कुरुक्षेत्र" पढ़ी, और इसने मेरे मन में अनगिनत विचारों का जन्म दिया। यह कविता न केवल युद्ध की विभीषिका को उजागर करती है, बल्कि मानवता, नैतिकता, और धर्म के गहरे सवालों को भी सामने लाती है।

जब मैं इस कविता को पढ़ रहा था, तो मुझे लगा कि यह केवल एक ऐतिहासिक कथा नहीं है, बल्कि आज के समय में भी इसका महत्व है। आज जब हम अपने समाज में विभिन्न प्रकार के संघर्ष और असमानताओं का सामना कर रहे हैं, दिनकर जी की यह कृति हमें एक नई दृष्टि प्रदान करती है। कविता में कौरवों और पांडवों के बीच का संघर्ष, केवल भौतिक युद्ध नहीं, बल्कि एक मानसिक और आध्यात्मिक लड़ाई भी है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमें ऐसी लड़ाइयों की आवश्यकता है? क्या हम अपने धर्म और नैतिकता के सिद्धांतों के खिलाफ जाकर किसी भी प्रकार की हिंसा को सही ठहरा सकते हैं?
कविता में दिनकर जी ने जिस तरह से लाशों की महक और घायल सैनिकों की पुकार का चित्रण किया है, वह अत्यंत संवेदनशील है। यह हमें याद दिलाता है कि युद्ध केवल एक शारीरिक संघर्ष नहीं है, बल्कि इसके साथ जुड़ी होती हैं अनगिनत मानसिक और सामाजिक पीड़ाएँ। आज के समय में, जब हमारे समाज में हिंसा, धार्मिक असहमति, और राजनीतिक संघर्षों की बातें बढ़ रही हैं, तब यह कविता और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है।
कविता ने मुझे यह सिखाया कि हमें संवाद और समझदारी के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। आज के संदर्भ में, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि शांति केवल युद्ध के बिना नहीं है, बल्कि यह आपसी सहयोग और समझदारी से ही संभव है। हमें दिनकर जी के इस महत्वपूर्ण संदेश को अपने जीवन में उतारना चाहिए।
इसलिए, मैंने निश्चय किया है कि मैं अपने आसपास के लोगों के साथ संवाद स्थापित करूंगा। मैं समझता हूँ कि बातें करने से misunderstandings कम होती हैं और सामंजस्य बढ़ता है। हमें हर किसी के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और असमानताओं के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
इस कविता को पढ़ने के बाद, मैंने यह महसूस किया कि रामधारी सिंह दिनकर केवल एक कवि नहीं, बल्कि एक विचारक भी थे। "कुरुक्षेत्र" में दिए गए विचार और संदेश आज भी हमारे समाज के लिए प्रासंगिक हैं। मुझे लगता है कि हम न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार कर सकते हैं, बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं।
आज का यह अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा, और मैं इसे अपनी जीवन यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखता हूँ।

©Veer Tiwari

रामधारी सिंह दिनकर "कुरुक्षेत्र"

13 Love

*आरती बूंदी दरबार श्री सूरजमल हाड़ा की* *(बाबोसा/भोमियां/ झुॅंझार जी महाराज)* ऊॅं जय श्री सूरजमल, देवा जय श्री सूरजमल आरती की बेला पधारो, धूप की बेला पधारो संग लाओ मात सत्ती .. ऊॅं जय श्री सूरजमल।। दास नारायण का सुत छो-2 मात छै राणी खेतु ओ देवा मात छै राणी खेतु.. ऊॅं जय श्री सूरजमल । आप देव भोमिया छो - 2 धन्न हाड़ा राजा ओ देवा धन्न हाड़ा राजा ….ऊॅं जय श्री सूरजमल । असव असवारी छवि न्यारी -2 चित्त राजी हो जाता …ऊॅं जय श्री सूरजमल । नागराज अवतारी , हाड़ौती धरा उपकारी -2 सिंह संहार कर् यौ ओ देवा सिंह संहार कर् यौ … ऊॅं जय श्री सूरजमल। सूरज - चाॅंद - सितारा - 2 चालै थांकी लारां ओ देवा चालैं थांकी लारां.. ऊॅं जय श्री सूरजमल । कांकड़ मांय बिराजो तुलसी मांय बिराजो जग कल्याण करों … ऊॅं जय श्री सूरजमल। बाजै ढोल मजीरा - 2 बाजै नंगारा ओ देवा बाजै नंगारा.. ऊॅं जय श्री सूरजमल पान सुपारी चढावां, खीर को भोग लगावां लाडू पेड़ा चढावां , ओ देवा मिश्री अर मेवां ... ऊॅं जय श्री सूरजमल। मूरत रूप रूपाळी - 2 ‘हरप्रीत’ मन मौंहे ओ देवा भगतन मन मौंहे… ऊॅं जय श्री सूरजमल। सुमरत जो सूरजमल, सुमरत जो भोमियां जी सुख सम्पत्त हौंवे, वांकै कुळ आणंद हौंवे।। ऊॅं जय श्री सूरजमल देवा जय श्री सूरजमल आरती की बेला पधारो धूप की बेला पधारो संग लाओं मात सत्ती.. ऊॅं जय श्री सूरजमल देवा जय श्री सूरजमल।। ©Dilip Singh Harpreet

#दिलीप_सिंह_हरप्रीत #मायड़भासा #बाबोसा #सूरजमल #हाड़ा #आरती  *आरती बूंदी दरबार श्री सूरजमल हाड़ा की*
           *(बाबोसा/भोमियां/ झुॅंझार जी महाराज)*

ऊॅं जय श्री सूरजमल, देवा जय श्री सूरजमल 
आरती की बेला पधारो, धूप की बेला पधारो 
संग लाओ मात सत्ती .. ऊॅं जय श्री सूरजमल।।

दास नारायण का सुत छो-2
मात छै राणी खेतु 
ओ देवा मात छै राणी खेतु.. ऊॅं जय श्री सूरजमल ।

आप देव भोमिया छो - 2 
धन्न हाड़ा राजा 
ओ देवा धन्न हाड़ा राजा ….ऊॅं जय श्री सूरजमल ।

असव असवारी छवि न्यारी -2
चित्त राजी हो जाता …ऊॅं जय श्री सूरजमल ।

नागराज अवतारी , हाड़ौती धरा उपकारी -2
सिंह संहार कर् यौ 
ओ देवा सिंह संहार कर् यौ … ऊॅं जय श्री सूरजमल।

सूरज - चाॅंद - सितारा - 2
चालै थांकी लारां 
ओ देवा चालैं थांकी लारां.. ऊॅं जय श्री सूरजमल ।

कांकड़ मांय बिराजो
तुलसी मांय बिराजो 
जग कल्याण करों … ऊॅं जय श्री सूरजमल।

बाजै ढोल मजीरा - 2
बाजै नंगारा 
ओ देवा बाजै नंगारा.. ऊॅं जय श्री सूरजमल 

पान सुपारी चढावां, खीर को भोग लगावां
लाडू पेड़ा चढावां , ओ देवा मिश्री अर मेवां ... ऊॅं जय श्री सूरजमल।


मूरत रूप रूपाळी - 2
‘हरप्रीत’ मन मौंहे  
ओ देवा भगतन मन मौंहे… ऊॅं जय श्री सूरजमल।

सुमरत जो सूरजमल, सुमरत जो भोमियां जी
सुख सम्पत्त हौंवे, वांकै कुळ आणंद हौंवे।।

ऊॅं जय श्री सूरजमल देवा जय श्री सूरजमल 
आरती की बेला पधारो धूप की बेला पधारो 
संग लाओं मात सत्ती..
ऊॅं जय श्री सूरजमल देवा जय श्री सूरजमल।।

©Dilip Singh Harpreet

White हमने ख़ुद को झोंक दिया है, गाँव गली गुलकारी में। इसीलिए बन नील कुरिंजी, उपजी हो फुलवारी में। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र

#कविता_संगम #Quotes  White हमने ख़ुद को झोंक दिया है, गाँव गली गुलकारी में।
इसीलिए बन नील कुरिंजी, उपजी हो फुलवारी में।

©सूर्यप्रताप स्वतंत्र

करन सिंह परिहार kavita ranjan #कविता_संगम

12 Love

White राम जी के नाम की हर ओर चर्चा आम है, विश्व देखो राम मय है,राम का उर धाम है। राम के आदर्श अब हर,व्यक्ति के मन में बसें, राम जी की जब कृपा हो, पूर्ण तब हर काम है। _विभा सिंह ©kavitri vibha prabhuraj singh

#कविता #विभा #मन  White 
राम जी के नाम की हर ओर चर्चा आम है,
विश्व देखो राम मय है,राम का उर  धाम है।
राम के आदर्श अब हर,व्यक्ति के मन में बसें, 
राम जी की जब कृपा हो, पूर्ण तब हर काम है।

_विभा सिंह

©kavitri vibha prabhuraj singh

#मन के भाव #विभा सिंह

13 Love

#वीडियो

cute baby सुधि स्वरा सिंह

171 View

White सिंह, सिंह होता है जहाँ बैठ जाए सिंहासन वही ठीक उसी तरह राजा खुद से राजा होता है जहां भी खड़े हो हर रूप में पहचान आ जाएगा जय श्री राम ©Radhe Radhe

#Motivational  White सिंह, सिंह होता है
जहाँ बैठ जाए
सिंहासन वही
ठीक उसी तरह 
राजा खुद से राजा होता है
जहां भी खड़े हो 
हर रूप में पहचान आ जाएगा
जय श्री राम

©Radhe Radhe

सिंह सिंह होता है

17 Love

नोट: रामधारी सिंह दिनकर की कविता "कुरुक्षेत्र" आज मैंने रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता "कुरुक्षेत्र" पढ़ी, और इसने मेरे मन में अनगिनत विचारों का जन्म दिया। यह कविता न केवल युद्ध की विभीषिका को उजागर करती है, बल्कि मानवता, नैतिकता, और धर्म के गहरे सवालों को भी सामने लाती है। जब मैं इस कविता को पढ़ रहा था, तो मुझे लगा कि यह केवल एक ऐतिहासिक कथा नहीं है, बल्कि आज के समय में भी इसका महत्व है। आज जब हम अपने समाज में विभिन्न प्रकार के संघर्ष और असमानताओं का सामना कर रहे हैं, दिनकर जी की यह कृति हमें एक नई दृष्टि प्रदान करती है। कविता में कौरवों और पांडवों के बीच का संघर्ष, केवल भौतिक युद्ध नहीं, बल्कि एक मानसिक और आध्यात्मिक लड़ाई भी है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमें ऐसी लड़ाइयों की आवश्यकता है? क्या हम अपने धर्म और नैतिकता के सिद्धांतों के खिलाफ जाकर किसी भी प्रकार की हिंसा को सही ठहरा सकते हैं? कविता में दिनकर जी ने जिस तरह से लाशों की महक और घायल सैनिकों की पुकार का चित्रण किया है, वह अत्यंत संवेदनशील है। यह हमें याद दिलाता है कि युद्ध केवल एक शारीरिक संघर्ष नहीं है, बल्कि इसके साथ जुड़ी होती हैं अनगिनत मानसिक और सामाजिक पीड़ाएँ। आज के समय में, जब हमारे समाज में हिंसा, धार्मिक असहमति, और राजनीतिक संघर्षों की बातें बढ़ रही हैं, तब यह कविता और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है। कविता ने मुझे यह सिखाया कि हमें संवाद और समझदारी के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। आज के संदर्भ में, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि शांति केवल युद्ध के बिना नहीं है, बल्कि यह आपसी सहयोग और समझदारी से ही संभव है। हमें दिनकर जी के इस महत्वपूर्ण संदेश को अपने जीवन में उतारना चाहिए। इसलिए, मैंने निश्चय किया है कि मैं अपने आसपास के लोगों के साथ संवाद स्थापित करूंगा। मैं समझता हूँ कि बातें करने से misunderstandings कम होती हैं और सामंजस्य बढ़ता है। हमें हर किसी के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और असमानताओं के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। इस कविता को पढ़ने के बाद, मैंने यह महसूस किया कि रामधारी सिंह दिनकर केवल एक कवि नहीं, बल्कि एक विचारक भी थे। "कुरुक्षेत्र" में दिए गए विचार और संदेश आज भी हमारे समाज के लिए प्रासंगिक हैं। मुझे लगता है कि हम न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार कर सकते हैं, बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं। आज का यह अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा, और मैं इसे अपनी जीवन यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखता हूँ। ©Veer Tiwari

#विचार  नोट: रामधारी सिंह दिनकर की कविता "कुरुक्षेत्र"

आज मैंने रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता "कुरुक्षेत्र" पढ़ी, और इसने मेरे मन में अनगिनत विचारों का जन्म दिया। यह कविता न केवल युद्ध की विभीषिका को उजागर करती है, बल्कि मानवता, नैतिकता, और धर्म के गहरे सवालों को भी सामने लाती है।

जब मैं इस कविता को पढ़ रहा था, तो मुझे लगा कि यह केवल एक ऐतिहासिक कथा नहीं है, बल्कि आज के समय में भी इसका महत्व है। आज जब हम अपने समाज में विभिन्न प्रकार के संघर्ष और असमानताओं का सामना कर रहे हैं, दिनकर जी की यह कृति हमें एक नई दृष्टि प्रदान करती है। कविता में कौरवों और पांडवों के बीच का संघर्ष, केवल भौतिक युद्ध नहीं, बल्कि एक मानसिक और आध्यात्मिक लड़ाई भी है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमें ऐसी लड़ाइयों की आवश्यकता है? क्या हम अपने धर्म और नैतिकता के सिद्धांतों के खिलाफ जाकर किसी भी प्रकार की हिंसा को सही ठहरा सकते हैं?
कविता में दिनकर जी ने जिस तरह से लाशों की महक और घायल सैनिकों की पुकार का चित्रण किया है, वह अत्यंत संवेदनशील है। यह हमें याद दिलाता है कि युद्ध केवल एक शारीरिक संघर्ष नहीं है, बल्कि इसके साथ जुड़ी होती हैं अनगिनत मानसिक और सामाजिक पीड़ाएँ। आज के समय में, जब हमारे समाज में हिंसा, धार्मिक असहमति, और राजनीतिक संघर्षों की बातें बढ़ रही हैं, तब यह कविता और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है।
कविता ने मुझे यह सिखाया कि हमें संवाद और समझदारी के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। आज के संदर्भ में, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि शांति केवल युद्ध के बिना नहीं है, बल्कि यह आपसी सहयोग और समझदारी से ही संभव है। हमें दिनकर जी के इस महत्वपूर्ण संदेश को अपने जीवन में उतारना चाहिए।
इसलिए, मैंने निश्चय किया है कि मैं अपने आसपास के लोगों के साथ संवाद स्थापित करूंगा। मैं समझता हूँ कि बातें करने से misunderstandings कम होती हैं और सामंजस्य बढ़ता है। हमें हर किसी के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और असमानताओं के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
इस कविता को पढ़ने के बाद, मैंने यह महसूस किया कि रामधारी सिंह दिनकर केवल एक कवि नहीं, बल्कि एक विचारक भी थे। "कुरुक्षेत्र" में दिए गए विचार और संदेश आज भी हमारे समाज के लिए प्रासंगिक हैं। मुझे लगता है कि हम न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार कर सकते हैं, बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं।
आज का यह अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा, और मैं इसे अपनी जीवन यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखता हूँ।

©Veer Tiwari

रामधारी सिंह दिनकर "कुरुक्षेत्र"

13 Love

*आरती बूंदी दरबार श्री सूरजमल हाड़ा की* *(बाबोसा/भोमियां/ झुॅंझार जी महाराज)* ऊॅं जय श्री सूरजमल, देवा जय श्री सूरजमल आरती की बेला पधारो, धूप की बेला पधारो संग लाओ मात सत्ती .. ऊॅं जय श्री सूरजमल।। दास नारायण का सुत छो-2 मात छै राणी खेतु ओ देवा मात छै राणी खेतु.. ऊॅं जय श्री सूरजमल । आप देव भोमिया छो - 2 धन्न हाड़ा राजा ओ देवा धन्न हाड़ा राजा ….ऊॅं जय श्री सूरजमल । असव असवारी छवि न्यारी -2 चित्त राजी हो जाता …ऊॅं जय श्री सूरजमल । नागराज अवतारी , हाड़ौती धरा उपकारी -2 सिंह संहार कर् यौ ओ देवा सिंह संहार कर् यौ … ऊॅं जय श्री सूरजमल। सूरज - चाॅंद - सितारा - 2 चालै थांकी लारां ओ देवा चालैं थांकी लारां.. ऊॅं जय श्री सूरजमल । कांकड़ मांय बिराजो तुलसी मांय बिराजो जग कल्याण करों … ऊॅं जय श्री सूरजमल। बाजै ढोल मजीरा - 2 बाजै नंगारा ओ देवा बाजै नंगारा.. ऊॅं जय श्री सूरजमल पान सुपारी चढावां, खीर को भोग लगावां लाडू पेड़ा चढावां , ओ देवा मिश्री अर मेवां ... ऊॅं जय श्री सूरजमल। मूरत रूप रूपाळी - 2 ‘हरप्रीत’ मन मौंहे ओ देवा भगतन मन मौंहे… ऊॅं जय श्री सूरजमल। सुमरत जो सूरजमल, सुमरत जो भोमियां जी सुख सम्पत्त हौंवे, वांकै कुळ आणंद हौंवे।। ऊॅं जय श्री सूरजमल देवा जय श्री सूरजमल आरती की बेला पधारो धूप की बेला पधारो संग लाओं मात सत्ती.. ऊॅं जय श्री सूरजमल देवा जय श्री सूरजमल।। ©Dilip Singh Harpreet

#दिलीप_सिंह_हरप्रीत #मायड़भासा #बाबोसा #सूरजमल #हाड़ा #आरती  *आरती बूंदी दरबार श्री सूरजमल हाड़ा की*
           *(बाबोसा/भोमियां/ झुॅंझार जी महाराज)*

ऊॅं जय श्री सूरजमल, देवा जय श्री सूरजमल 
आरती की बेला पधारो, धूप की बेला पधारो 
संग लाओ मात सत्ती .. ऊॅं जय श्री सूरजमल।।

दास नारायण का सुत छो-2
मात छै राणी खेतु 
ओ देवा मात छै राणी खेतु.. ऊॅं जय श्री सूरजमल ।

आप देव भोमिया छो - 2 
धन्न हाड़ा राजा 
ओ देवा धन्न हाड़ा राजा ….ऊॅं जय श्री सूरजमल ।

असव असवारी छवि न्यारी -2
चित्त राजी हो जाता …ऊॅं जय श्री सूरजमल ।

नागराज अवतारी , हाड़ौती धरा उपकारी -2
सिंह संहार कर् यौ 
ओ देवा सिंह संहार कर् यौ … ऊॅं जय श्री सूरजमल।

सूरज - चाॅंद - सितारा - 2
चालै थांकी लारां 
ओ देवा चालैं थांकी लारां.. ऊॅं जय श्री सूरजमल ।

कांकड़ मांय बिराजो
तुलसी मांय बिराजो 
जग कल्याण करों … ऊॅं जय श्री सूरजमल।

बाजै ढोल मजीरा - 2
बाजै नंगारा 
ओ देवा बाजै नंगारा.. ऊॅं जय श्री सूरजमल 

पान सुपारी चढावां, खीर को भोग लगावां
लाडू पेड़ा चढावां , ओ देवा मिश्री अर मेवां ... ऊॅं जय श्री सूरजमल।


मूरत रूप रूपाळी - 2
‘हरप्रीत’ मन मौंहे  
ओ देवा भगतन मन मौंहे… ऊॅं जय श्री सूरजमल।

सुमरत जो सूरजमल, सुमरत जो भोमियां जी
सुख सम्पत्त हौंवे, वांकै कुळ आणंद हौंवे।।

ऊॅं जय श्री सूरजमल देवा जय श्री सूरजमल 
आरती की बेला पधारो धूप की बेला पधारो 
संग लाओं मात सत्ती..
ऊॅं जय श्री सूरजमल देवा जय श्री सूरजमल।।

©Dilip Singh Harpreet

White हमने ख़ुद को झोंक दिया है, गाँव गली गुलकारी में। इसीलिए बन नील कुरिंजी, उपजी हो फुलवारी में। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र

#कविता_संगम #Quotes  White हमने ख़ुद को झोंक दिया है, गाँव गली गुलकारी में।
इसीलिए बन नील कुरिंजी, उपजी हो फुलवारी में।

©सूर्यप्रताप स्वतंत्र

करन सिंह परिहार kavita ranjan #कविता_संगम

12 Love

White राम जी के नाम की हर ओर चर्चा आम है, विश्व देखो राम मय है,राम का उर धाम है। राम के आदर्श अब हर,व्यक्ति के मन में बसें, राम जी की जब कृपा हो, पूर्ण तब हर काम है। _विभा सिंह ©kavitri vibha prabhuraj singh

#कविता #विभा #मन  White 
राम जी के नाम की हर ओर चर्चा आम है,
विश्व देखो राम मय है,राम का उर  धाम है।
राम के आदर्श अब हर,व्यक्ति के मन में बसें, 
राम जी की जब कृपा हो, पूर्ण तब हर काम है।

_विभा सिंह

©kavitri vibha prabhuraj singh

#मन के भाव #विभा सिंह

13 Love

#वीडियो

cute baby सुधि स्वरा सिंह

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