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White किया सदा ही शिक्षा का आह्वान पन्डितों ने, मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने । किया नुकसान पन्डितों, किया नुकसान पन्डितों ने। देश की आजादी में भी ये कदम से कदम मिलाए, पड़ी जरूरत जब भी सबसे पहले नजर ये आए। गोरे अंग्रेजों को पहले गोली जिसने मारी, इसमें भी हैं मंगल पांडे चंद्रशेखर तीवारी। फिर भी नहीं कहता कि किया अहसान पन्डितों ने, मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने। हाथ में जब भी देश मिला तब की देखो खुद्दारी, पंडित नेहरू लालबहादुर या हों अटल बिहारी, घोटाले चोरी में इनका नाम कभी न आया, परमाणु सम्पन्न तिरंगा दुनिया में लहराया। अपने दम पर दुनिया में कमाया,नामोनिशान पंडितों ने, मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने.......2 ©Shubham Mishra

#कविता #GoodNight  White किया सदा ही शिक्षा का आह्वान पन्डितों ने, 
मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने ।
किया नुकसान पन्डितों, किया नुकसान पन्डितों ने। 
देश की आजादी में भी ये कदम से कदम मिलाए,
पड़ी जरूरत जब भी सबसे पहले नजर ये आए।
गोरे अंग्रेजों को पहले गोली जिसने मारी, 
इसमें भी हैं मंगल पांडे चंद्रशेखर तीवारी। 
फिर भी नहीं कहता कि किया अहसान पन्डितों ने,
मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने, 
किया नुकसान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने।
हाथ में जब भी देश मिला तब की देखो खुद्दारी, 
पंडित नेहरू लालबहादुर या हों अटल बिहारी, 
घोटाले चोरी में इनका नाम कभी न आया, 
परमाणु सम्पन्न तिरंगा दुनिया में लहराया।
अपने दम पर दुनिया में कमाया,नामोनिशान पंडितों ने,
मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने,
किया नुकसान पन्डितों ने.......2

©Shubham Mishra

#GoodNight पंडित जी

14 Love

#teachers_day #Sethi  White गुरु (दोहे)

गुरु मिलता जब शिष्य को, मिलती खुशी अपार।
देते विद्या दान हैं, भरे ज्ञान भंडार।।

गुरु की महिमा है बड़ी, शिक्षा दे भरपूर।
बिन पानी साबुन बिना, दोष करे वो दूर।।

शिष्य करे जो अर्चना, गुरु का हो सम्मान।
विद्या से जीवन खिले, पूरे हों अरमान।।

गुरु जैसा ज्ञानी नहीं, वही ज्ञान का सार।
निर्माता ये भाग्य के, जीवन का आधार।।

गुरु बिन है विद्या नहीं, और कहाँ फिर ज्ञान।
पशुवत होती जिंदगी, पाता कष्ट महान।।

विद्या जो धारण करे, बनता वही महान।
गुरु को रहती लालसा, सबका हो सम्मान।।
........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#teachers_day गुरु (दोहे) गुरु मिलता जब शिष्य को, मिलती खुशी अपार। देते विद्या दान हैं, भरे ज्ञान भंडार।। गुरु की महिमा है बड़ी, शिक्षा द

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White विधा  :- वसनविशाला छन्द १११     १११   १२२   २२२ पशु सम बन नही आत्याचारी । नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।। चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी । फिर बन जगत में तू सम्मानी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White विधा  :- वसनविशाला छन्द
१११     १११   १२२   २२२


पशु सम बन नही आत्याचारी ।
नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।।
चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी ।
फिर बन जगत में तू सम्मानी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा  :- वसनविशाला छन्द १११     १११   १२२   २२२ पशु सम बन नही आत्याचारी । नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।। चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी । फिर बन ज

13 Love

#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #कैदखाना #शायरी

ज्ञानी के लिए एकांत स्वर्ग होता है और मूर्ख के लिए वो #कैदखाना..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ 🙏🙏🙏📖🙏🙏🙏

153 View

उपमान छन्द  दिनभर करता काम है , वह तो मनरेगा । रहकर भूखे पेट भी , सुनता क्या लेगा ।। मजे करे सरपंच जी , करके अब धोखा । मिलता नही गरीब को , थोड़ा भी चोखा ।। खुला सुबह से आज है , ठेका सरकारी । जी भर पीकर देख लो , भूलो तरकारी ।। निशिदिन जैसे आज भी , सोयेंगे बच्चे । बनो नही अब आप भी , कलयुग में सच्चे ।। गाँव-गाँव यह रीति है , सब करते थैय्या । मेरे तो सरपंच जी , है बड़का भैय्या ।। दिये न ढेला नोन का , बनते है दानी । देते भाषण मंच पर , बन जाते ज्ञानी ।। करना आज विचार सब , पग धरना धीरे । बिछे राह में शूल है , हम सबके तीरे ।। जाग गये तो भोर है , जीवन में तेरे । वरना राई नोन के , लेते रह फेरे ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  उपमान छन्द 
दिनभर करता काम है , वह तो मनरेगा ।
रहकर भूखे पेट भी , सुनता क्या लेगा ।।
मजे करे सरपंच जी , करके अब धोखा ।
मिलता नही गरीब को , थोड़ा भी चोखा ।।

खुला सुबह से आज है , ठेका सरकारी ।
जी भर पीकर देख लो , भूलो तरकारी ।।
निशिदिन जैसे आज भी , सोयेंगे बच्चे ।
बनो नही अब आप भी , कलयुग में सच्चे ।।

गाँव-गाँव यह रीति है , सब करते थैय्या ।
मेरे तो सरपंच जी , है बड़का भैय्या ।।
दिये न ढेला नोन का , बनते है दानी ।
देते भाषण मंच पर , बन जाते ज्ञानी ।।

करना आज विचार सब , पग धरना धीरे ।
बिछे राह में शूल है , हम सबके तीरे ।।
जाग गये तो भोर है , जीवन में तेरे ।
वरना राई नोन के , लेते रह फेरे ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

उपमान छन्द  दिनभर करता काम है , वह तो मनरेगा । रहकर भूखे पेट भी , सुनता क्या लेगा ।। मजे करे सरपंच जी , करके अब धोखा । मिलता नही गरीब को , थ

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White किया सदा ही शिक्षा का आह्वान पन्डितों ने, मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने । किया नुकसान पन्डितों, किया नुकसान पन्डितों ने। देश की आजादी में भी ये कदम से कदम मिलाए, पड़ी जरूरत जब भी सबसे पहले नजर ये आए। गोरे अंग्रेजों को पहले गोली जिसने मारी, इसमें भी हैं मंगल पांडे चंद्रशेखर तीवारी। फिर भी नहीं कहता कि किया अहसान पन्डितों ने, मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने। हाथ में जब भी देश मिला तब की देखो खुद्दारी, पंडित नेहरू लालबहादुर या हों अटल बिहारी, घोटाले चोरी में इनका नाम कभी न आया, परमाणु सम्पन्न तिरंगा दुनिया में लहराया। अपने दम पर दुनिया में कमाया,नामोनिशान पंडितों ने, मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने.......2 ©Shubham Mishra

#कविता #GoodNight  White किया सदा ही शिक्षा का आह्वान पन्डितों ने, 
मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने ।
किया नुकसान पन्डितों, किया नुकसान पन्डितों ने। 
देश की आजादी में भी ये कदम से कदम मिलाए,
पड़ी जरूरत जब भी सबसे पहले नजर ये आए।
गोरे अंग्रेजों को पहले गोली जिसने मारी, 
इसमें भी हैं मंगल पांडे चंद्रशेखर तीवारी। 
फिर भी नहीं कहता कि किया अहसान पन्डितों ने,
मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने, 
किया नुकसान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने।
हाथ में जब भी देश मिला तब की देखो खुद्दारी, 
पंडित नेहरू लालबहादुर या हों अटल बिहारी, 
घोटाले चोरी में इनका नाम कभी न आया, 
परमाणु सम्पन्न तिरंगा दुनिया में लहराया।
अपने दम पर दुनिया में कमाया,नामोनिशान पंडितों ने,
मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने,
किया नुकसान पन्डितों ने.......2

©Shubham Mishra

#GoodNight पंडित जी

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#teachers_day #Sethi  White गुरु (दोहे)

गुरु मिलता जब शिष्य को, मिलती खुशी अपार।
देते विद्या दान हैं, भरे ज्ञान भंडार।।

गुरु की महिमा है बड़ी, शिक्षा दे भरपूर।
बिन पानी साबुन बिना, दोष करे वो दूर।।

शिष्य करे जो अर्चना, गुरु का हो सम्मान।
विद्या से जीवन खिले, पूरे हों अरमान।।

गुरु जैसा ज्ञानी नहीं, वही ज्ञान का सार।
निर्माता ये भाग्य के, जीवन का आधार।।

गुरु बिन है विद्या नहीं, और कहाँ फिर ज्ञान।
पशुवत होती जिंदगी, पाता कष्ट महान।।

विद्या जो धारण करे, बनता वही महान।
गुरु को रहती लालसा, सबका हो सम्मान।।
........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#teachers_day गुरु (दोहे) गुरु मिलता जब शिष्य को, मिलती खुशी अपार। देते विद्या दान हैं, भरे ज्ञान भंडार।। गुरु की महिमा है बड़ी, शिक्षा द

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White विधा  :- वसनविशाला छन्द १११     १११   १२२   २२२ पशु सम बन नही आत्याचारी । नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।। चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी । फिर बन जगत में तू सम्मानी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White विधा  :- वसनविशाला छन्द
१११     १११   १२२   २२२


पशु सम बन नही आत्याचारी ।
नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।।
चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी ।
फिर बन जगत में तू सम्मानी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा  :- वसनविशाला छन्द १११     १११   १२२   २२२ पशु सम बन नही आत्याचारी । नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।। चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी । फिर बन ज

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#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #कैदखाना #शायरी

ज्ञानी के लिए एकांत स्वर्ग होता है और मूर्ख के लिए वो #कैदखाना..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ 🙏🙏🙏📖🙏🙏🙏

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उपमान छन्द  दिनभर करता काम है , वह तो मनरेगा । रहकर भूखे पेट भी , सुनता क्या लेगा ।। मजे करे सरपंच जी , करके अब धोखा । मिलता नही गरीब को , थोड़ा भी चोखा ।। खुला सुबह से आज है , ठेका सरकारी । जी भर पीकर देख लो , भूलो तरकारी ।। निशिदिन जैसे आज भी , सोयेंगे बच्चे । बनो नही अब आप भी , कलयुग में सच्चे ।। गाँव-गाँव यह रीति है , सब करते थैय्या । मेरे तो सरपंच जी , है बड़का भैय्या ।। दिये न ढेला नोन का , बनते है दानी । देते भाषण मंच पर , बन जाते ज्ञानी ।। करना आज विचार सब , पग धरना धीरे । बिछे राह में शूल है , हम सबके तीरे ।। जाग गये तो भोर है , जीवन में तेरे । वरना राई नोन के , लेते रह फेरे ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  उपमान छन्द 
दिनभर करता काम है , वह तो मनरेगा ।
रहकर भूखे पेट भी , सुनता क्या लेगा ।।
मजे करे सरपंच जी , करके अब धोखा ।
मिलता नही गरीब को , थोड़ा भी चोखा ।।

खुला सुबह से आज है , ठेका सरकारी ।
जी भर पीकर देख लो , भूलो तरकारी ।।
निशिदिन जैसे आज भी , सोयेंगे बच्चे ।
बनो नही अब आप भी , कलयुग में सच्चे ।।

गाँव-गाँव यह रीति है , सब करते थैय्या ।
मेरे तो सरपंच जी , है बड़का भैय्या ।।
दिये न ढेला नोन का , बनते है दानी ।
देते भाषण मंच पर , बन जाते ज्ञानी ।।

करना आज विचार सब , पग धरना धीरे ।
बिछे राह में शूल है , हम सबके तीरे ।।
जाग गये तो भोर है , जीवन में तेरे ।
वरना राई नोन के , लेते रह फेरे ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

उपमान छन्द  दिनभर करता काम है , वह तो मनरेगा । रहकर भूखे पेट भी , सुनता क्या लेगा ।। मजे करे सरपंच जी , करके अब धोखा । मिलता नही गरीब को , थ

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