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दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।। कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार । जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।। कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम । तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।। रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल । रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।। आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो  फर्क । मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।। जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश । कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।। जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात । वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।। मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद । तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।। मातु-पिता हर से कहे,  प्रखर जोड़ कर हाथ । अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।। मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान । जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।। तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव । वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।। मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार । पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।। मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान । उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार ।
हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।।
कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार ।
कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।।
कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार ।
जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।।
कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम ।
तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।।
रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल ।
रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।।
आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो  फर्क ।
मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।।
जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश ।
कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।।
जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात ।
वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।।
मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद ।
तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।।
मातु-पिता हर से कहे,  प्रखर जोड़ कर हाथ ।
अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।।
मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान ।
जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।।
तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव ।
वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।।
मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार ।
पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।।
मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान ।
उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून

16 Love

White गीत :- बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। बेटी तुमको करना होगा... घात लगाये बैठे हैं सब , रहते अपने पास । चलो सँभलकर नित इनसे , करना मत विश्वास ।। इनसे सूझ-बूझ का अपनी , करना नही विमर्श । बेटी तुमको करना होगा ... ले आयेगा हाथी घोड़ा , तुम्हें दिखाने आज । छल बल से फिर कृत्य ही करता , ऐसा आज समाज ।। नहीं दिखायेगा ये तुमको , मार्ग यहाँ उत्कर्ष । बेटी तुमको करना होगा..... हर जीवन में मातु-पिता ही , होते सच्चे मीत । तू न कर शंका प्रीति इन्हीं की , दिलवाती है जीत ।। शेष जगत में स्वार्थ भरा है ,नहीं मिलेगा हर्ष । बेटी तुमको करना होगा ...... बेटी तुमको करना होगा, जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White गीत :-
बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष ।
तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।।
बेटी तुमको करना होगा...

घात लगाये बैठे हैं सब , रहते अपने पास ।
चलो सँभलकर नित इनसे , करना मत विश्वास ।।
इनसे सूझ-बूझ का अपनी , करना नही विमर्श ।
बेटी तुमको करना होगा ...

ले आयेगा हाथी घोड़ा , तुम्हें दिखाने आज ।
छल बल से फिर कृत्य ही करता , ऐसा आज समाज ।।
नहीं दिखायेगा ये तुमको , मार्ग यहाँ उत्कर्ष ।
बेटी तुमको करना होगा.....

हर जीवन में मातु-पिता ही , होते सच्चे मीत ।
तू न कर शंका प्रीति इन्हीं की , दिलवाती है जीत ।।
शेष जगत में स्वार्थ भरा है ,नहीं मिलेगा हर्ष ।
बेटी तुमको करना होगा ......

बेटी तुमको करना होगा, जीवन में संघर्ष ।
तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। बेटी तुमको करना होगा... घात लगाये बैठे हैं सब

11 Love

White गीत :- बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। बेटी तुमको करना होगा... घात लगाये बैठे हैं सब , रहते अपने पास । चलो सँभलकर नित इनसे , करना मत विश्वास ।। इनसे सूझ-बूझ का अपनी , करना नही विमर्श । बेटी तुमको करना होगा ... ले आयेंगा हाथी घोड़ा , तुम्हें दिखाने आज । छल बल से फिर कृत्य करेंगा , ऐसा आज समाज ।। नहीं दिखायेगा ये तुमको , मार्ग यहाँ उत्कर्ष । बेटी तुमको करना होगा..... हर जीवन में मातु-पिता ही , होते सच्चे मीत । तू कर न शंका प्रीति इन्हीं की , दिलवाती है जीत ।। शेष जगत में स्वार्थ भरा है ,नहीं मिलेगा हर्ष । बेटी तुमको करना होगा ...... बेटी तुमको करना होगा, जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White गीत :-
बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष ।
तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।।
बेटी तुमको करना होगा...

घात लगाये बैठे हैं सब , रहते अपने पास ।
चलो सँभलकर नित इनसे , करना मत विश्वास ।।
इनसे सूझ-बूझ का अपनी , करना नही विमर्श ।
बेटी तुमको करना होगा ...

ले आयेंगा हाथी घोड़ा , तुम्हें दिखाने आज ।
छल बल से फिर कृत्य करेंगा , ऐसा आज समाज ।।
नहीं दिखायेगा ये तुमको , मार्ग यहाँ उत्कर्ष ।
बेटी तुमको करना होगा.....

हर जीवन में मातु-पिता ही , होते सच्चे मीत ।
तू कर न शंका प्रीति इन्हीं की , दिलवाती है जीत ।।
शेष जगत में स्वार्थ भरा है ,नहीं मिलेगा हर्ष ।
बेटी तुमको करना होगा ......

बेटी तुमको करना होगा, जीवन में संघर्ष ।
तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। बेटी तुमको करना होगा... घात लगाये बैठे हैं सब

15 Love

मुक्तक :- करूँ दोस्ती आपसे , आये जब  विश्वास । व्यर्थ लगाऊँ क्यूँ भला , आज आपसे आस । देख रहा हूँ नित जगत , करते सब ही घात- अभी तलक तुझमें नहीं , दिखा मुझे कुछ खास ।। हाथ मिले तो दिल मिले , कर तू ऐसा खास । आये जो विश्वास तो , मैं भी करू प्रयास । लेकर प्रभु की मैं शपथ , कहता तुमसे आज- हृदय जीत मेरा कभी , बन जाऊँ मैं दास ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
करूँ दोस्ती आपसे , आये जब  विश्वास ।
व्यर्थ लगाऊँ क्यूँ भला , आज आपसे आस ।
देख रहा हूँ नित जगत , करते सब ही घात-
अभी तलक तुझमें नहीं , दिखा मुझे कुछ खास ।।







हाथ मिले तो दिल मिले , कर तू ऐसा खास ।
आये जो विश्वास तो , मैं भी करू प्रयास ।
लेकर प्रभु की मैं शपथ , कहता तुमसे आज-
हृदय जीत मेरा कभी , बन जाऊँ मैं दास ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- करूँ दोस्ती आपसे , आये जब  विश्वास । व्यर्थ लगाऊँ क्यूँ भला , आज आपसे आस । देख रहा हूँ नित जगत , करते सब ही घात- अभी तलक तुझमें नह

8 Love

गीत :- हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।। हरे-भरे खेतो की हलधर.... पत्ते-पत्ते पर है ठहरी , बारिश की हर बूँद । कर उनका एहसास कभी तू , अपनी आँखें मूँद ।। मोती जैसे ही लगते हैं , चाहे पेड़ बबूल । पर इनके भी दिन ढलते हैं , आती है फिर रात । हरे-भरे खेतो की हलधर..... सुनो प्रकृति के जैसा जीवन , होता कहाँ नसीब । जिनको भी मिलता है जीवन , कहते हमीं गरीब ।। हमने देखा नित्य प्रकृति ही, देती सबको सीख । तब ही मानव जीवन की सुन , हो सुंदर शुरुआत । हरे-भरे खेतों की हलधर..... इनके भी हो घाव हरे सुन , होता इनमें दर्द । लेकिन देने वाला ही अब, कहता खुद को मर्द ।। फिर भी खूब हँसातें सबको , रखकर हृदय विशाल पूर्ण जरूरत सबकी करता , पाकर जग से घात ।। हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेते मोह सभी के , जब आती बरसात ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात ।
मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।।
हरे-भरे खेतो की हलधर....

पत्ते-पत्ते पर है ठहरी , बारिश की हर बूँद ।
कर उनका एहसास कभी तू , अपनी आँखें मूँद ।।
मोती जैसे ही लगते हैं , चाहे पेड़ बबूल ।
पर इनके भी दिन ढलते हैं , आती है फिर रात ।
हरे-भरे खेतो की हलधर.....

सुनो प्रकृति के जैसा जीवन , होता कहाँ नसीब ।
जिनको भी मिलता है जीवन , कहते हमीं गरीब ।।
हमने देखा नित्य प्रकृति ही, देती सबको सीख ।
तब ही मानव जीवन की सुन , हो सुंदर शुरुआत ।
हरे-भरे खेतों की हलधर.....

इनके भी हो घाव हरे सुन , होता इनमें दर्द ।
लेकिन देने वाला ही अब, कहता खुद को मर्द ।।
फिर भी खूब हँसातें सबको , रखकर हृदय विशाल
पूर्ण जरूरत सबकी करता , पाकर जग से घात ।।

हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात ।
मन को लेते मोह सभी के , जब आती बरसात ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।। हरे-भरे खेतो की हलधर....

17 Love

दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।। कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार । जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।। कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम । तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।। रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल । रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।। आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो  फर्क । मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।। जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश । कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।। जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात । वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।। मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद । तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।। मातु-पिता हर से कहे,  प्रखर जोड़ कर हाथ । अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।। मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान । जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।। तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव । वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।। मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार । पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।। मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान । उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार ।
हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।।
कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार ।
कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।।
कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार ।
जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।।
कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम ।
तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।।
रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल ।
रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।।
आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो  फर्क ।
मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।।
जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश ।
कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।।
जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात ।
वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।।
मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद ।
तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।।
मातु-पिता हर से कहे,  प्रखर जोड़ कर हाथ ।
अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।।
मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान ।
जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।।
तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव ।
वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।।
मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार ।
पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।।
मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान ।
उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून

16 Love

White गीत :- बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। बेटी तुमको करना होगा... घात लगाये बैठे हैं सब , रहते अपने पास । चलो सँभलकर नित इनसे , करना मत विश्वास ।। इनसे सूझ-बूझ का अपनी , करना नही विमर्श । बेटी तुमको करना होगा ... ले आयेगा हाथी घोड़ा , तुम्हें दिखाने आज । छल बल से फिर कृत्य ही करता , ऐसा आज समाज ।। नहीं दिखायेगा ये तुमको , मार्ग यहाँ उत्कर्ष । बेटी तुमको करना होगा..... हर जीवन में मातु-पिता ही , होते सच्चे मीत । तू न कर शंका प्रीति इन्हीं की , दिलवाती है जीत ।। शेष जगत में स्वार्थ भरा है ,नहीं मिलेगा हर्ष । बेटी तुमको करना होगा ...... बेटी तुमको करना होगा, जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White गीत :-
बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष ।
तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।।
बेटी तुमको करना होगा...

घात लगाये बैठे हैं सब , रहते अपने पास ।
चलो सँभलकर नित इनसे , करना मत विश्वास ।।
इनसे सूझ-बूझ का अपनी , करना नही विमर्श ।
बेटी तुमको करना होगा ...

ले आयेगा हाथी घोड़ा , तुम्हें दिखाने आज ।
छल बल से फिर कृत्य ही करता , ऐसा आज समाज ।।
नहीं दिखायेगा ये तुमको , मार्ग यहाँ उत्कर्ष ।
बेटी तुमको करना होगा.....

हर जीवन में मातु-पिता ही , होते सच्चे मीत ।
तू न कर शंका प्रीति इन्हीं की , दिलवाती है जीत ।।
शेष जगत में स्वार्थ भरा है ,नहीं मिलेगा हर्ष ।
बेटी तुमको करना होगा ......

बेटी तुमको करना होगा, जीवन में संघर्ष ।
तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। बेटी तुमको करना होगा... घात लगाये बैठे हैं सब

11 Love

White गीत :- बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। बेटी तुमको करना होगा... घात लगाये बैठे हैं सब , रहते अपने पास । चलो सँभलकर नित इनसे , करना मत विश्वास ।। इनसे सूझ-बूझ का अपनी , करना नही विमर्श । बेटी तुमको करना होगा ... ले आयेंगा हाथी घोड़ा , तुम्हें दिखाने आज । छल बल से फिर कृत्य करेंगा , ऐसा आज समाज ।। नहीं दिखायेगा ये तुमको , मार्ग यहाँ उत्कर्ष । बेटी तुमको करना होगा..... हर जीवन में मातु-पिता ही , होते सच्चे मीत । तू कर न शंका प्रीति इन्हीं की , दिलवाती है जीत ।। शेष जगत में स्वार्थ भरा है ,नहीं मिलेगा हर्ष । बेटी तुमको करना होगा ...... बेटी तुमको करना होगा, जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White गीत :-
बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष ।
तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।।
बेटी तुमको करना होगा...

घात लगाये बैठे हैं सब , रहते अपने पास ।
चलो सँभलकर नित इनसे , करना मत विश्वास ।।
इनसे सूझ-बूझ का अपनी , करना नही विमर्श ।
बेटी तुमको करना होगा ...

ले आयेंगा हाथी घोड़ा , तुम्हें दिखाने आज ।
छल बल से फिर कृत्य करेंगा , ऐसा आज समाज ।।
नहीं दिखायेगा ये तुमको , मार्ग यहाँ उत्कर्ष ।
बेटी तुमको करना होगा.....

हर जीवन में मातु-पिता ही , होते सच्चे मीत ।
तू कर न शंका प्रीति इन्हीं की , दिलवाती है जीत ।।
शेष जगत में स्वार्थ भरा है ,नहीं मिलेगा हर्ष ।
बेटी तुमको करना होगा ......

बेटी तुमको करना होगा, जीवन में संघर्ष ।
तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। बेटी तुमको करना होगा... घात लगाये बैठे हैं सब

15 Love

मुक्तक :- करूँ दोस्ती आपसे , आये जब  विश्वास । व्यर्थ लगाऊँ क्यूँ भला , आज आपसे आस । देख रहा हूँ नित जगत , करते सब ही घात- अभी तलक तुझमें नहीं , दिखा मुझे कुछ खास ।। हाथ मिले तो दिल मिले , कर तू ऐसा खास । आये जो विश्वास तो , मैं भी करू प्रयास । लेकर प्रभु की मैं शपथ , कहता तुमसे आज- हृदय जीत मेरा कभी , बन जाऊँ मैं दास ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
करूँ दोस्ती आपसे , आये जब  विश्वास ।
व्यर्थ लगाऊँ क्यूँ भला , आज आपसे आस ।
देख रहा हूँ नित जगत , करते सब ही घात-
अभी तलक तुझमें नहीं , दिखा मुझे कुछ खास ।।







हाथ मिले तो दिल मिले , कर तू ऐसा खास ।
आये जो विश्वास तो , मैं भी करू प्रयास ।
लेकर प्रभु की मैं शपथ , कहता तुमसे आज-
हृदय जीत मेरा कभी , बन जाऊँ मैं दास ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- करूँ दोस्ती आपसे , आये जब  विश्वास । व्यर्थ लगाऊँ क्यूँ भला , आज आपसे आस । देख रहा हूँ नित जगत , करते सब ही घात- अभी तलक तुझमें नह

8 Love

गीत :- हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।। हरे-भरे खेतो की हलधर.... पत्ते-पत्ते पर है ठहरी , बारिश की हर बूँद । कर उनका एहसास कभी तू , अपनी आँखें मूँद ।। मोती जैसे ही लगते हैं , चाहे पेड़ बबूल । पर इनके भी दिन ढलते हैं , आती है फिर रात । हरे-भरे खेतो की हलधर..... सुनो प्रकृति के जैसा जीवन , होता कहाँ नसीब । जिनको भी मिलता है जीवन , कहते हमीं गरीब ।। हमने देखा नित्य प्रकृति ही, देती सबको सीख । तब ही मानव जीवन की सुन , हो सुंदर शुरुआत । हरे-भरे खेतों की हलधर..... इनके भी हो घाव हरे सुन , होता इनमें दर्द । लेकिन देने वाला ही अब, कहता खुद को मर्द ।। फिर भी खूब हँसातें सबको , रखकर हृदय विशाल पूर्ण जरूरत सबकी करता , पाकर जग से घात ।। हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेते मोह सभी के , जब आती बरसात ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात ।
मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।।
हरे-भरे खेतो की हलधर....

पत्ते-पत्ते पर है ठहरी , बारिश की हर बूँद ।
कर उनका एहसास कभी तू , अपनी आँखें मूँद ।।
मोती जैसे ही लगते हैं , चाहे पेड़ बबूल ।
पर इनके भी दिन ढलते हैं , आती है फिर रात ।
हरे-भरे खेतो की हलधर.....

सुनो प्रकृति के जैसा जीवन , होता कहाँ नसीब ।
जिनको भी मिलता है जीवन , कहते हमीं गरीब ।।
हमने देखा नित्य प्रकृति ही, देती सबको सीख ।
तब ही मानव जीवन की सुन , हो सुंदर शुरुआत ।
हरे-भरे खेतों की हलधर.....

इनके भी हो घाव हरे सुन , होता इनमें दर्द ।
लेकिन देने वाला ही अब, कहता खुद को मर्द ।।
फिर भी खूब हँसातें सबको , रखकर हृदय विशाल
पूर्ण जरूरत सबकी करता , पाकर जग से घात ।।

हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात ।
मन को लेते मोह सभी के , जब आती बरसात ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।। हरे-भरे खेतो की हलधर....

17 Love

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