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New उल्टी चालू करो Status, Photo, Video

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#कविता #हे  दुशासन ने चीरहरण किया, 
प्रभु बचाने आए लाज तेरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

मन कर्म वचन ये सब,
भरी सभा में मूक हुए।
युधिष्ठिर भीम अर्जुन,,
सबके निशाने चूक गए।
ऐसा लगा मानवता के,
पैर लड़खड़ाने वाले हैं।
वो तो श्री कृष्ण है जो,,
जग को बचाने वाले हैं।

रण हुंकार भरेगी अब फिर,
उठेगी लपटे बदले की तेरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

पतन को जतन से उभारे,
वो चौसर के सरताज है।
जहां किसी पर गिरे गाज,,
वहां सांप ऊपर बाज है।
कहां गए ये पंच तत्व सब,
जिन्हे भ्रम ने घेरा है।
द्रोपदी के चीर हरण को,,
इन सब ने ही उकेरा है।

इसके खून से वेणी धुलेगी,
प्रण करे भार्या के प्रहरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

©Satish Kumar Meena

#हे पांचाली नमन करो

135 View

दुशासन ने चीरहरण किया,  प्रभु बचाने आए लाज तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। मन कर्म वचन ये सब, भरी सभा में मूक हुए। युधिष्ठिर भीम अर्जुन,, सबके निशाने चूक गए। ऐसा लगा मानवता के, पैर लड़खड़ाने वाले हैं। वो तो श्री कृष्ण है जो,, जग को बचाने वाले हैं। रण हुंकार भरेगी अब फिर, उठेगी लपटे बदले की तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। पतन को जतन से उभारे, वो चौसर के सरताज है। जहां किसी पर गिरे गाज,, वहां सांप ऊपर बाज है। कहां गए ये पंच तत्व सब, जिन्हे भ्रम ने घेरा है। द्रोपदी के चीर हरण को,, इन सब ने ही उकेरा है। इसके खून से वेणी धुलेगी, प्रण करे भार्या के प्रहरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। ©Satish Kumar Meena

#कविता #हे  दुशासन ने चीरहरण किया, 
प्रभु बचाने आए लाज तेरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

मन कर्म वचन ये सब,
भरी सभा में मूक हुए।
युधिष्ठिर भीम अर्जुन,,
सबके निशाने चूक गए।
ऐसा लगा मानवता के,
पैर लड़खड़ाने वाले हैं।
वो तो श्री कृष्ण है जो,,
जग को बचाने वाले हैं।

रण हुंकार भरेगी अब फिर,
उठेगी लपटे बदले की तेरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

पतन को जतन से उभारे,
वो चौसर के सरताज है।
जहां किसी पर गिरे गाज,,
वहां सांप ऊपर बाज है।
कहां गए ये पंच तत्व सब,
जिन्हे भ्रम ने घेरा है।
द्रोपदी के चीर हरण को,,
इन सब ने ही उकेरा है।

इसके खून से वेणी धुलेगी,
प्रण करे भार्या के प्रहरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

©Satish Kumar Meena

#हे पांचाली नमन करो

14 Love

#भक्ति

संग करो संतो का

90 View

White **उल्टी बातों का जादू** जब बातें उल्टी हों, समझ आए नया, जरा सोचो, क्या छिपा है इस खेल में सच्चा। चाँद की जगह सूरज, रात में दिन का छाया, सीधा रास्ता छोड़, घुमावों में पाया। कभी समझना है कठिन, तो उल्टा चलो, खुद से सवाल करो, अपने मन को हलो। दुनिया की रीतियों को, थोड़ी देर छोड़ो, उल्टी बातों में छुपा, नया सबक खोजो। हर उलट-पुलट में, एक नई तस्वीर है, समझने का सफर, कभी न हो अधूरी। इस उल्टी दिशा में, छुपा है ज्ञान का भंडार, बस दिल से सुनो, और खोलो हर दरबार। ©Prakhar Tiwari

#sad_quotes  White **उल्टी बातों का जादू**

जब बातें उल्टी हों, समझ आए नया,  
जरा सोचो, क्या छिपा है इस खेल में सच्चा।  

चाँद की जगह सूरज, रात में दिन का छाया,  
सीधा रास्ता छोड़, घुमावों में पाया।  

कभी समझना है कठिन, तो उल्टा चलो,  
खुद से सवाल करो, अपने मन को हलो।  

दुनिया की रीतियों को, थोड़ी देर छोड़ो,  
उल्टी बातों में छुपा, नया सबक खोजो।  

हर उलट-पुलट में, एक नई तस्वीर है,  
समझने का सफर, कभी न हो अधूरी।  

इस उल्टी दिशा में, छुपा है ज्ञान का भंडार,  
बस दिल से सुनो, और खोलो हर दरबार।

©Prakhar Tiwari

#sad_quotes **उल्टी बातों का जादू** जब बातें उल्टी हों, समझ आए नया, जरा सोचो, क्या छिपा है इस खेल में सच्चा। चाँद की जगह सूरज, रात में द

16 Love

#वीडियो #फनी

'कॉमेडी वीडियो'#फनी होटल के रिसेप्शन चालू है

108 View

जाल नहीं फेंको घबराकर, करो मशक्कत जोर लगाकर, दरिया की मछलियाँ सयानी, चल देती हैं चारा खाकर, तोड़ नहीं पाओगे बादल, बरसेगा ये ख़ुद ही आकर, स्वाभिमान को जिन्दा रखना, माया बन जायेगी चाकर, आँसू और मुस्कान ख़ुशी में, मन ही मन मत रखो दबाकर, बाधाओं से मत घबराना, मंज़िल तक दम लेना जाकर, 'गुंजन' छेड़ो तार हृदय का, सुनो मधुर संगीत बजाकर, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #करो  जाल  नहीं  फेंको  घबराकर, 
करो मशक्कत जोर लगाकर, 

दरिया की  मछलियाँ सयानी, 
चल  देती  हैं   चारा  खाकर, 

तोड़   नहीं   पाओगे   बादल, 
बरसेगा  ये  ख़ुद  ही  आकर, 

स्वाभिमान को जिन्दा रखना, 
माया   बन   जायेगी  चाकर, 

आँसू और  मुस्कान  ख़ुशी में, 
मन ही मन मत रखो दबाकर, 

बाधाओं   से   मत   घबराना, 
मंज़िल तक दम लेना जाकर, 

'गुंजन'  छेड़ो  तार  हृदय का, 
सुनो  मधुर  संगीत  बजाकर, 
 ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

#करो मशक्कत जोर लगाकर#

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#कविता #हे  दुशासन ने चीरहरण किया, 
प्रभु बचाने आए लाज तेरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

मन कर्म वचन ये सब,
भरी सभा में मूक हुए।
युधिष्ठिर भीम अर्जुन,,
सबके निशाने चूक गए।
ऐसा लगा मानवता के,
पैर लड़खड़ाने वाले हैं।
वो तो श्री कृष्ण है जो,,
जग को बचाने वाले हैं।

रण हुंकार भरेगी अब फिर,
उठेगी लपटे बदले की तेरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

पतन को जतन से उभारे,
वो चौसर के सरताज है।
जहां किसी पर गिरे गाज,,
वहां सांप ऊपर बाज है।
कहां गए ये पंच तत्व सब,
जिन्हे भ्रम ने घेरा है।
द्रोपदी के चीर हरण को,,
इन सब ने ही उकेरा है।

इसके खून से वेणी धुलेगी,
प्रण करे भार्या के प्रहरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

©Satish Kumar Meena

#हे पांचाली नमन करो

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दुशासन ने चीरहरण किया,  प्रभु बचाने आए लाज तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। मन कर्म वचन ये सब, भरी सभा में मूक हुए। युधिष्ठिर भीम अर्जुन,, सबके निशाने चूक गए। ऐसा लगा मानवता के, पैर लड़खड़ाने वाले हैं। वो तो श्री कृष्ण है जो,, जग को बचाने वाले हैं। रण हुंकार भरेगी अब फिर, उठेगी लपटे बदले की तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। पतन को जतन से उभारे, वो चौसर के सरताज है। जहां किसी पर गिरे गाज,, वहां सांप ऊपर बाज है। कहां गए ये पंच तत्व सब, जिन्हे भ्रम ने घेरा है। द्रोपदी के चीर हरण को,, इन सब ने ही उकेरा है। इसके खून से वेणी धुलेगी, प्रण करे भार्या के प्रहरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। ©Satish Kumar Meena

#कविता #हे  दुशासन ने चीरहरण किया, 
प्रभु बचाने आए लाज तेरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

मन कर्म वचन ये सब,
भरी सभा में मूक हुए।
युधिष्ठिर भीम अर्जुन,,
सबके निशाने चूक गए।
ऐसा लगा मानवता के,
पैर लड़खड़ाने वाले हैं।
वो तो श्री कृष्ण है जो,,
जग को बचाने वाले हैं।

रण हुंकार भरेगी अब फिर,
उठेगी लपटे बदले की तेरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

पतन को जतन से उभारे,
वो चौसर के सरताज है।
जहां किसी पर गिरे गाज,,
वहां सांप ऊपर बाज है।
कहां गए ये पंच तत्व सब,
जिन्हे भ्रम ने घेरा है।
द्रोपदी के चीर हरण को,,
इन सब ने ही उकेरा है।

इसके खून से वेणी धुलेगी,
प्रण करे भार्या के प्रहरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

©Satish Kumar Meena

#हे पांचाली नमन करो

14 Love

#भक्ति

संग करो संतो का

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White **उल्टी बातों का जादू** जब बातें उल्टी हों, समझ आए नया, जरा सोचो, क्या छिपा है इस खेल में सच्चा। चाँद की जगह सूरज, रात में दिन का छाया, सीधा रास्ता छोड़, घुमावों में पाया। कभी समझना है कठिन, तो उल्टा चलो, खुद से सवाल करो, अपने मन को हलो। दुनिया की रीतियों को, थोड़ी देर छोड़ो, उल्टी बातों में छुपा, नया सबक खोजो। हर उलट-पुलट में, एक नई तस्वीर है, समझने का सफर, कभी न हो अधूरी। इस उल्टी दिशा में, छुपा है ज्ञान का भंडार, बस दिल से सुनो, और खोलो हर दरबार। ©Prakhar Tiwari

#sad_quotes  White **उल्टी बातों का जादू**

जब बातें उल्टी हों, समझ आए नया,  
जरा सोचो, क्या छिपा है इस खेल में सच्चा।  

चाँद की जगह सूरज, रात में दिन का छाया,  
सीधा रास्ता छोड़, घुमावों में पाया।  

कभी समझना है कठिन, तो उल्टा चलो,  
खुद से सवाल करो, अपने मन को हलो।  

दुनिया की रीतियों को, थोड़ी देर छोड़ो,  
उल्टी बातों में छुपा, नया सबक खोजो।  

हर उलट-पुलट में, एक नई तस्वीर है,  
समझने का सफर, कभी न हो अधूरी।  

इस उल्टी दिशा में, छुपा है ज्ञान का भंडार,  
बस दिल से सुनो, और खोलो हर दरबार।

©Prakhar Tiwari

#sad_quotes **उल्टी बातों का जादू** जब बातें उल्टी हों, समझ आए नया, जरा सोचो, क्या छिपा है इस खेल में सच्चा। चाँद की जगह सूरज, रात में द

16 Love

#वीडियो #फनी

'कॉमेडी वीडियो'#फनी होटल के रिसेप्शन चालू है

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जाल नहीं फेंको घबराकर, करो मशक्कत जोर लगाकर, दरिया की मछलियाँ सयानी, चल देती हैं चारा खाकर, तोड़ नहीं पाओगे बादल, बरसेगा ये ख़ुद ही आकर, स्वाभिमान को जिन्दा रखना, माया बन जायेगी चाकर, आँसू और मुस्कान ख़ुशी में, मन ही मन मत रखो दबाकर, बाधाओं से मत घबराना, मंज़िल तक दम लेना जाकर, 'गुंजन' छेड़ो तार हृदय का, सुनो मधुर संगीत बजाकर, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #करो  जाल  नहीं  फेंको  घबराकर, 
करो मशक्कत जोर लगाकर, 

दरिया की  मछलियाँ सयानी, 
चल  देती  हैं   चारा  खाकर, 

तोड़   नहीं   पाओगे   बादल, 
बरसेगा  ये  ख़ुद  ही  आकर, 

स्वाभिमान को जिन्दा रखना, 
माया   बन   जायेगी  चाकर, 

आँसू और  मुस्कान  ख़ुशी में, 
मन ही मन मत रखो दबाकर, 

बाधाओं   से   मत   घबराना, 
मंज़िल तक दम लेना जाकर, 

'गुंजन'  छेड़ो  तार  हृदय का, 
सुनो  मधुर  संगीत  बजाकर, 
 ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

#करो मशक्कत जोर लगाकर#

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