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White दीपावली का पर्व करता मुझसे यही प्रस्तवाना आत्मिक संप्रभुता की हृदय में करूं संस्थापना सादगीयुक्त नवीन सुन्दरता जीवन में अपनाऊं मन को सुकून देने वाला संदेश सबको सुनाऊं अपने घर की तरह मन बुद्धि भी स्वच्छ बनाऊं दिव्य गुणों सुगन्ध से अपना हृदयतल महकाऊं मन का अंधेरा मिटाने वाला दीपक मैं जलाऊं हर आत्मा का मुख मण्डल देदीप्यमान बनाऊं सम्मानयुक्त मीठे बोल वाणी से सबको सुनाऊं सुख शांति भरी शुभकामना सबको देता जाऊं ©Shivkumar barman

#शुभकामनाएं #दीपावली #दिवाली #कविता #सुकून #दीपक  White 

दीपावली का पर्व करता मुझसे यही प्रस्तवाना
आत्मिक संप्रभुता की हृदय में करूं संस्थापना

सादगीयुक्त नवीन सुन्दरता जीवन में अपनाऊं
मन को सुकून देने वाला संदेश सबको सुनाऊं

अपने घर की तरह मन बुद्धि भी स्वच्छ बनाऊं
दिव्य गुणों सुगन्ध से अपना हृदयतल महकाऊं

मन का अंधेरा मिटाने वाला दीपक मैं जलाऊं
हर आत्मा का मुख मण्डल देदीप्यमान बनाऊं

सम्मानयुक्त मीठे बोल वाणी से सबको सुनाऊं
सुख शांति भरी शुभकामना सबको देता जाऊं

©Shivkumar barman

*दीपावली पर्व की शुभकामना* दीपावली का पर्व करता मुझसे यही प्रस्तवाना आत्मिक संप्रभुता की हृदय में करूं संस्थापना सादगीयुक्त नवीन सुन्दरता

13 Love

#कोट्स #ratantata  बेहद दुखद समाचार 
आज एक अनमोल रत्न हमसे विदा हुआ
भावभीनी श्रद्धांजलि 💐💐

वो जो गया है आज हमें छोड़ कर,
विश्वास नहीं होता कि वो इंसान था।
उनका होना सिखाता था इंसानियत का पाठ,
उनका न होना इंसानियत का नुक़सान था।

©IG @kavi_neetesh

बेहद दुखद समाचार आज एक अनमोल रत्न हमसे विदा हुआ भावभीनी श्रद्धांजलि 💐💐 वो जो गया है आज हमें छोड़ कर, विश्वास नहीं होता कि वो इंसान था। उनक

135 View

#शब्दोंकेअर्थ #सुनाई #कोट्स #rkyfrnds4ever #मतलब #अर्थ  White मुख से जो शब्द निकलते हैं 
उनको तो सभी अपने अपने हिसाब से सुन लेते  हैं
 
क्योंकि शब्दों के अर्थ हर कोई 
अपनी अपनी  समझ के हिसाब से लगता है,,

किस व्यक्ति ने कहे है
किस जगह कहे हैं 
किस विषय पर कहे हैं 
किसलिए कहे हैं 
क्यों कहे हैं,, 

इन आधारों पर हर कोई हर प्रकार से 
अलग अलग अर्थ मतलब निकाल कर
 सुनता तो है 

पर उनके अर्थों को समझता कोई नहीं,,,

और दिल से जो शब्द निकलते हैं
 उनको समझना तो दूर
 किसी को सुनाई तक नहीं देते हैं,,

©Rakesh frnds4ever

#मुख से जो शब्द निकलते हैं उनको तो सभी अपने अपने हिसाब से सुन लेते हैं क्योंकि #शब्दोंकेअर्थ हर कोई अपनी अपनी #समझ के हिसाब से लगता ह

99 View

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।। मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो । और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो । ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते - मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।। बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना । हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना । जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया - अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।। यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया । हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया । अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता - यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।।

मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो ।
और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो ।
ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते -
मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।।

बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना ।
हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना ।
जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया -
अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।।

यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया ।
हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया ।
अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता -
यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये

13 Love

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया :-

आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।
मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।।
अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।।
कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती ।
सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के

12 Love

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया :-

आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।
मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।।
अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।।
कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती ।
सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।

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White दीपावली का पर्व करता मुझसे यही प्रस्तवाना आत्मिक संप्रभुता की हृदय में करूं संस्थापना सादगीयुक्त नवीन सुन्दरता जीवन में अपनाऊं मन को सुकून देने वाला संदेश सबको सुनाऊं अपने घर की तरह मन बुद्धि भी स्वच्छ बनाऊं दिव्य गुणों सुगन्ध से अपना हृदयतल महकाऊं मन का अंधेरा मिटाने वाला दीपक मैं जलाऊं हर आत्मा का मुख मण्डल देदीप्यमान बनाऊं सम्मानयुक्त मीठे बोल वाणी से सबको सुनाऊं सुख शांति भरी शुभकामना सबको देता जाऊं ©Shivkumar barman

#शुभकामनाएं #दीपावली #दिवाली #कविता #सुकून #दीपक  White 

दीपावली का पर्व करता मुझसे यही प्रस्तवाना
आत्मिक संप्रभुता की हृदय में करूं संस्थापना

सादगीयुक्त नवीन सुन्दरता जीवन में अपनाऊं
मन को सुकून देने वाला संदेश सबको सुनाऊं

अपने घर की तरह मन बुद्धि भी स्वच्छ बनाऊं
दिव्य गुणों सुगन्ध से अपना हृदयतल महकाऊं

मन का अंधेरा मिटाने वाला दीपक मैं जलाऊं
हर आत्मा का मुख मण्डल देदीप्यमान बनाऊं

सम्मानयुक्त मीठे बोल वाणी से सबको सुनाऊं
सुख शांति भरी शुभकामना सबको देता जाऊं

©Shivkumar barman

*दीपावली पर्व की शुभकामना* दीपावली का पर्व करता मुझसे यही प्रस्तवाना आत्मिक संप्रभुता की हृदय में करूं संस्थापना सादगीयुक्त नवीन सुन्दरता

13 Love

#कोट्स #ratantata  बेहद दुखद समाचार 
आज एक अनमोल रत्न हमसे विदा हुआ
भावभीनी श्रद्धांजलि 💐💐

वो जो गया है आज हमें छोड़ कर,
विश्वास नहीं होता कि वो इंसान था।
उनका होना सिखाता था इंसानियत का पाठ,
उनका न होना इंसानियत का नुक़सान था।

©IG @kavi_neetesh

बेहद दुखद समाचार आज एक अनमोल रत्न हमसे विदा हुआ भावभीनी श्रद्धांजलि 💐💐 वो जो गया है आज हमें छोड़ कर, विश्वास नहीं होता कि वो इंसान था। उनक

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#शब्दोंकेअर्थ #सुनाई #कोट्स #rkyfrnds4ever #मतलब #अर्थ  White मुख से जो शब्द निकलते हैं 
उनको तो सभी अपने अपने हिसाब से सुन लेते  हैं
 
क्योंकि शब्दों के अर्थ हर कोई 
अपनी अपनी  समझ के हिसाब से लगता है,,

किस व्यक्ति ने कहे है
किस जगह कहे हैं 
किस विषय पर कहे हैं 
किसलिए कहे हैं 
क्यों कहे हैं,, 

इन आधारों पर हर कोई हर प्रकार से 
अलग अलग अर्थ मतलब निकाल कर
 सुनता तो है 

पर उनके अर्थों को समझता कोई नहीं,,,

और दिल से जो शब्द निकलते हैं
 उनको समझना तो दूर
 किसी को सुनाई तक नहीं देते हैं,,

©Rakesh frnds4ever

#मुख से जो शब्द निकलते हैं उनको तो सभी अपने अपने हिसाब से सुन लेते हैं क्योंकि #शब्दोंकेअर्थ हर कोई अपनी अपनी #समझ के हिसाब से लगता ह

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मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।। मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो । और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो । ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते - मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।। बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना । हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना । जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया - अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।। यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया । हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया । अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता - यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।।

मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो ।
और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो ।
ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते -
मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।।

बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना ।
हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना ।
जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया -
अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।।

यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया ।
हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया ।
अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता -
यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये

13 Love

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया :-

आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।
मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।।
अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।।
कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती ।
सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के

12 Love

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया :-

आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।
मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।।
अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।।
कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती ।
सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।

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