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New रवीश कुमार विकिपीडिया Status, Photo, Video

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White मुस्कुराहट गुलाम है उस चेहरे कि उसे रोना भी नहीं आता हर रंग है कुदरत का उसके पास उसे सजोना भी नहीं आता खूबसूरती कि सारी हदे, सारे अल्फाज़ फीके है उसकी तारीफ मे कम्बखत उसे तो खूबसूरत होना भी नहीं आता ©YOGESH SHARMA

#love_shayari #SAD  White मुस्कुराहट गुलाम है उस चेहरे कि उसे रोना भी नहीं आता 
हर रंग है कुदरत का उसके पास उसे सजोना भी नहीं आता 
खूबसूरती कि सारी हदे, सारे अल्फाज़ फीके है उसकी तारीफ मे 
 कम्बखत उसे तो खूबसूरत होना भी नहीं आता

©YOGESH SHARMA

#love_shayari बृजेश कुमार बेबाक़

13 Love

#कविता

कुमार विश्वास की कविता कुमार विश्वास की कविता Hinduism Kalki

171 View

#कविता

कुमार विश्वास की कविता

126 View

White भू- राजस्व विभाग बिहार ******** मोबाईल ज़रूरी है,मज़बूरी है, मजदूरी है, मुस्किल भी है, । इक दिन थे, जब कैमरे की गोद में सोना अच्छा लगता था, लेकिन अब कैमरा देख लगता जैसे LRC का मुक़ाम मुस्तकिल भी है। ___________ ©अभियंता प्रिंस कुमार

#कोट्स #GoodNight  White 

भू- राजस्व विभाग बिहार 
********
मोबाईल ज़रूरी है,मज़बूरी है, मजदूरी है, मुस्किल भी है, ।
इक दिन थे, जब कैमरे की गोद में सोना अच्छा लगता था, लेकिन अब 
कैमरा देख लगता जैसे LRC का मुक़ाम मुस्तकिल भी है।
___________

©अभियंता प्रिंस कुमार

#@अभियन्ता प्रिंस कुमार @अभियन्ता प्रिंस कुमार @abhiyanta_prince_kumar #GoodNight

14 Love

#Videos

लखन कुमार

99 View

चाँदनी छत पे चल रही होगी, अब अकेली टहल रही होगी। फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, वो बरफ़-सी पिघल रही होगी। कल का सपना बहुत सुहाना था, ये उदासी न कल रही होगी। सोचता हूँ कि बंद कमरे में, एक शमआ-सी जल रही होगी। शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, तू गली से निकल रही होगी। आज बुनियाद थरथराती है, वो दुआ फूल-फल रही होगी। तेरे गहनों-सी खनखनाती थी, बाज़रे की फ़सल रही होगी। जिन हवाओं ने तुझको दुलराया, उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी। . ©Arpit Mishra

 चाँदनी छत पे चल रही होगी, 
अब अकेली टहल रही होगी।

फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, 
वो बरफ़-सी पिघल रही होगी।

कल का सपना बहुत सुहाना था,
 ये उदासी न कल रही होगी।

सोचता हूँ कि बंद कमरे में, 
एक शमआ-सी जल रही होगी।

शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, 
तू गली से निकल रही होगी।

आज बुनियाद थरथराती है, 
वो दुआ फूल-फल रही होगी।

तेरे गहनों-सी खनखनाती थी,
बाज़रे की फ़सल रही होगी।

जिन हवाओं ने तुझको दुलराया,
उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी।







.

©Arpit Mishra

दुष्यंत कुमार

12 Love

White मुस्कुराहट गुलाम है उस चेहरे कि उसे रोना भी नहीं आता हर रंग है कुदरत का उसके पास उसे सजोना भी नहीं आता खूबसूरती कि सारी हदे, सारे अल्फाज़ फीके है उसकी तारीफ मे कम्बखत उसे तो खूबसूरत होना भी नहीं आता ©YOGESH SHARMA

#love_shayari #SAD  White मुस्कुराहट गुलाम है उस चेहरे कि उसे रोना भी नहीं आता 
हर रंग है कुदरत का उसके पास उसे सजोना भी नहीं आता 
खूबसूरती कि सारी हदे, सारे अल्फाज़ फीके है उसकी तारीफ मे 
 कम्बखत उसे तो खूबसूरत होना भी नहीं आता

©YOGESH SHARMA

#love_shayari बृजेश कुमार बेबाक़

13 Love

#कविता

कुमार विश्वास की कविता कुमार विश्वास की कविता Hinduism Kalki

171 View

#कविता

कुमार विश्वास की कविता

126 View

White भू- राजस्व विभाग बिहार ******** मोबाईल ज़रूरी है,मज़बूरी है, मजदूरी है, मुस्किल भी है, । इक दिन थे, जब कैमरे की गोद में सोना अच्छा लगता था, लेकिन अब कैमरा देख लगता जैसे LRC का मुक़ाम मुस्तकिल भी है। ___________ ©अभियंता प्रिंस कुमार

#कोट्स #GoodNight  White 

भू- राजस्व विभाग बिहार 
********
मोबाईल ज़रूरी है,मज़बूरी है, मजदूरी है, मुस्किल भी है, ।
इक दिन थे, जब कैमरे की गोद में सोना अच्छा लगता था, लेकिन अब 
कैमरा देख लगता जैसे LRC का मुक़ाम मुस्तकिल भी है।
___________

©अभियंता प्रिंस कुमार

#@अभियन्ता प्रिंस कुमार @अभियन्ता प्रिंस कुमार @abhiyanta_prince_kumar #GoodNight

14 Love

#Videos

लखन कुमार

99 View

चाँदनी छत पे चल रही होगी, अब अकेली टहल रही होगी। फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, वो बरफ़-सी पिघल रही होगी। कल का सपना बहुत सुहाना था, ये उदासी न कल रही होगी। सोचता हूँ कि बंद कमरे में, एक शमआ-सी जल रही होगी। शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, तू गली से निकल रही होगी। आज बुनियाद थरथराती है, वो दुआ फूल-फल रही होगी। तेरे गहनों-सी खनखनाती थी, बाज़रे की फ़सल रही होगी। जिन हवाओं ने तुझको दुलराया, उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी। . ©Arpit Mishra

 चाँदनी छत पे चल रही होगी, 
अब अकेली टहल रही होगी।

फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, 
वो बरफ़-सी पिघल रही होगी।

कल का सपना बहुत सुहाना था,
 ये उदासी न कल रही होगी।

सोचता हूँ कि बंद कमरे में, 
एक शमआ-सी जल रही होगी।

शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, 
तू गली से निकल रही होगी।

आज बुनियाद थरथराती है, 
वो दुआ फूल-फल रही होगी।

तेरे गहनों-सी खनखनाती थी,
बाज़रे की फ़सल रही होगी।

जिन हवाओं ने तुझको दुलराया,
उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी।







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©Arpit Mishra

दुष्यंत कुमार

12 Love

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