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New छू लेने दो नाजुक होठों को Status, Photo, Video

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नारी को नारी रहने दो, वह भी एक इंसान है। सुख दुख के भावों से बनता उसका भी संसार है। देवी का प्रतिरूप बनाकर लज्जा का अंबर ना लपेटो पुरुषोत्तम के झूठे दम पर ना उसकी कोई सीमा बनाओ उड़ती है तो पंख ना काटो बस थोड़ा सा अर्श बनाओ कर सकते हो तो इतना कर दो नारी को नारी ही रहने दे दो उसको थोड़ा सा आसमान पंख फैलाए। उड़ने दो तुम लेने दो उसे अपना आसमान🙏 ©Mau Jha

#कविता  नारी को नारी रहने दो, वह भी एक इंसान है। सुख दुख के भावों से बनता उसका भी संसार है। देवी का प्रतिरूप बनाकर लज्जा का अंबर ना लपेटो पुरुषोत्तम के झूठे दम पर ना उसकी कोई सीमा बनाओ उड़ती है तो पंख ना काटो बस थोड़ा सा अर्श बनाओ कर सकते हो तो इतना कर दो नारी को नारी ही रहने दे दो उसको थोड़ा सा आसमान पंख फैलाए। उड़ने दो तुम लेने दो उसे अपना आसमान🙏

©Mau Jha

नारी को नारी रहने दो🙏🤝

14 Love

उल्फ़त के गलियारों में, घूम रहे थे तारों में, आसमान छू लेने को, भटके खूब पहाड़ों में, रेज़ा-रेज़ा बिखर गये, नाम है अब बंजारों में, छपते रहते हैं किस्से, आए दिन अख़बारों में, प्रेम गीत के पन्नों पर, लिक्खे नाम सितारों में, रात-रात भर बातें की, गुपचुप सिर्फ़ इशारों में, गुंजन के मन की पीड़ा, शायद एक हज़ारों में, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #आसमान  उल्फ़त के गलियारों में,
घूम  रहे  थे   तारों  में,

आसमान  छू  लेने  को,
भटके खूब  पहाड़ों  में,

रेज़ा-रेज़ा  बिखर  गये,
नाम है अब  बंजारों में,

छपते  रहते  हैं  किस्से,
आए दिन अख़बारों में,

प्रेम  गीत  के  पन्नों पर,
लिक्खे नाम सितारों में,

रात-रात भर  बातें  की,
गुपचुप सिर्फ़ इशारों में,

गुंजन के मन की पीड़ा,
शायद  एक  हज़ारों में,
         -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'           
  प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#आसमान छू लेने को#

15 Love

#वीडियो  स्वरचित गजल
जख्म दे मरहम लगाना छोड़ दो

स्वरचित गजल भीड़ को अपना बताना छोड़ दो

180 View

#वीडियो

दो चोरों को पुलिस ने भेजा जेल

63 View

#कविता  यह नागिन सी काली,बलखाती सी रात भी,
श्वेत चांदनी की किरणों से,मुंह मोड इतराती है।
एक बार जी भर के,देखने दो चाँद को,,
इसके आने से धरती भी,रोशन हो जाती है।।

सुन्दरता का प्रतीक चंद्रमा,नारी का उपमान बने,
तो घन की यह घनघोर घटाएं,लज्जित हो जाती है। 
प्रेम के सागर में यह चंदा,डुबकी जब लगाता है,,
तो लहरें भँवर का रूप लेकर,खुद ही भरमाती है।। 

चंद्रमा की सोलह कलाएं,जीवन का आधार है, 
इसके दर्शन को पलकें मेरी,पल पल में हर्षाती है। 
एक बार जी भर के,देखने दो चाँद को,,
इसके आने से धरती भी,रोशन हो जाती है।।

©Satish Kumar Meena

देखने दो चाँद 🌙 को

126 View

#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #शायरी #उधार

37 साल दिया #उधार सभी को बाकी तो अब हमें भी जी लेने दो यार..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ 😄😄😄🙏😄😄😄

99 View

नारी को नारी रहने दो, वह भी एक इंसान है। सुख दुख के भावों से बनता उसका भी संसार है। देवी का प्रतिरूप बनाकर लज्जा का अंबर ना लपेटो पुरुषोत्तम के झूठे दम पर ना उसकी कोई सीमा बनाओ उड़ती है तो पंख ना काटो बस थोड़ा सा अर्श बनाओ कर सकते हो तो इतना कर दो नारी को नारी ही रहने दे दो उसको थोड़ा सा आसमान पंख फैलाए। उड़ने दो तुम लेने दो उसे अपना आसमान🙏 ©Mau Jha

#कविता  नारी को नारी रहने दो, वह भी एक इंसान है। सुख दुख के भावों से बनता उसका भी संसार है। देवी का प्रतिरूप बनाकर लज्जा का अंबर ना लपेटो पुरुषोत्तम के झूठे दम पर ना उसकी कोई सीमा बनाओ उड़ती है तो पंख ना काटो बस थोड़ा सा अर्श बनाओ कर सकते हो तो इतना कर दो नारी को नारी ही रहने दे दो उसको थोड़ा सा आसमान पंख फैलाए। उड़ने दो तुम लेने दो उसे अपना आसमान🙏

©Mau Jha

नारी को नारी रहने दो🙏🤝

14 Love

उल्फ़त के गलियारों में, घूम रहे थे तारों में, आसमान छू लेने को, भटके खूब पहाड़ों में, रेज़ा-रेज़ा बिखर गये, नाम है अब बंजारों में, छपते रहते हैं किस्से, आए दिन अख़बारों में, प्रेम गीत के पन्नों पर, लिक्खे नाम सितारों में, रात-रात भर बातें की, गुपचुप सिर्फ़ इशारों में, गुंजन के मन की पीड़ा, शायद एक हज़ारों में, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #आसमान  उल्फ़त के गलियारों में,
घूम  रहे  थे   तारों  में,

आसमान  छू  लेने  को,
भटके खूब  पहाड़ों  में,

रेज़ा-रेज़ा  बिखर  गये,
नाम है अब  बंजारों में,

छपते  रहते  हैं  किस्से,
आए दिन अख़बारों में,

प्रेम  गीत  के  पन्नों पर,
लिक्खे नाम सितारों में,

रात-रात भर  बातें  की,
गुपचुप सिर्फ़ इशारों में,

गुंजन के मन की पीड़ा,
शायद  एक  हज़ारों में,
         -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'           
  प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#आसमान छू लेने को#

15 Love

#वीडियो  स्वरचित गजल
जख्म दे मरहम लगाना छोड़ दो

स्वरचित गजल भीड़ को अपना बताना छोड़ दो

180 View

#वीडियो

दो चोरों को पुलिस ने भेजा जेल

63 View

#कविता  यह नागिन सी काली,बलखाती सी रात भी,
श्वेत चांदनी की किरणों से,मुंह मोड इतराती है।
एक बार जी भर के,देखने दो चाँद को,,
इसके आने से धरती भी,रोशन हो जाती है।।

सुन्दरता का प्रतीक चंद्रमा,नारी का उपमान बने,
तो घन की यह घनघोर घटाएं,लज्जित हो जाती है। 
प्रेम के सागर में यह चंदा,डुबकी जब लगाता है,,
तो लहरें भँवर का रूप लेकर,खुद ही भरमाती है।। 

चंद्रमा की सोलह कलाएं,जीवन का आधार है, 
इसके दर्शन को पलकें मेरी,पल पल में हर्षाती है। 
एक बार जी भर के,देखने दो चाँद को,,
इसके आने से धरती भी,रोशन हो जाती है।।

©Satish Kumar Meena

देखने दो चाँद 🌙 को

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#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #शायरी #उधार

37 साल दिया #उधार सभी को बाकी तो अब हमें भी जी लेने दो यार..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ 😄😄😄🙏😄😄😄

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