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New पण थोडा उशीर झाला Status, Photo, Video

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#मराठीकविता  मिळवणं सोप्पं असतं टिकवणं तिलकचं कठीण.

आवडणं सोप्पं असतं निवडणं तितकचं कठीण.

नाकाराणं सोप्पं असतं. स्विकारणं तितकचं कठीण.

बोलणं सोप्पं असतं आंगकारणं तितकचं कठीण.

तोडणं सोप्पं असतं जोडणं तितकचं कठीण.
 वैभव ठाकरे

©Vaibhav Thakre

मिळवणं सोपं असतं पण टिकवणे कठीण असतं

126 View

#मराठीकविता #तुझावेडा

#तुझावेडा वेळ तुझ्यावर पण येणारं

99 View

#मराठीकविता #election_2024  😍 मी पाहते तुला

#election_2024 लव झाला लव

90 View

ग़ज़ल :- चलो राह के आज काँटें चुरा लें  उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें कभी चाँद के ही बहाने से छत पर जो आओ नज़र प्यास हम भी मिटा लें न ज़न्नत से हैं कम कदम ये तुम्हारे अगर हो इजाज़त तो दुनिया बसा लें बहुत हो गई है चूँ चाँ ज़िन्दगी में  यही कह रहा दिल कि पर्दा गिरा लें  बिछड़ जायेंगे दो घड़ी बाद फिर से  कोई कह दे उनसे गले से लगा लें  बड़ी बद नज़र हैं ज़माने की नज़रें  बचाकर नज़र आज घूँघट उठा लें  सफ़र की थकन से मुसाफ़िर हैं बेसुध  चलो उनको थोडा सा पानी पिला लें  लगी आग जो तन बदन में हमारे  उसे प्रीत से ही चलो हम बुझा लें  मिला जो अभी तक हमें चाहतों में  उसे धड़कनों में कहीं तो छुपा लें  बहुत बढ़ रही है तपन सूर्य की अब  जमीं पे कहीं एक पौधा लगा लें  प्रखर तो यही रात दिन सोचता है । नहीं अब किसी की कभी बददुआ लें  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
चलो राह के आज काँटें चुरा लें 
उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें
कभी चाँद के ही बहाने से छत पर
जो आओ नज़र प्यास हम भी मिटा लें
न ज़न्नत से हैं कम कदम ये तुम्हारे
अगर हो इजाज़त तो दुनिया बसा लें
बहुत हो गई है चूँ चाँ ज़िन्दगी में 
यही कह रहा दिल कि पर्दा गिरा लें 
बिछड़ जायेंगे दो घड़ी बाद फिर से 
कोई कह दे उनसे गले से लगा लें 
बड़ी बद नज़र हैं ज़माने की नज़रें 
बचाकर नज़र आज घूँघट उठा लें 
सफ़र की थकन से मुसाफ़िर हैं बेसुध 
चलो उनको थोडा सा पानी पिला लें 
लगी आग जो तन बदन में हमारे 
उसे प्रीत से ही चलो हम बुझा लें 
मिला जो अभी तक हमें चाहतों में 
उसे धड़कनों में कहीं तो छुपा लें 
बहुत बढ़ रही है तपन सूर्य की अब 
जमीं पे कहीं एक पौधा लगा लें 
प्रखर तो यही रात दिन सोचता है ।
नहीं अब किसी की कभी बददुआ लें 
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- चलो राह के आज काँटें चुरा लें  उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें

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#मराठीकविता  मिळवणं सोप्पं असतं टिकवणं तिलकचं कठीण.

आवडणं सोप्पं असतं निवडणं तितकचं कठीण.

नाकाराणं सोप्पं असतं. स्विकारणं तितकचं कठीण.

बोलणं सोप्पं असतं आंगकारणं तितकचं कठीण.

तोडणं सोप्पं असतं जोडणं तितकचं कठीण.
 वैभव ठाकरे

©Vaibhav Thakre

मिळवणं सोपं असतं पण टिकवणे कठीण असतं

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#मराठीकविता #तुझावेडा

#तुझावेडा वेळ तुझ्यावर पण येणारं

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#मराठीकविता #election_2024  😍 मी पाहते तुला

#election_2024 लव झाला लव

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ग़ज़ल :- चलो राह के आज काँटें चुरा लें  उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें कभी चाँद के ही बहाने से छत पर जो आओ नज़र प्यास हम भी मिटा लें न ज़न्नत से हैं कम कदम ये तुम्हारे अगर हो इजाज़त तो दुनिया बसा लें बहुत हो गई है चूँ चाँ ज़िन्दगी में  यही कह रहा दिल कि पर्दा गिरा लें  बिछड़ जायेंगे दो घड़ी बाद फिर से  कोई कह दे उनसे गले से लगा लें  बड़ी बद नज़र हैं ज़माने की नज़रें  बचाकर नज़र आज घूँघट उठा लें  सफ़र की थकन से मुसाफ़िर हैं बेसुध  चलो उनको थोडा सा पानी पिला लें  लगी आग जो तन बदन में हमारे  उसे प्रीत से ही चलो हम बुझा लें  मिला जो अभी तक हमें चाहतों में  उसे धड़कनों में कहीं तो छुपा लें  बहुत बढ़ रही है तपन सूर्य की अब  जमीं पे कहीं एक पौधा लगा लें  प्रखर तो यही रात दिन सोचता है । नहीं अब किसी की कभी बददुआ लें  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
चलो राह के आज काँटें चुरा लें 
उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें
कभी चाँद के ही बहाने से छत पर
जो आओ नज़र प्यास हम भी मिटा लें
न ज़न्नत से हैं कम कदम ये तुम्हारे
अगर हो इजाज़त तो दुनिया बसा लें
बहुत हो गई है चूँ चाँ ज़िन्दगी में 
यही कह रहा दिल कि पर्दा गिरा लें 
बिछड़ जायेंगे दो घड़ी बाद फिर से 
कोई कह दे उनसे गले से लगा लें 
बड़ी बद नज़र हैं ज़माने की नज़रें 
बचाकर नज़र आज घूँघट उठा लें 
सफ़र की थकन से मुसाफ़िर हैं बेसुध 
चलो उनको थोडा सा पानी पिला लें 
लगी आग जो तन बदन में हमारे 
उसे प्रीत से ही चलो हम बुझा लें 
मिला जो अभी तक हमें चाहतों में 
उसे धड़कनों में कहीं तो छुपा लें 
बहुत बढ़ रही है तपन सूर्य की अब 
जमीं पे कहीं एक पौधा लगा लें 
प्रखर तो यही रात दिन सोचता है ।
नहीं अब किसी की कभी बददुआ लें 
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- चलो राह के आज काँटें चुरा लें  उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें

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