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New वेदव्यास के पिता कौन थे Status, Photo, Video

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पिता ज़िम्मेदारियों की कसौटी पर वो बैठा ख्वाहिशें अपनी अंदर ही रौंदाता, सर पर मेरेउसके आशीष का पहरा दुःख क्लेश पर उनके प्रेम का परदा, परेशानियाँ खुद की खुद तक छिपाये संकट संतान के वो खुद पर ले आये, जैसे पास कोई उनके रामबाण हो समस्या उनके लिए कोई आम बात हो, जो भी मुसीबत आये चाहे जब भी दिखाये जैसे कुछ हुआ ही नहीं, पता नहीं कैसे करते ये सब अब भी हर पल बिताता होगा बस चिंता में ही, नींद -चैन जो अपने दिन- रात गँवाए तो दर्द कोई हमको कैसे छु पाए..? पिता की उन पावन चरणों की हम तो भाग्यशाली धूल माटी.., प्रणाम है ऐसे संकट मोचन को..! जो मोती बनाया हम धूल कणों को । ©Deepali Singh

#Motivational  पिता

ज़िम्मेदारियों की कसौटी पर वो बैठा
ख्वाहिशें अपनी अंदर ही रौंदाता, 
सर पर मेरेउसके आशीष का पहरा
दुःख क्लेश पर उनके प्रेम का परदा, 
परेशानियाँ खुद की खुद तक छिपाये
संकट संतान के वो खुद पर ले आये, 
जैसे पास कोई उनके रामबाण हो
समस्या उनके लिए कोई आम बात हो, 
जो भी मुसीबत आये चाहे जब भी
दिखाये जैसे कुछ हुआ ही नहीं, 
पता नहीं कैसे करते ये सब अब भी
हर पल बिताता होगा बस चिंता में ही, 
नींद -चैन जो अपने दिन- रात गँवाए
तो दर्द कोई हमको कैसे छु पाए..? 
पिता की उन पावन चरणों की
हम तो भाग्यशाली धूल माटी.., 
प्रणाम है ऐसे संकट मोचन को..! 
जो मोती बनाया हम धूल कणों को ।

©Deepali Singh

पिता

12 Love

#कविता  जब भी सीने की धड़कन बढ़ती है,

वो पिता अपने परिवार की सोच रहा होता है।

आंखो के आंसू की कीमत कितनी है,,

बेटा अंगुलियां गिन के बालों को नोच रहा होता है।


पिता के अंदर कितनी जरूरतों का बोझ है,

उसी बोझ तले पिता दब जाता है।

वक्त की धुरी को पिता रोक नहीं पाता,,

और उस धुरी के नीचे ही पिता आ जाता है।।


एक पिता ही है जनाब जो मां की ममता को,

अपने परिवार के ऊपर न्यौछावर कर देता है।

और लाड प्यार का सारा हिस्सा जो उन्हें मिला,,

अपने परिवार पर चंद लम्हों में लुटा देता है।


पिता का हाथ जब तक माथे पर रहता है,

संतान को कभी दुख महसूस नहीं हो पाता है।

वक्त की धुरी को पिता रोक नहीं पाता,,

और उस धुरी के नीचे ही पिता आ जाता है।।

©Satish Kumar Meena

पिता

162 View

#विचार

तुलसी अकबर के समकालीन थे

99 View

 अपने खून पसीने की कमाई को, अपने सुख को भूल कर ।

अपने जमा किये पाई- पाई को ,जो बिना कुछ बोले हमपें लूटाता  है।

जो अपने मन की इच्छाओ को ,मार -मार यू हमें सफल बनाता है।

जग चाहे जो भी कहता हो उसको ,पर वो अपना सब कुछ हम पर ही लूटाता है।

वो भी तो ईन्सान ही है ,होगी उसकी भी ख्वाहिसें लाखों 

पर वो विशाल हृदय का मालिक हैं ,जो अपनी लाखों ख्वाहिसों को मार गिराता है।

हम जब भी जो मॉगें उससे ,हमको लाकर वो दे देता है।

कहने को तो हम मात्र अंश है उसके ,पर वो तो हमें ही अपना सम्पूर्ण शरीर बताता है।

जब से हम आये जीवन में उसके ,वो अपना हर पल हमको ही देता आया है।

जीता हर पल हमारे लिये,कोई और नहीं जग में उससा ,

वो पिता बस एक ही होता है, जो हमको सब कुछ लाकर देता है।

©Negi Girl Kammu

पिता ।

99 View

#वेदव्यास #Motivational

शांत चित बैठा एक बालक चारों ओर से काम क्रोध मद लोभ जैसी चल रही थी उसके इर्द-गिर्द आंधी। मुख पर उनके अविरल तेज था हवाओं में मंद मंद सुगंध इससे भी बढ़कर सर पर चढ़कर बोल रही थी उनकी समाधि।। ©Abhishek tripathi#chgr@c

#मोटिवेशनल  शांत चित बैठा एक बालक चारों ओर से
 काम क्रोध मद लोभ जैसी 
चल रही थी उसके इर्द-गिर्द आंधी।

मुख पर उनके अविरल तेज था हवाओं में मंद मंद
 सुगंध इससे भी बढ़कर 
सर पर चढ़कर बोल रही थी उनकी समाधि।।

©Abhishek tripathi#chgr@c

#"भगवान वेदव्यास जी"...

10 Love

पिता ज़िम्मेदारियों की कसौटी पर वो बैठा ख्वाहिशें अपनी अंदर ही रौंदाता, सर पर मेरेउसके आशीष का पहरा दुःख क्लेश पर उनके प्रेम का परदा, परेशानियाँ खुद की खुद तक छिपाये संकट संतान के वो खुद पर ले आये, जैसे पास कोई उनके रामबाण हो समस्या उनके लिए कोई आम बात हो, जो भी मुसीबत आये चाहे जब भी दिखाये जैसे कुछ हुआ ही नहीं, पता नहीं कैसे करते ये सब अब भी हर पल बिताता होगा बस चिंता में ही, नींद -चैन जो अपने दिन- रात गँवाए तो दर्द कोई हमको कैसे छु पाए..? पिता की उन पावन चरणों की हम तो भाग्यशाली धूल माटी.., प्रणाम है ऐसे संकट मोचन को..! जो मोती बनाया हम धूल कणों को । ©Deepali Singh

#Motivational  पिता

ज़िम्मेदारियों की कसौटी पर वो बैठा
ख्वाहिशें अपनी अंदर ही रौंदाता, 
सर पर मेरेउसके आशीष का पहरा
दुःख क्लेश पर उनके प्रेम का परदा, 
परेशानियाँ खुद की खुद तक छिपाये
संकट संतान के वो खुद पर ले आये, 
जैसे पास कोई उनके रामबाण हो
समस्या उनके लिए कोई आम बात हो, 
जो भी मुसीबत आये चाहे जब भी
दिखाये जैसे कुछ हुआ ही नहीं, 
पता नहीं कैसे करते ये सब अब भी
हर पल बिताता होगा बस चिंता में ही, 
नींद -चैन जो अपने दिन- रात गँवाए
तो दर्द कोई हमको कैसे छु पाए..? 
पिता की उन पावन चरणों की
हम तो भाग्यशाली धूल माटी.., 
प्रणाम है ऐसे संकट मोचन को..! 
जो मोती बनाया हम धूल कणों को ।

©Deepali Singh

पिता

12 Love

#कविता  जब भी सीने की धड़कन बढ़ती है,

वो पिता अपने परिवार की सोच रहा होता है।

आंखो के आंसू की कीमत कितनी है,,

बेटा अंगुलियां गिन के बालों को नोच रहा होता है।


पिता के अंदर कितनी जरूरतों का बोझ है,

उसी बोझ तले पिता दब जाता है।

वक्त की धुरी को पिता रोक नहीं पाता,,

और उस धुरी के नीचे ही पिता आ जाता है।।


एक पिता ही है जनाब जो मां की ममता को,

अपने परिवार के ऊपर न्यौछावर कर देता है।

और लाड प्यार का सारा हिस्सा जो उन्हें मिला,,

अपने परिवार पर चंद लम्हों में लुटा देता है।


पिता का हाथ जब तक माथे पर रहता है,

संतान को कभी दुख महसूस नहीं हो पाता है।

वक्त की धुरी को पिता रोक नहीं पाता,,

और उस धुरी के नीचे ही पिता आ जाता है।।

©Satish Kumar Meena

पिता

162 View

#विचार

तुलसी अकबर के समकालीन थे

99 View

 अपने खून पसीने की कमाई को, अपने सुख को भूल कर ।

अपने जमा किये पाई- पाई को ,जो बिना कुछ बोले हमपें लूटाता  है।

जो अपने मन की इच्छाओ को ,मार -मार यू हमें सफल बनाता है।

जग चाहे जो भी कहता हो उसको ,पर वो अपना सब कुछ हम पर ही लूटाता है।

वो भी तो ईन्सान ही है ,होगी उसकी भी ख्वाहिसें लाखों 

पर वो विशाल हृदय का मालिक हैं ,जो अपनी लाखों ख्वाहिसों को मार गिराता है।

हम जब भी जो मॉगें उससे ,हमको लाकर वो दे देता है।

कहने को तो हम मात्र अंश है उसके ,पर वो तो हमें ही अपना सम्पूर्ण शरीर बताता है।

जब से हम आये जीवन में उसके ,वो अपना हर पल हमको ही देता आया है।

जीता हर पल हमारे लिये,कोई और नहीं जग में उससा ,

वो पिता बस एक ही होता है, जो हमको सब कुछ लाकर देता है।

©Negi Girl Kammu

पिता ।

99 View

#वेदव्यास #Motivational

शांत चित बैठा एक बालक चारों ओर से काम क्रोध मद लोभ जैसी चल रही थी उसके इर्द-गिर्द आंधी। मुख पर उनके अविरल तेज था हवाओं में मंद मंद सुगंध इससे भी बढ़कर सर पर चढ़कर बोल रही थी उनकी समाधि।। ©Abhishek tripathi#chgr@c

#मोटिवेशनल  शांत चित बैठा एक बालक चारों ओर से
 काम क्रोध मद लोभ जैसी 
चल रही थी उसके इर्द-गिर्द आंधी।

मुख पर उनके अविरल तेज था हवाओं में मंद मंद
 सुगंध इससे भी बढ़कर 
सर पर चढ़कर बोल रही थी उनकी समाधि।।

©Abhishek tripathi#chgr@c

#"भगवान वेदव्यास जी"...

10 Love

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