उसके दिल की धड़कनें अब कहीं खो गई
उसकी हँसी की गुंज अब सन्नाटे में बसी है।
सपनों की राह पर चलकर
वो थक सा गया था।
जिन्दगी की जंग में हर
दिन वो हार गया था।
सपने जिसकी ऊँचाई उसे रुला रहे थे हकीकत की
दीवारें उसकी राह रोक रही थी पर ना हारा था।
आसमान पर उड़ने की चाह ,
पर पंखों में बन्धन था।
हर दिन एक नई चुनौती
हर रात एक सवाल था।
अब वो शांति की खोज में
कहीं दूर चला गया।
उसकी कहानिया , यादें बस वो एक
खामोशी में छुपाता गया।
हर रोज एक नया ताना सुनने को मिलता
हर ताने को वो हसकर सहता रहा।
लेखक बन बहुत कुछ
उसे लिखना था।
सिवाय इस आखरी खत के
वो कुछ और लिख ना पाया।
चाहता था सबको हसाना पर
सबको रुला कर चला गया।
©Manthan's_kalam
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