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New सजाओ प्यार का सावन Status, Photo, Video

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ग़ज़ल :- बीता मौसम हज़ार सावन का आप बिन क्या शुमार सावन का तुझको धानी चुनर में जब देखा मैं हुआ हूँ शिकार सावन का बात बनती नज़र नही आती है अधूरा जो प्यार सावन का इक नज़र देख लूँ अगर तुमको । तब ही आये करार सावन का वो न आयेगा पास में मेरे क्यों करूँ इंतज़ार सावन का  दिल में जबसे बसे हो तुम दिलबर रोज़ होता दीदार सावन का आप आये हो मेरी महफ़िल में चढ़ रहा है खुमार सावन का  आस ये आखिरी मेरे दिल की करके आओ शृंगार सावन का आप क्यों अब चले नही आते  कुछ तो होगा उधार सावन का बिन सजन मान लो प्रखर तुम भी  खो ही जाता करार सावन का  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
बीता मौसम हज़ार सावन का
आप बिन क्या शुमार सावन का
तुझको धानी चुनर में जब देखा
मैं हुआ हूँ शिकार सावन का
बात बनती नज़र नही आती
है अधूरा जो प्यार सावन का
इक नज़र देख लूँ अगर तुमको ।
तब ही आये करार सावन का
वो न आयेगा पास में मेरे
क्यों करूँ इंतज़ार सावन का 
दिल में जबसे बसे हो तुम दिलबर
रोज़ होता दीदार सावन का
आप आये हो मेरी महफ़िल में
चढ़ रहा है खुमार सावन का 
आस ये आखिरी मेरे दिल की
करके आओ शृंगार सावन का
आप क्यों अब चले नही आते 
कुछ तो होगा उधार सावन का
बिन सजन मान लो प्रखर तुम भी 
खो ही जाता करार सावन का 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- बीता मौसम हज़ार सावन का आप बिन क्या शुमार सावन का तुझको धानी चुनर में जब देखा मैं हुआ हूँ शिकार सावन का बात बनती नज़र नही आती है अधूरा

11 Love

सावन  :-  कुण्डलिया सावन आते ही सखी , मैं तो करुँ शृंगार । इसमें दिखता है सदा , मुझे सजन का प्यार ।। मुझे सजन का प्यार , दिलाये खुशियाँ सारी । भूल गई हूँ आज , प्यार में दुनियादारी ।। उनके जैसा प्रेम , सुना है होता पावन । झूमें मन का मोर , सजन को पाकर सावन ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  सावन  :-  कुण्डलिया

सावन आते ही सखी , मैं तो करुँ शृंगार ।
इसमें दिखता है सदा , मुझे सजन का प्यार ।।

मुझे सजन का प्यार , दिलाये खुशियाँ सारी ।
भूल गई हूँ आज , प्यार में दुनियादारी ।।

उनके जैसा प्रेम , सुना है होता पावन ।
झूमें मन का मोर , सजन को पाकर सावन ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सावन  :-  कुण्डलिया सावन आते ही सखी , मैं तो करुँ शृंगार । इसमें दिखता है सदा , मुझे सजन का प्यार ।। मुझे सजन का प्यार , दिलाये खुशियाँ

11 Love

White आया सावन आया सावन झूम के बादल आए उमर-घूमर कर चारों तरफ हरियाली छाई सावन आया,सावन आया ©DR. LAVKESH GANDHI

 White आया सावन 

 आया सावन झूम के
 बादल आए उमर-घूमर कर 
 चारों तरफ हरियाली छाई
 सावन आया,सावन आया

©DR. LAVKESH GANDHI

#सावन # # सावन आया झूम कर #

17 Love

#Bhakti

सावन

117 View

अब की सावन मे , मैं तुझसे मिलने आऊँगा ... शिवरात्रि आते आते अर्धनारीश्वर बन जाऊंगा । सजाऊंगा तुझको अपने माथे पर , तब चंद्रेश्वर कहलाऊँगा ... पी जाऊंगा तेरे हिस्से का सारा जहर, तब नीलकंठ होजाऊंगा ... ©amar gupta

#सावन  अब की सावन मे , 
मैं तुझसे मिलने आऊँगा ...
शिवरात्रि आते आते अर्धनारीश्वर बन जाऊंगा ।
सजाऊंगा तुझको अपने माथे पर , 
तब चंद्रेश्वर कहलाऊँगा ...
पी जाऊंगा तेरे हिस्से का सारा जहर, 
तब नीलकंठ होजाऊंगा  ...

©amar gupta

#सावन

12 Love

#कविता  White सावन आया रे सखी 
पैरों  चिपकी गार
बेलें लिपटी हैं वृक्षों 
साजन लिपटी नार।
सावन की झड़ी लगे 
चुभे ठंडी बयार
सखी लिख संदेश कोई 
अब घर आये भरतार।
जब मोर देखूं नाचते 
मन में माचे शौर
झूले पड़े हैं पेड़ों पर
अब तो आ चितचोर।
तीज त्यौंहार आ रहा
सही न जाये दूरी
मेरे हिरदेश तू यों बसे
जैसे मृग कुंडली कस्तूरी।। 

गार- गिली मिट्टी 
भरतार -पति

©Mohan Sardarshahari

सावन

135 View

ग़ज़ल :- बीता मौसम हज़ार सावन का आप बिन क्या शुमार सावन का तुझको धानी चुनर में जब देखा मैं हुआ हूँ शिकार सावन का बात बनती नज़र नही आती है अधूरा जो प्यार सावन का इक नज़र देख लूँ अगर तुमको । तब ही आये करार सावन का वो न आयेगा पास में मेरे क्यों करूँ इंतज़ार सावन का  दिल में जबसे बसे हो तुम दिलबर रोज़ होता दीदार सावन का आप आये हो मेरी महफ़िल में चढ़ रहा है खुमार सावन का  आस ये आखिरी मेरे दिल की करके आओ शृंगार सावन का आप क्यों अब चले नही आते  कुछ तो होगा उधार सावन का बिन सजन मान लो प्रखर तुम भी  खो ही जाता करार सावन का  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
बीता मौसम हज़ार सावन का
आप बिन क्या शुमार सावन का
तुझको धानी चुनर में जब देखा
मैं हुआ हूँ शिकार सावन का
बात बनती नज़र नही आती
है अधूरा जो प्यार सावन का
इक नज़र देख लूँ अगर तुमको ।
तब ही आये करार सावन का
वो न आयेगा पास में मेरे
क्यों करूँ इंतज़ार सावन का 
दिल में जबसे बसे हो तुम दिलबर
रोज़ होता दीदार सावन का
आप आये हो मेरी महफ़िल में
चढ़ रहा है खुमार सावन का 
आस ये आखिरी मेरे दिल की
करके आओ शृंगार सावन का
आप क्यों अब चले नही आते 
कुछ तो होगा उधार सावन का
बिन सजन मान लो प्रखर तुम भी 
खो ही जाता करार सावन का 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- बीता मौसम हज़ार सावन का आप बिन क्या शुमार सावन का तुझको धानी चुनर में जब देखा मैं हुआ हूँ शिकार सावन का बात बनती नज़र नही आती है अधूरा

11 Love

सावन  :-  कुण्डलिया सावन आते ही सखी , मैं तो करुँ शृंगार । इसमें दिखता है सदा , मुझे सजन का प्यार ।। मुझे सजन का प्यार , दिलाये खुशियाँ सारी । भूल गई हूँ आज , प्यार में दुनियादारी ।। उनके जैसा प्रेम , सुना है होता पावन । झूमें मन का मोर , सजन को पाकर सावन ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  सावन  :-  कुण्डलिया

सावन आते ही सखी , मैं तो करुँ शृंगार ।
इसमें दिखता है सदा , मुझे सजन का प्यार ।।

मुझे सजन का प्यार , दिलाये खुशियाँ सारी ।
भूल गई हूँ आज , प्यार में दुनियादारी ।।

उनके जैसा प्रेम , सुना है होता पावन ।
झूमें मन का मोर , सजन को पाकर सावन ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सावन  :-  कुण्डलिया सावन आते ही सखी , मैं तो करुँ शृंगार । इसमें दिखता है सदा , मुझे सजन का प्यार ।। मुझे सजन का प्यार , दिलाये खुशियाँ

11 Love

White आया सावन आया सावन झूम के बादल आए उमर-घूमर कर चारों तरफ हरियाली छाई सावन आया,सावन आया ©DR. LAVKESH GANDHI

 White आया सावन 

 आया सावन झूम के
 बादल आए उमर-घूमर कर 
 चारों तरफ हरियाली छाई
 सावन आया,सावन आया

©DR. LAVKESH GANDHI

#सावन # # सावन आया झूम कर #

17 Love

#Bhakti

सावन

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अब की सावन मे , मैं तुझसे मिलने आऊँगा ... शिवरात्रि आते आते अर्धनारीश्वर बन जाऊंगा । सजाऊंगा तुझको अपने माथे पर , तब चंद्रेश्वर कहलाऊँगा ... पी जाऊंगा तेरे हिस्से का सारा जहर, तब नीलकंठ होजाऊंगा ... ©amar gupta

#सावन  अब की सावन मे , 
मैं तुझसे मिलने आऊँगा ...
शिवरात्रि आते आते अर्धनारीश्वर बन जाऊंगा ।
सजाऊंगा तुझको अपने माथे पर , 
तब चंद्रेश्वर कहलाऊँगा ...
पी जाऊंगा तेरे हिस्से का सारा जहर, 
तब नीलकंठ होजाऊंगा  ...

©amar gupta

#सावन

12 Love

#कविता  White सावन आया रे सखी 
पैरों  चिपकी गार
बेलें लिपटी हैं वृक्षों 
साजन लिपटी नार।
सावन की झड़ी लगे 
चुभे ठंडी बयार
सखी लिख संदेश कोई 
अब घर आये भरतार।
जब मोर देखूं नाचते 
मन में माचे शौर
झूले पड़े हैं पेड़ों पर
अब तो आ चितचोर।
तीज त्यौंहार आ रहा
सही न जाये दूरी
मेरे हिरदेश तू यों बसे
जैसे मृग कुंडली कस्तूरी।। 

गार- गिली मिट्टी 
भरतार -पति

©Mohan Sardarshahari

सावन

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