सावन :- कुण्डलिया सावन आते ही सखी , मैं तो करुँ शृंगार । इसमें दिखता है सदा , मुझे सजन का प्यार ।। मुझे सजन का प्यार , दिलाये खुशियाँ सारी । भूल गई हूँ आज.
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