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New river ganges pilgrimage Status, Photo, Video

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दर्द की बूँदें, कागज पर बिखरती रहीं, अवसाद में, रात भर लिखता रहा। नक्षत्रों से मिले, आकाश की ऊँचाइयाँ, मैं चाँद की छाँव में, छिपा रहता रहा। अगर टूट जाता, कब का मैं मिट गया होता, मैं तो नाज़ुक शाखा, सबके आगे झुकता रहा। लोगों के रंग बदले, अपने-अपने ढंग से, मेरे रंग में भी आई चमक, पर मैं हर बार घुलता रहा। जो थे आगे बढ़ने में, वो मंज़िल की ओर चले, मैं गहराइयों में समुद्र का रहस्य समझता रहा। (सिद्धार्थ दाँ) - मेरी कलम ©kalam_shabd_ki

#river  दर्द की बूँदें, कागज पर बिखरती रहीं,
अवसाद में, रात भर लिखता रहा।

नक्षत्रों से मिले, आकाश की ऊँचाइयाँ,
मैं चाँद की छाँव में, छिपा रहता रहा।

अगर टूट जाता, कब का मैं मिट गया होता,
मैं तो नाज़ुक शाखा, सबके आगे झुकता रहा।

लोगों के रंग बदले, अपने-अपने ढंग से,
मेरे रंग में भी आई चमक, पर मैं हर बार घुलता रहा।

जो थे आगे बढ़ने में, वो मंज़िल की ओर चले,
मैं गहराइयों में समुद्र का रहस्य समझता रहा।

(सिद्धार्थ दाँ)
- मेरी कलम

©kalam_shabd_ki

#river

16 Love

river

81 View

तिला डिवचले होते मी, "समुद्र नाही तुझ्या शहरात", अन् तेव्हा तिच्या शहरात, नदीला पूर आला होता... स्वप्नील हुद्दार . ©Swapnil Huddar

#river  तिला डिवचले होते मी, "समुद्र नाही तुझ्या शहरात",
अन् तेव्हा तिच्या शहरात, नदीला पूर आला होता...

स्वप्नील हुद्दार














.

©Swapnil Huddar

#river

13 Love

#कविता #river  जीवन बहती नदी का गीत है
हर मोड़ पर नई एक प्रीत है
घुमावदार पथ, सपनों का रेला
उतार-चढ़ाव में जीवन का मेला

©Kshitija

#river

891 View

#river  कहीं पढ़ा था 
नदियां पर्वतों को 
मजबूती के कारण नहीं काटती 
बल्कि अपनी निरंतरता के कारण काटती है
इसलिए निरंतर प्रयास जारी हैं 
भविष्य अच्छा ही होगा 
यह सोच ले
चाहे वर्तमान कितना भारी हैं

©Muskan (MJ)

#river

90 View

#ಪುರಾಣ	 #river

#river

126 View

दर्द की बूँदें, कागज पर बिखरती रहीं, अवसाद में, रात भर लिखता रहा। नक्षत्रों से मिले, आकाश की ऊँचाइयाँ, मैं चाँद की छाँव में, छिपा रहता रहा। अगर टूट जाता, कब का मैं मिट गया होता, मैं तो नाज़ुक शाखा, सबके आगे झुकता रहा। लोगों के रंग बदले, अपने-अपने ढंग से, मेरे रंग में भी आई चमक, पर मैं हर बार घुलता रहा। जो थे आगे बढ़ने में, वो मंज़िल की ओर चले, मैं गहराइयों में समुद्र का रहस्य समझता रहा। (सिद्धार्थ दाँ) - मेरी कलम ©kalam_shabd_ki

#river  दर्द की बूँदें, कागज पर बिखरती रहीं,
अवसाद में, रात भर लिखता रहा।

नक्षत्रों से मिले, आकाश की ऊँचाइयाँ,
मैं चाँद की छाँव में, छिपा रहता रहा।

अगर टूट जाता, कब का मैं मिट गया होता,
मैं तो नाज़ुक शाखा, सबके आगे झुकता रहा।

लोगों के रंग बदले, अपने-अपने ढंग से,
मेरे रंग में भी आई चमक, पर मैं हर बार घुलता रहा।

जो थे आगे बढ़ने में, वो मंज़िल की ओर चले,
मैं गहराइयों में समुद्र का रहस्य समझता रहा।

(सिद्धार्थ दाँ)
- मेरी कलम

©kalam_shabd_ki

#river

16 Love

river

81 View

तिला डिवचले होते मी, "समुद्र नाही तुझ्या शहरात", अन् तेव्हा तिच्या शहरात, नदीला पूर आला होता... स्वप्नील हुद्दार . ©Swapnil Huddar

#river  तिला डिवचले होते मी, "समुद्र नाही तुझ्या शहरात",
अन् तेव्हा तिच्या शहरात, नदीला पूर आला होता...

स्वप्नील हुद्दार














.

©Swapnil Huddar

#river

13 Love

#कविता #river  जीवन बहती नदी का गीत है
हर मोड़ पर नई एक प्रीत है
घुमावदार पथ, सपनों का रेला
उतार-चढ़ाव में जीवन का मेला

©Kshitija

#river

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#river  कहीं पढ़ा था 
नदियां पर्वतों को 
मजबूती के कारण नहीं काटती 
बल्कि अपनी निरंतरता के कारण काटती है
इसलिए निरंतर प्रयास जारी हैं 
भविष्य अच्छा ही होगा 
यह सोच ले
चाहे वर्तमान कितना भारी हैं

©Muskan (MJ)

#river

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#ಪುರಾಣ	 #river

#river

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